टाइम्स आफ इंडिया अखबार को प्रकाशित करने वाली कंपनी बेनेट कोलमैन ने लॉकडाउन अवधि में कुछ बड़े फैसले लिए हैं. हिंदी बिजनेस अखबार इकानामिक टाइम्स हिंदी और शाम को प्रकाशित होने वाला अखबार संध्या टाइम्स का प्रकाशन बंद कर दिया है. इन अखबारों के लिए एडवांस विज्ञापन लेने का काम रोका जा चुका है. इन अखबारों में कार्यरत ज्यादातर लोगों को निकाल दिया गया है. कइयों को घर बैठने को कह दिया गया है.
चर्चा है कि प्रबंधन नवभारत टाइम्स को भी बंद करने पर विचार कर रहा है. बताया जा रहा है कि प्रबंधन 12 पेज वाले नभाटा को प्रिंट वर्जन में केवल चार पेज में सीमित रखना चाहता है और डिजिटल वर्जन में सारे पेज उपलब्ध कराए जाएंगे. हालांकि नभाटा वाली सूचना पुष्ट नहीं. इसको लेकर अफवाह तेजी से फैल रही है. पर ये अफवाह भी इस बात का संकेत तो है ही कि यहां काम करने वाले मीडियाकर्मियों को देर-सबेर जाना पड़ सकता है इसलिए जीवन जीने के लिए अपना वैकल्पिक जुगाड़ करने की कवायद शुरू कर दें.
टाइम्स ग्रुप का प्रबंधन ये समझ चुका है कि दौर अब डिजिटल जर्नलिज्म का है इसलिए अखबारों का डिजिटलाइजेशन ही कल का भविष्य है. इस काम को जो मीडिया हाउस जितना जल्दी करेगा, उसे डिजिटल स्पेस में उतना ही ज्यादा फायदा मिलेगा. इसी रणनीति पर काम करते हुए लॉकडाउन को टाइम्स ग्रुप ने अपने लिए वरदान मानते हुए छंटनी, बंदी जैसे कठोर कदम उठाया है.
ईटी हिंदी और संध्या टाइम्स के बंद होने से इन अखबारों के साथ जुड़े रहे लोग काफी उदास है.
नवभारत टाइम्स से कुल तीस लोग हटाए गए हैं. टाइम्स आफ इंडिया समेत पूरे ग्रुप से 92 लोगों की छंटनी की गई है. टीओआई बेंगलुरू में भी छंटनी का दौर चल रहा है. संपादक और एचआर के लोग वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए लोगों को इस्तीफा देने के लिए आदेशित कर रहे हैं.
टाइम्स आफ इंडिया के 15 नान-मेट्रो एडिशंस बंद किए जाने की सूचना है. साउथ और वेस्ट के कई आफिसेज क्लोज किए गए हैं. टाइम्स ग्रुप के मैनेजरों की सेलरी भी आधी तक कम किए जाने की सूचना है.
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