आम्रपाली के घर खरीदारों को जल्द अपने घरों की चाबी मिल सकती है। उच्चतम न्यायालय ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटीज को स्पष्ट चेतावनी दी कि अब अगर पजेशन देने में देरी हुई तो अधिकारियों को जेल भेजा जा सकता है। उच्चतम न्यायालय ने दोनों अथॉरिटीज को आदेश दिया कि वे आम्रपाली के घर खरीदारों के फ्लैट्स के रजिस्ट्रेशन का काम शुरू कर दें। कोर्ट ने जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यू. यू. ललित की पीठ ने मंगलवार को लेटलतीफी के लिए अथॉरिटीज को फटकार लगाया और कहा कि यदि अथॉरिटी ने उनके आदेश का पालन नहीं किया तो संबंधित अधिकारियों को जेल भेज देंगे।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने उच्चतम न्यायालय को यह आश्वासन दिया कि आम्रपाली मामले के लिए स्पेशल सेल बनाया गया है और अधिकारियों को इसी काम के लिए विशेष तौर पर नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय ने उच्चतम न्यायालय में इस केस की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर यह बताया है कि न्यायालय के निर्देशानुसार मनी लॉन्ड्रिंग का केस शुरू किया गया है।
गौरतलब है कि 23 जुलाई को हजारों होमबॉयर्स को बड़ी राहत देते हुए पीठ ने यह पाया था कि आम्रपाली समूह ने ग्रेटर नोएडा और नोएडा के अधिकारियों की मिलीभगत से होमबॉयर्स के पैसों के साथ फर्जीवाडा किया है। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को आम्रपाली के निदेशकों और अधिकारियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू करने और समय-समय पर रिपोर्ट के साथ जांच की प्रगति बताने के कहा था। पीठ ने यह भी पाया था कि आम्रपाली समूह ने ग्रेटर नोएडा और नोएडा के अधिकारियों की मिलीभगत से होमबॉयर्स के पैसों के साथ फर्जीवाडा किया है।
पीठ ने कहा था कि एनबीसीसी रुकी हुई आम्रपाली परियोजनाओं को पूरा करेगी जिसका उसे 8 प्रतिशत कमीशन मिलेगा। होमबॉयर्स को शेष राशि विशेष खाते में जमा करनी होगी। कोर्ट ने यह कहते हुए होमबॉयर्स के हितों की रक्षा की है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को परियोजना संपत्तियों के अलावा आम्रपाली की बाकी संपत्ति से अपना बकाया वसूलना होगा।