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उत्तर प्रदेश

गाजीपुर जेल पहुंची भड़ास टीम, जानें क्यों और किसलिए!

महिला कैदियों को मदद पहुंचाने जेल के भीतर पहुंची टीम
(बाएं से- उमेश श्रीवास्तव, सुजीत सिंह प्रिंस, यशवंत सिंह और आशीष राय कौशिक)
दैनिक जागरण गाजीपुर में इस प्रकरण की खबर विस्तार से प्रकाशित हुई

रिहा होने के बाद भी गाजीपुर जेल को नहीं भूली सत्याग्रह पर निकली दिल्ली की पत्रकार प्रदीपिका!

महिला पत्रकार प्रदीपिका समेत दस युवा सत्याग्रहियों को गाजीपुर में अरेस्ट कर जिला जेल भेजे जाने की घटना और फिर देश भर में मचे हो हल्ले के बाद सभी की रिहाई के बाद भले ही मामला ठंढा पड़ गया हो लेकिन जिला जेल गाजीपुर से रिहा हुई सत्याग्रह पर निकली महिला पत्रकार प्रदीपिका के जेहन में आज भी गाजीपुर जिला जेल मौजूद है.

महिला बैरक में बंद रही प्रदीपिका ने अपने जेल के वक्त को महिला बंदियों से बातचीत और उनकी समस्याओं को सुनने में गुजारा. इसी दौरान उन्हें कई पीड़ित व गरीब महिला बंदियों की समस्याओं से रुबरु होना पड़ा.

जेल से छूटने के कुछ दिन बाद प्रदीपिका ने अपने फेसबुक वॉल पर गाजीपुर जिला जेल में बंद इन महिला बंदियों की मदद के लिए एक अपील की. इस अपील पर हांगकांग में पदस्थ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारवादी अविनाश पांडेय समर उर्फ समर अनार्या की निगाह गई. उन्होंने फौरन गाजीपुर के कुछ पत्रकारों व समाजसेवियों को टैग कर इस मुहिम को आगे बढ़ाने की अपील की ताकि पीड़ित व गरीब महिलाओं तक मदद पहुंचाई जा सके.

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गाजीपुर जेल में बंद रहीं दिल्ली की पत्रकार प्रदीपिका सारस्वत की एफबी पोस्ट और इस पर आए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारवादी समर अनार्या का कमेंट.

देखते ही देखते वाट्सअप पर एक ग्रुप बन गया, ‘जिला कारागार गाजीपुर’ नाम से. इसमें जिले के दर्जन भर गणमान्य नागरिकों समेत कुछ प्रशासनिक अफसरों और सोशल एक्टिविस्टों को भी शामिल किया गया.

इस वाट्सअप ग्रुप में पत्रकार प्रदीपिका ने बताया कि गाजीपुर जिला जेल में मालती, सिंधु और रानी नामक तीन महिला बंदी हैं जिनकी अलग अलग समस्याएं हैं. मालती की जमानत हो गई है पर जमानतदार नहीं मिल रहे हैं. जेल के अंदर बंद कई गरीब महिला बंदियों के पास पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं. वे किसी दूसरे से उधार मांग कर कपड़े पहनती हैं. सिंधु नामक महिला बंदी के पास कोई वकील नहीं है जो उनका केस हाईकोर्ट में लड़ सके. उनके पास पैसे भी नहीं हैं और न ही कोई घर-परिवार का सपोर्ट है.

रानी नामक महिला बंदी को जबरन फर्जी मामले में फंसाकर पुलिस ने जेल भेज दिया है और अब पुलिस जमानत न होने देने के लिए कई जरूरी कागजात मुहैया नहीं करा रही है. रानी का आरोप है कि पुलिस ने पैसे खाकर उन्हें फर्जी मामले में फंसा दिया है और वह छोटे बच्चे के साथ जेल में बंद हैं.

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इन सभी महिला बंदियों से मिलने गाजीपुर के पत्रकारों व समाजसेवियों की एक टीम आज सुबह जिला जेल पहुंची. जेल में पहुंचने पर पता चला कि मालती कल ही रिहा हो गई. उसे जमानतदार मिल गए थे. सिंधु और रानी की समस्याओं को टीम ने नोट किया और इस दिशा में कानूनी मदद दिलाने का आश्वासन दिया. इन महिला बंदियों को एक एक गाउन, फेसवाश, बिस्किट, टूथब्रश, टूथपेस्ट समेत कई चीजें टीम ने दीं.

पत्रकार प्रदीपिका की पहल पर जेल गई टीम ने सोशल मीडिया पर सबको इस दौरे के बारे में जानकारी दी. साथ ही इन बंदियों की रिहाई को लेकर कानूनी जटिलताओं पर आपसी चर्चा की. जेल गई टीम का कहना है कि वे लोग जल्द ही हाईकोर्ट और जिला अदालत में इन दोनों महिला बंदियों के मामलों को हैंडल करने के लिए योग्य वकीलों को तलाशेंगे और इनकी फाइलों को उन्हें सौंपेंगे ताकि इन्हें रिहा कराया जा सके.

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जेल दौरे पर गई टीम में भड़ास संपादक यशवंत सिंह, समाजसेवी उमेश श्रीवास्तव, सुजीत सिंह प्रिंस और पत्रकार आशीष राय कौशिक थे.

इनपुट- दैनिक जागरण गाजीपुर

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