संजय श्रीवास्तव-
यूं तो गोवा खूबसूरत समुद्र तटों के लिए जाना जाता है लेकिन इसकी असली लाइफ लाइन है मांडवी नदी. अरब सागर में इसके मिलन से ठीक पहले नेरुल इलाके के नदी के रेखाचित्र. इस इलाके में भरपूर नावें दिखती हैं. मछुवारे दिखते हैं. यहां खड़े हो जाइए तो एक ओर अरब सागर नजर आता है तो दूसरी ओर नायाब अटल सेतु.
यहीं मेतिम पर खड़े विशाल क्रूज कैसिनो नजर आते हैं, तो मेतिम से पणजी की ओर आने वाली फेरियां भी. जिस स्कूटर, बाइक और पैदल सब सवार होते हैं. मांडवी नदी पर बड़े बड़े कैसिनो क्रूज ने कई सालों से डेरा डाले रखा. इन्हें लेकर विवाद भी है लेकिन ये सही है कि ये गोवा को अकूत पैसा देते हैं.
कर्नाटक के बेलगाम से निकलकर महाराष्ट्र होते हुए गोवा में बहने वाली मांडली के पाट हर जगह चौड़े हैं. पानी भरपूर और साफ. मजे कि बात ये कि इसमें कभी बाढ़ नहीं आई. वैसे इसके पानी को लेकर भी गोवा और कर्नाटक में हमेशा विवाद रहता आया है.
गोवा में ये 42 किलोमीटर के आसपास बहती है लेकिन इस छोटे से राज्य में एग्रीकल्चर से लेकर ट्रांसपोर्ट तक बहुत काम आती है. करीब 5000 नावों से रोज मछुआरे में इसमें रोज मछली पकड़ने उतरते हैं. भर- भर कर मछली जालों में फंसाते हैं.
वैसे गोवा में कई और छोटी-छोटी नदियां हैं लेकिन सब कहीं ना कहीं मांडवी में मिलती हैं. फिर गोवा के इसी नेरूल इलाके के पास मुहाना बनाते हुए अरब सागर को चूमती है. आत्मा के बारे कहा जाता है कि उसकी सदगति मोक्ष या परमात्मा में विलीन होने में है, वैसे नदी चाहे कहीं से निकले. चाहे कितनी छोटी – बड़ी हो, उसे चाहे कितना छोटा-लंबा रास्ता तय करना पड़े लेकिन अंत्वोगत्वा वो सागर से मिलन तक का रास्ता तलाश ही लेती है. दुनिया की कोई नदी इसका अपवाद नहीं.
मांडवी को महादयी कहते हैं और महादई भी. कुछ लोग इसे पश्चिम की गोमती भी कहते हैं. गोवा के सबसे प्रसिद्ध अगोडा फोर्ट का एक हिस्सा भी इसकी शांत लहरों का सुख लेता है.
नदियां खुद वाकई एक जीवन जीती हैं और करोड़ों जीवनों को संवारती हैं. संस्कृतियों और समृद्धि के द्वार खोलती हैं. नदियों में नावों का चलना, मछुआरों का जाल फेंकना एक अजीब रोमांटिज्म का बोध कराता है, गोवा में ये रोमांटिज्म इसलिए ज्यादा बढ़ा लगता है, क्योंकि मांडवी को हजारों नारियल के पेड़ झूम-झूमकर सलामी देते हैं. #goa #goadiaries #goalife #goariver #Mandovi