Amitaabh Srivastava : रवीश, बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई, अभिसार शर्मा और प्रशांत भूषण का मोबाइल नंबर सोशल मीडिया पर सार्वजनिक करके उजड्ड लोग उन्हें गंदी गंदी गालियां और धमकियां दे रहे हैं। घटिया और बीमार मानसिकता के लोगों ने बरखा दत्त को अश्लील तस्वीरें भी भेजी हैं। ये सब नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व में पनपी जनसंस्कृति के दूत हैं। बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। इन पर जितनी लानत भेजी जाए, कम है। पुलिस को ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
मोदी युग में देशभक्तों और भारत माता के सपूतों की यह अत्यंत उन्नत किस्म की प्रजाति विकसित हुई है। ये वंदे मातरम् और भारत माता की जय के नारे देशभक्ति से ज़्यादा अपनाआतंक फैलाने और अपने विरोधियों को डराने के लिए लगाते हैं और शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए पाकिस्तान मुर्दाबाद चिल्लाते हुए मोमबत्ती जुलूस निकालते हैं जिसमें अपनी सेल्फी की बौछार कर देते हैं। सोशल मीडिया पर सरकार और बीजेपी के आलोचकों को बुरी से बुरी गालियां देकर, महिलाओं को अश्लील तस्वीरें भेजकर, उन्हें बलात्कार की धमकी देकर ये लोग बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की भूरि भूरि प्रशंसा भी करते हैं। यह सब करते हुए उनमें से बहुतों को यह गौरव भी हासिल हो सकता है कि स्वयं प्रधानमंत्री उन्हें ट्विटर पर फॉलो करते हों।
Deepankar Patel : रवीश, बरखा और अभिसार को गाली पड़ रही है. देशभक्त एंकर वही है जो क्रोमा स्टूडियो में बैठकर तोप चलाए. वर्चुअल वाररूम में बैठकर दहाड़े. बार-बार भारतीय सेना के पास मौजूद सारे हथियारों का दो चार राऊंड फायर स्क्रीन पर कर दे, धमाके से आपका लिविंग रूम डाइनिंग रूम हिलाता रहे, हथियार का ब्यौरा देकर देश के लोगों को लड़ने के लिए उकसाये.
ये इतने नासमझ लोग हैं बार-बार रावलपिण्डी,लाहौर तक घुस जाने की बात करते हैं.क्या रावलपिण्डी-लाहौर तक लड़ने BJP के नेता जाएंगे? ये लोग सोचते हैं कि सिपाही तो होता ही मरने के लिए है, रामपुर से BJP सांसद नेपाल सिंह ने कहा कि आर्मी में तो रोज सिपाही मरेंगे ही. ऐसे लोगों का क्या है रावलपिण्डी तक सेना घुसा देने का ख्वाब जनता को दिखाते रहते हैं,भले हमारे लाखों जवान शहीद हो जाएं. जनता के सामने खुद को बोल्ड दिखाने के चक्कर में सेना के जवानों की जान झोंक देने वाले लोगों को पहचानिए.
ये लोग भूल जाते हैं कि पाकिस्तान भी एटॉमिक पॉवर है. भारत-पाकिस्तान दोनों देशों में से एक भी देश की एटामिक हमला झेलने की स्थिति में नहीं है. फिर भी युद्ध के अलावा कोई कुछ सोच नहीं पा रहा है. जब दुनिया भर के लोग युद्ध लड़ रहे थे, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हिंसा के दम पर व्यापारिक सम्राज्य स्थापित कर रहे थे, तब भारत के लोग मंत्र-भजन जपने में लगे थे,भारत में समुद्री यात्राएं करना ही पाप था. गुलामों से लेकर अंग्रेजों तक जो आया भारत पर राज किया.
अब जब विश्व शांति की तरफ बढ़ रहा है तो शांतिप्रिय लोगों के इस देश के लोगों के मन में युद्ध का उन्माद भरा जा रहा है. भारत के लोगों को बाकी दुनिया से पीछे ले जाने वाली इस सोच को पहचानिये, ये सदियों से इस देश में मौजूद है. जब युवाओं के पास नौकरी-रोजगार नहीं है तब कुछ लोग PayTm से 11 रूपये का दान करके सोचते हैं कि इस पैसे से देश युद्ध लड़ने के लिए आर्थिक रूप से सम्पन्न हो जाएगा,शहीदों के परिवार का भला हो जाएगा.
लोग खाना खाने के बाद डकार लेने के बीच 20 बार पाकिस्तान को गाली दे रहे हैं. ये लोग भारतीय सेना पर असंयमित हो जाने का दबाव बना रहे हैं. भारतीय सेना जानती है उसे कब क्या करना है, सेना से जुड़े लोग ही कहते हैं अभी पाकिस्तानी सिपाही तैयार बैठा होगा सीधे जाकर हमला करने से बेहतर है पाकिस्तान को रणनीति बनाकर कमजोर किया जाय. लेकिन TV के एंकरों को BJP के नेताओं को रावलपिण्डी घुसने की जल्दी मची हुई है.
जो भी नेता रावलपिण्डी से चुनाव लड़ना चाहता है पाकिस्तान चला जाये. वैसे भी वही लोग दूसरों का वीजा बनवा रहे थे तो अपना भी बनवा ही लेंगे. और TV वाले जिस पत्रकार को तोप-बंदूक चलाने का ज्यादा शौक है उसी सही समय रहते सही प्रोफेशन चुनना था. अब पत्रकार का काम चुना है तो स्थिति को रिपोर्ट करें एक मिनट में 300 राउंड फायरिंग वाले पैकेज काटना बंद करें.
Vikram Singh Chauhan : रवीश कुमार के साथ जो हो रहा है उससे मन बहुत व्यथित है।उन्हें सरकारी सरंक्षण में टारगेट किया जा रहा है।जो लोग भी उन्हें गाली दे रहे हैं,उनके ट्रू कॉलर से नाम पता चल रहा है।पुलिस के लिए 2 घँटे का भी काम नहीं है इन्हें देशभर से अरेस्ट किया जा सकता है।लेकिन करेंगे नहीं! एक खास व्यक्ति के इन भक्तों ने रवीश को दुनिया की हर गाली दे दी है। रवीश की पत्नी को ,उनके बच्चों को सबको गालियां दी है।
कुछ ने तो जान से मारने की धमकी दी है। एक तो खुद को पत्रकार बताकर रवीश को गालियां दे रहे हैं। ऐसा लग रहा है अब इस देश में वाकई बुद्धिजीवी लोगों के लिए जिंदा रहना बहुत मुश्किल काम है। रवीश कुमार को ये सिला तब मिला है जब उन्होंने अपनी पत्रकारिता को देश के युवा, बेरोजगार, दबे-कुचले वर्ग को समर्पित कर दिया है। पिछले एक साल से वे टीआरपी से समझौता कर लगातार बेरोजगारी को लेकर, यूनिवर्सिटी के स्तर को लेकर, सरकारी नौकरियों में हो रही देरी को लेकर, चयन आयोगों के नालायकी को लेकर सीरीज चला रहे हैं।
उनके न्यूज़ चलने के बाद हजारों युवाओं को नौकरियां मिली है। किसी को 12 साल बाद जॉइनिंग दी गई है सिर्फ रवीश के प्राइम टाइम की वजह से। रेलवे में जो एक लाख भर्ती निकली उसके पीछे भी रवीश का दबाव ही था। ऐसे व्यक्ति से जिससे किसी के घर में रोजी रोटी का जुगाड़ हुआ, किसी को क्या दिक्कत हो सकती है? एक घँटे के प्राइम टाइम के लिए रवीश दिनभर वर्क करते है। रात के 1 बजे तो कभी सुबह 5 बजे फेसबुक में उनका लेख आता है जो बताता है इस व्यक्ति के लिए पत्रकारिता जुनून है। लेकिन उन्हें हतोत्साहित करने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। मानसिक तौर पर उन्हें परेशान किया जा रहा है।लेकिन रवीश कुमार अडिग हैं और डटे हुए हैं। ये देश रवीश कुमार के साथ है, हम रवीश कुमार के साथ है। सलाम रवीश!
वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव, दीपांकर पटेल और विक्रम सिंह चौहान की एफबी वॉल से.
Shashi Kumar Gandhi
February 20, 2019 at 3:51 pm
I have keenly listened to your presentation. Many a times, I have stated that the background music is too loud to make it audible. Ultimately, I have stopped listening to your presentation.
Couldn’t you make it less loud. I shall wait till you do it.
Anyway, I have always liked your analysis.
SK Gandhi