Heera Motwani-
हमारे देश में अभी तक स्वास्थ्य बीमा को जनता ने भी गंभीरता से नहीं लिया था परंतु 2 वर्षों के कोविड काल ने लोगों को स्वास्थ्य बीमा के प्रति न केवल जागरूक किया है बल्कि लोग उसकी गंभीरता को भी समझने लगे हैं। लेकिन फिर भी देश का एक बहुत बड़ा तबका जो कि मध्यमवर्गीय परिवार से आता है वह अभी भी स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम को एक अतिरिक्त खर्च के रूप में देखता है। परंतु विशेषज्ञों का कहना है की बीमा की तुलना कभी भी अन्य बचत योजनाओं से नहीं करनी चाहिए क्यों कि यह निवेश की विषय वस्तु नहीं है।
गौर से देखा जाए तो शासकीय कार्यवाही के डर से हम अपने वाहनों का बीमा तो अनिवार्य रूप से करवाते हैं और हमें यह भी मालूम होता है यह प्रीमियम हमें कभी वापस नहीं मिलेगी परंतु फिर भी शासकीय नियम है इस के परिपालन में मन मार कर ही लोग वाहन बीमा की ओर अग्रसर होते हैं। ऐसा कोई अनिवार्य नियम जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा के लिए नहीं होने के कारण आज भी एक बहुत बड़ा तबका इससे अनभिज्ञ है आज जबकि व्यक्ति के जीवन में तनाव , चिंता, शारीरिक श्रम की कमी और बढ़ता प्रदुषण, असंतुलित खानपान हमारे शरीर को दिनोंदिन प्रभावित कर रहा है तब यह देखा गया है कि यदि किसी मध्यम वर्गीय परिवार का कोई सदस्य किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है तो बाजारवाद के इस युग में अस्पतालों के बिल उसकी कमर ही तोड़ देते हैं। और कई बार वह परिवार अत्यंत ही दयनीय वित्तीय हालात का सामना करता है।
ऐसे में किसी भी लग्जरी आइटम को लेने से पूर्व हर परिवार को ठिठक कर सोचना चाहिए यह लग्जरी आइटम उसके लिए अत्यंत आवश्यक है या फिर स्वास्थ्य बीमा और जब वह इस पर विचार करेगा तो निश्चित ही उसकी सोच में परिवर्तन आएगा आज विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य बीमा विभिन्न कंपनियों द्वारा बाजार में उतारे गए हैं जिसमें कई प्रकार की बीमारियों को समाहित करते हुए उनका रिस्क कवर बीमा धारक एवं उसके परिवार को दिया जाता है। इन योजनाओं में एक बार पॉलिसी लेने के बाद टॉप अप की सुविधा भी रहती है इन योजनाओं में नो क्लेम बोनस के तहत रिस्ककवर भी बढ़ती रहती है ऐसे में सभी प्रकार के स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की पूरी जानकारी किसी विशेषज्ञ से लेने के बाद यदि बीमा क्रय किया जाता है तो उसका लाभ पूरे परिवार को मिलता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य बीमा क्लेम लेने के उद्देश्य से नहीं बल्कि सुरक्षात्मक दृष्टि से लेना चाहिए ईश्वर ना करें किसी को इतना शारीरिक कष्ट हो कि उसे अस्पताल का मुंह देखना पड़े।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
रतन मोटवानी
कर एवं निवेश सलाहकार
रायपुर
स्वास्थ्य बीमा आज के युग की अपील है बदलते दौर में यदि किसी परिवार के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है और ईश्वर ना करें उन पर कोई संकट आता है तो परिवार के वित्तीय हालात डगमगा जाते हैं। हमें ऐसी योजना का चुनाव करना चाहिए जिसमें कम प्रीमियम अधिक सुरक्षा तो मिले ही साथ ही उस कंपनी के क्लेम रेशियो पर अधिक ध्यान देना चाहिए कि उस कंपनी में कितने क्लेम लगे और कितने क्लेम पास हुए यह जानकारी आसानी से इंटरनेट पर उपलब्ध रहती है। मैं अपने बीमा धारकों से हमेशा यह कहता हूं की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेते वक्त अपने पिछले स्वास्थ्य तकलीफों को छुपाए नहीं बल्कि सब कुछ सच-सच बताएं ताकि उसका उल्लेख बीमा प्रपोज़ल में किया जा सके। ताकि अगर कोई क्लेम हो तो उनका क्लेम इस वजह से निरस्त ना हो कि उन्होंने कोई पुरानी जानकारी छुपाई थी।
चंदन मोटवानी
सलाहकार
रायगढ़
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेते समय कुछ लोग केवल प्रीमियम को महत्व देते हैं जबकि प्रत्येक कंपनी के प्रीमियम आई आर डी ए की गाईडलाइन से तय होते हैं ऐसे में कोई भी कंपनी अपने प्रीमियम में बहुत ज्यादा फर्क नहीं दे सकती हां वह कुछ रिस्क हटा कर कुछ सुविधायें कम कर देती है जिससे प्रीमियम कुछ कम हो जाता है और बीमा धारक को ऐसा लगता है कि मैंने कम प्रीमियम पर अपना बीमा करवाया है वस्तुतः वह एक पूर्ण बीमा पॉलिसी नहीं होती। आप किस कंपनी से बीमा करा रहे हैं उसकी साख को देखना अत्यंत आवश्यक है। इस क्षेत्र में कई रेटिंग कंपनियां हैं जो इन बीमा कंपनियों के समग्र कामकाज को देखते हुए उन्हें रेटिंग प्रदान करती हैं अतः अपने विशेषज्ञ से इन सब बातों पर अवश्य चर्चा करें और एक पसंद की कंपनी का चुनाव करें ताकि किसी आपदा के समय में आप जिस उद्देश्य से यह बीमा पॉलिसी ले रहे हैं वह उद्देश्य समय पर पूरा हो।