यूनुस ख़ान-
ब्लॉगिंग की दुनिया में हमें लाने वाले लोगों में से एक रवि भाई यानी रवि रतलामी। एक ज़िंदादिल, प्यारे और मददगार इंसान। जब कभी तकनीकी अड़चन आए तो रवि भाई आपकी हेल्पलाइन रहे। अभी हाल तक भी उनसे संपर्क रहा।
अभी अभी खबर मिली कि कल रात साढ़े ग्यारह बजे के आसपास मैसिव हार्ट अटैक ने रवि भाई को हमसे छीन लिया। यकीन नहीं हो रहा है। दिमाग सुन्न हो गया है।
प्रवीण त्रिवेदी-
कई साथियों के जरिए रवि रतलामी जी की मृत्यु के बारे में सुनकर दिमाग एकदम सुन्न हो गया है। बहुत ही सहयोगी और सज्जन स्वभाव के थे, कई प्लेटफार्म पर वह लगातार समस्यायों पर लगातार मदद करते रहे। वे हिंदी ब्लॉगिंग के एक युग के प्रतीक थे। उनके निधन से एक बड़ी शून्यता पैदा हो गई है, जिसे भरा जाना असंभव ही है। उन्होंने कई ब्लॉग और कई प्लेटफॉर्म और कम्यूनिटीज की स्थापना की। उनकी लगातार पहल से हिंदी ब्लॉगिंग का विस्तार हुआ और हिंदी ब्लॉगर्स की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई थी।
एकदम नए नए जब हम ऑनलाइन दुनिया और ब्लॉगिंग में आए तो रवि रतलामी उर्फ़ Ravishankar Shrivastava जी ने हिंदी को लेकर मदद करने में न दिन देखा न रात। जब भी मौका मिला उन्होंने समस्याओं पर तुरंत मदद करने के साथ सलाहें भी देते रहे।
तकनीकी क्षेत्र की पृष्ठभूमि से होने के बावजूद हिंदी और साहित्य को लेकर उनका प्यार और स्नेह सदैव परिलाक्षित होता रहा। हिंदी ब्लॉगिंग के शैशव से लेकर उभार तक शायद ही कोई हो, जिसे उनसे सलाह या मदद न मिली हो। उक्त मामले में निःसंदेह उनके प्रयास अकेले किसी संस्था से अधिक थे।
हिंदुस्तानी एकेडमी में सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी द्वारा आयोजित ब्लॉगर मीट में उनसे पहली बार आमने सामने मुलाकात हुई थी, एकदम सादे पहनावे में उनकी सहृदयता को बिलकुल नजदीक से देखने का मौका मिला था।
रवि रतलामी जी का निधन हिंदी ब्लॉगिंग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी स्मृति हमेशा हम हिंदी ब्लॉगर्स के दिलों में सदैव जिंदा रहेगी। उनकी मेहनत और समाज को दिए समय और हिंदी के प्रति उनके समर्पण सभी को सलाम करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी-
रवि रतलामी जी नहीं रहें। यह तस्वीर इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में आयोजित ब्लॉगर संगोष्ठी (2009) में PPP के माध्यम से ब्लॉगिंग का ककहरा सिखाते हुए रवि जी की है।
तबसे अबतक हमने उन्हें अहर्निंष तकनीकी ज्ञानवर्द्धन की सेवा करते ही देखा है। इलेक्ट्रॉनिक संचार की किसी भी नयी खोज के बारे में सबसे पहले हम उनके ब्लॉग पर ही जानते रहें हैं।
हिन्दी ब्लॉगिंग की स्थापना में रवि रतलामी का योगदान स्तुत्य है। अभी भी वे बेहद सक्रिय ब्लॉगर थे। नये लोगों की तकनीकी सहायता के लिए सदैव तत्पर। इलाहाबाद ब्लॉगर गोष्ठी २००९ से लेकर अबतक उन्हें फॉलो करता रहा हूँ। बहुत याद आएंगे रवि जी। विनम्र श्रद्धांजलि।
ओह दुखद। हम पंद्रह बरस से परिचित थे। मेरी कई रचनाएं उनकी साइट पर हैं। उनका लिया एक साक्षात्कार भी। -सूरज प्रकाश
ये बहुद दुःखद सूचना दी आपने। ब्लॉगिंग के दिनों में वे हम सब के सलाहकार और संबल थे। श्रद्धांजलि। – सैयद मोहम्मद इरफ़ान
आपने सही कहा यूनुस भाई। रवि भाई तब आबाद हुई हम सबकी ब्लॉग की दुनिया की 24×7 हेल्पलाइन थे। न जाने कितनी बार उन्होंने छोटी छोटी अड़चनों से बाहर निकाला। अब याद आता है कि कितने सामान्य प्रश्नों का वे कितनी सहजता से जवाब देते थे। हम सबकी ओर से कहना चाहूंगा कि तकनीक की दुनिया का एक रहमदिल रवि अस्त हो गया। -संजय पटेल
देबाशीष चक्रवर्ती
January 8, 2024 at 11:51 am
बेहद दुखःद समाचार है ये यूनुस भाई! रवि भैया से ब्लाॉगिंग के माध्यम से ही परिचय हुआ और उन्होंने मेरे हर कार्य में साथ दिया चाहे निरंतर, सामयिकी पत्रिकायें हों या पॉडभारती पॉडकास्ट। रचनाकार के माध्यम से विभिन्न फॉन्ट्स में लिखे सेंकड़ों लेख उन्होंने यूनिकोडित कर वेब पर प्रकाशित किये। इंजीनियर होने के नाते वे तकनलाजी बखूबी समझते थे, लिनक्स प्रयोग पर किताब भी लिखी। एक बढ़िया लेखक, पर उससे भी ज्यादा बढ़िया इंसान थे रवि भैया। विगत माह ही उनसे बात हुई थी, बता रहे थे कि बच्चों के सेटल होने के बाद से अब वे अनुवाद, लेखन वगैरह छोड़ कर आजकल सपत्नीक विभिन्न जगहों पर घूमने में समय बिताते हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। अश्रूपूर्ण श्रद्धांजली!
अफ़लातून Aflatoon
January 8, 2024 at 4:30 pm
इंटरनेट पर हिंदी और देवनागरी को स्थापित करने वालों में एक प्रमुख साथी रवि रतलामी हृदयाघात से आज गुजर गए।हिंदी के एक अन्य शुरुआती चिट्ठेकार सुनील दीपक से यह दुखद सूचना फेसबुक पर मिली।14 वर्ष पूर्व इलाहाबाद में हुए चिट्ठाकार सम्मेलन में रविजी से मुलाकात हुई थी।रविजी Open Source के दर्शन में यकीन रखते थे।खुले दिल से तकनीकी सलाह देते थे।हिंदी चिट्ठेकारी को स्थापित करने वालों में रविजी को हमेशा याद किया जाएगा।
आशीष श्रीवास्तव
January 8, 2024 at 6:15 pm
रवि रतलामी जी का अंतिम संस्कार 9 जनवरी को सुबह 8:00 बजे Panathur Crematorium Bangalore में होगा। अंतिम यात्रा ब्रेन एजवाटर कासावनहल्ली से निकलेगी।
डॉ, सी. जय शंकर बाबु
January 8, 2024 at 10:30 pm
अत्यंत दुखद खबर है। मित्रवर रवि रतलामी जी ने ढाई दशक से हिंदी भाषा एवं साहित्य जगत में डिजिटल चेतना फैलायी है । इस हेतु वे अपनी नौकरी भी छोड़कर समर्पित रहे हैं। दो-तीन ब्लॉगों के माध्यम से वे निरंतर हिंदी की श्रीवृद्धि में लगे रहे हैं। ऐसे समर्पित साधक का जाना हिंदी एवं तकनीकी हिंदी जगत के लिए बड़ी अपूरणीय क्षति है।
अश्रु नयनों से भावपूर्ण श्रद्धांजली। उनकी आत्मा को ईश्वर अपने श्रीचरणों में स्थान दें और इस अपार दुःख और क्षति को सहने की क्षमता उनके परिवार को दें । – डॉ. सी. जय शंकर बाबु, ‘युग मानस’
डॉ, सी. जय शंकर बाबु
January 8, 2024 at 10:32 pm
अत्यंत दुखद खबर है। मित्रवर रवि रतलामी जी ने ढाई दशक से हिंदी भाषा एवं साहित्य जगत में डिजिटल चेतना फैलायी है । इस हेतु वे अपनी नौकरी भी छोड़कर समर्पित रहे हैं। दो-तीन ब्लॉगों के माध्यम से वे निरंतर हिंदी की श्रीवृद्धि में लगे रहे हैं। ऐसे समर्पित साधक का जाना हिंदी एवं तकनीकी हिंदी जगत के लिए बड़ी अपूरणीय क्षति है।
अश्रु नयनों से भावपूर्ण श्रद्धांजली। उनकी आत्मा को ईश्वर अपने श्रीचरणों में स्थान दें और इस अपार दुःख और क्षति को सहने की क्षमता उनके परिवार को दें ।
सुशील
January 9, 2024 at 9:59 am
नमन व श्रद्धांजलि
जी करुणाकर
January 10, 2024 at 11:12 pm
भावपूर्ण श्रध्दांजलि.
रविरतलामी (इसी नाम से हमेशा जानते थे), से 2003 में परिचय हुआ जब उन्होनें लिनक्स के हिन्दी लोकीकरण में योगदान देना शुरु किया और देखते ही देखते बहुत कार्य किया कुछ वर्षों तक हिन्दी लिनक्स का अकेले बीडा उठाए रखा. सेमीनार , कार्यशालाओं में कई बार साथ बैठकर काम किए, वो सभी पल बहुत याद आ रहे हैं . बस 7-8 सालों से मिलना न हो पाया. दो महिने पहले बात कर रहे थे भारतीय भाषाओं मे लिनक्स लोकीकरण पर विडियो बनाएं.. पर अब उनके बिना अधूरा सा रहेगा.
आने वाली पीढी को रवि रतलामी जी के योगदान के बारे में बताना जरूरी बनता है, एक जिवनी के जरिए या विकि पर. क्योंकि हम जिस धरा पर खडे है, उसकी नींव रविजी जैसे लोगों ने रखी है.
कोटि कोटि नमन
अशोक पाण्डेय
January 11, 2024 at 3:19 pm
हिंदी की सेवा करनेवाले वरिष्ठ व विद्वान साथियों ने जैसा ऊपर लिखा है इंटरनेट पर हिंदी को स्थापित करने और उसे बढ़ावा देने में रवि रतलामी जी का अमूल्य योगदान है। मेरे जैसे ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोगों को इंटरनेट पर हिंदी लिखने-पढ़ने में कोई भी दिक्कत आती थी तो उन्हीं की साइट पर समाधान के लिए जाते थे। उनके निधन से हिंदी को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके नहीं रहने का अहसास बहुत कष्टप्रद है। श्रद्धांजलि।