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सुख-दुख

यही वो आईएएस अफसर है जिसने मोदी के हेलीकॉप्टर पर मारा छापा, अब हिम्मत की हो रही सराहना

Vikram Singh Chauhan : यही वो आईएएस मोहम्मद मोहसिन हैं जिन्हें संबलपुर में मोदी के हेलीकॉप्टर की तलाशी लेने पर चुनाव आयोग ने निलंबित कर दिया है। कर्नाटक कैडर के इस आईएएस के ईमानदारी और उनके उसूलों की चर्चा पूरे साउथ में होती रही है। कहा जाता है वे एक कार्य भी गलत होने नहीं देते हैं।

आईएएस अधिकारी मोहम्मद मोहसिन

यही वह वजह है कि पिछले दिनों मोदी के हेलीकॉप्टर से काला संदिग्ध बैग ले जाने के बाद इस अधिकारी ने मोदी के हेलीकॉप्टर की तलाशी लेने का फैसला किया। चोर और भ्रष्टाचार में लिप्त लोग तो ईमानदार लोगों से डरते ही है। अब चुनाव आयोग ने तर्क दिया है कि एसपीजी प्राप्त व्यक्ति की तलाशी नहीं ली जा सकती। तो भाई चुनाव आयोग एसपीजी प्राप्त व्यक्ति को इसका फायदा उठाकर अपने साथ संदिग्ध सामान ठिकाने लगाने का भी तो अधिकार नहीं है। अब चाहे जो हो पर इस ईमानदार अधिकारी ने मोदी को भविष्य के लिये डरा दिया है अब वे अपने साथ काला बैग ले जाने से डरेंगे। सलाम रहेगा मोहम्मद मोहसिन साहब को, आईएएस हो तो आप जैसा!

उपासना झा : कर्नाटक कैडर के आईएएस ऑफिसर मोहम्मद मोहसिन, जिन्हें चुनाव आयोग ने पोल ऑब्जर्वर के रूप में डेप्यूट किया था प्रधानमंत्री के चॉपर के कागजात को चेक करने के कारण ससपेंड कर दिया। इस कारण प्रधानमंत्री को केवल पंद्रह मिनट की देरी हुई। एचडी कुमारस्वामी, येदुरप्पा, नवीन पटनायक की भी गाडियाँ/चॉपर अलग-अलग फ्लाइंग स्क्वाड ने चेक किये। इस सस्पेंशन पर चुनाव आयोग ने कहा है कि जिन व्यक्तियों को एसपीजी सुरक्षा प्राप्त है उनकी गाडियाँ/विमान नहीं चेक किये जा सकते। इस सस्पेंशन से कई सवाल भी उठते हैं।

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-अगर कुछ भी गलत नहीं पाया गया तो आखिर चेकिंग में क्या दिक्कत है।

-इससे पहले प्रधानमंत्री के चॉपर से एक काला पैकेट ले जाते हुए तस्वीर वायरल हुई थी। जिसके बाद कांग्रेस ने शिकायत दर्ज कराई थी।

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-क्या चुनाव आयोग के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों का यह नैतिक कर्त्तव्य नहीं कि वे निष्पक्ष चुनाव कराने में सहयोग करें।

Nadim Akhter : चमचा चुनाव आयोग… चुनाव आयोग ने संबलपुर में मोदी के हेलिकॉप्टर की तलाशी लेने वाले एक IAS अफसर मोहम्मद मोहसिन को सस्पेंड कर दिया है. मोहम्मद मोहसिन एक ईमानदार और नियम-कानून से चलने वाले अधिकारी माने जाते हैं पर चुनाव आयोग का तर्क है कि एपसीजी सुरक्षा प्राप्त किसी व्यक्ति के साजोसामान की तलाशी नहीं ली जा सकती.

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पर एक पेंच है. चुनाव आयोग को ये बताना होगा कि अगर SPG सुरक्षा प्राप्त नेता चुनाव प्रचार कर रहा हो तब भी क्या उसके सामान की तलाशी नहीं ली जाएगी, खासकर तब जब चुनाव में काला धन बड़े पैमाने पर लगने की शिकायत आ रही हो !! मोदी जी अगर पीएम हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि उनको इस देश के नियम-कायदे से छूट मिल गई है, जिसकी दुहाई चुनाव आयोग दे रहा है. अभी हाल में एक घटना हुई, जिससे इस बात की सख्त जरूरत समझी गई कि चुनाव आयोग द्वारा तैनात अफसर हर मंत्री-संतरी के सामान की तलाशी ले.

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दिख रहा था कि मोदी जी के हेलिकॉप्टर से एक बड़ा काला बक्सा उतारा गया और एक निजी वाहन में रखा गया. फिर वह प्राइवेट गाड़ी बक्से को लेकर तेजी से वहां से निकल गई. इस पर पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और नाराजगी के साथ-साथ हैरत भी जताया. उन्होंने कहा कि जब हम मंत्री थे और चुनाव प्रचार को जाते थे तो सबसे पहले हमारे सामान की तलाशी चुनाव आयोग द्वारा तैनात अफसर लेते थे. उसके बाद ही हम आगे बढ़ सकते थे. Free and Fair इलेक्शन के लिए ये जरूरी है.

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इस हिसाब से मोदी जी के हेलिकॉप्टर की जो तलाशी ली गई, वह नियम के अनुसार था. अब चुनाव आयोग इसमें एसपीजी प्रोटोकॉल को घुसेड़ रहा है. तो इस हिसाब से क्या राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साजोसामान की भी तलाशी नहीं ली जाती है क्योंकि उन्हें भी एसपीजी कवर मिला हुआ है. ये जांच का विषय है कि क्या नियम के अनुसार राहुल के साजोसामान की तलाशी ली जाती है या एसपीजी सुरक्षा के कारण उन्हें भी छूट है. कांग्रेस पार्टी और खुद राहुल गांधी को सामने आकर देश को सच्चाई बतानी चाहिए और चुनाव आयोग को या तो क्लीनचिट देनी चाहिए या फिर उन्हें एक्सपोज करना चाहिए.

वैसे मोदी जी के हेलिकॉप्टर से उतारे गए जिस काले बक्से पर आज तक रहस्य बरकरार है, उसके बारे में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने गंभीर सवाल उठाए थे, जिसकी जांच चुनाव आयोग ने क्यों नहीं कराई, ये भी एक रहस्य है. क्या मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को मोदी जी से डर लगता है या फिर वे जानबूझकर खामोश हैं ? आनंद शर्मा ने पूछा था कि अगर मोदी जी के हेलिकॉप्टर से उतारा गया संदिग्ध काला बक्सा उनकी सुरक्षा के साजोसामान का हिस्सा था, तो फिर उसे किसी प्राइवेट गाड़ी में क्यों रखा गया ? फिर तो उसे पीएम के काफिले के साथ चलना चाहिए था ना !! अगर वह मोदी जी की सुरक्षा का पार्ट था, तो जाहिर सी बात है कि वह मोदी जी के काफिले के साथ चलता. पर वह किसी प्राइवेट गाड़ी में रखा गया और वो गाड़ी उसे लेकर गायब हो गई. तो फिर उसमें क्या था ??!! शिकायत के बावजूद चुनाव आयोग ने इस बात की जांच क्यों नहीं की ??!! ये देश को जानने का हक है कि उस बक्से में मोदी जी अपने साथ क्या लेकर गए थे ? दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए.

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सच कहूं तो मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में चुनाव आयोग बीजेपी की बी-टीम की तरह लग रहा है. मोदी जी सेना के शहीदों के नाम पर वोट मांग रहे हैं पर चुनाव आयोग आदर्श चुनाव संहिता के इस गंभीर उल्लंघन पर एक्शन नहीं ले रहा. योगी आदित्यनाथ और मायावती के खिलाफ भी उसने तब कार्रवाई की, जब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को लताड़कर अगले दिन कोर्ट में तलब कर लिया कि कल आइयो. हम बताएंगे कि तुम्हारे पास कितनी ताकत संविधान ने दी है. फिर आनन-फानन में चुनाव आयोग ने योगी और मायावती के खिलाफ कार्रवाई की. अगले दिन कोर्ट ने चुनाव आयोग को लताड़ लगाते हुए कहा कि लगात है हमने आपको अपनी ताकत का एहसास करा दिया है.

अब सोचिए कि देश के चुनाव आयोग के लिए इससे शर्मनाक स्थिति क्या होगी कि सुप्रीम कोर्ट लताड़ के कह रहा है कि आप लोगों को अपनी ताकत का एहसास हुआ या नहीं ?? या हम बताएं कि संविधान ने आपको क्या-क्या शक्तियां दी हैं ??!! तो जो चुनाव आयोग खुलेआम इस तरह का पक्षपात कर रहा हो, वो देश में निष्पक्ष चुनाव कैसे करा सकता है, ये आप मुझे बता दीजिए या सुप्रीम कोर्ट को बता दीजिए. दरअसल हमारे देश में कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष चिरकुट है वरना इन मामलों पे सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर मुख्य चुनाव आयुक्त यानी चुनाव आयोग को नाप देता. देखा नहीं आपने कि बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने -चौकीदार चोर है- वाले बयान पे कैसे राहुल गांधी को तुरंत सुप्रीम कोर्ट घसीट लिया !!!

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लेकिन ये कांग्रेसी और पूरी विपक्ष नाकारा और लापरवाह है. सिर्फ रैलियां करने और भाषण देने से चुनाव नहीं जीते जाते. ये भी जरूरी है कि चुनाव निष्पक्ष हों. अब देखिए ईवीएम का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में ये अब ले के गए हैं कि कम से कम 50 फीसद VVPAT पर्चियों का मिलान चुनाव आयोग सुनिश्चित करे. लेकिन बेईमानी पर उतर चुका चुनाव आयोग बेशर्मी से कह रहा है कि इसके चलते रिजल्ट आने में 5-6 दिन की देरी हो जाएगी. इन बेईमानों को ये नहीं मालूम कि जब देश में पहले चुनाव होने थे और पीएम नेहरू ने तत्कालीन चुनाव आयुक्त से कहा कि जल्दी से चुनाव करवाकर नतीजे जल्द घोषित करवाने की कृपा करें तो पता है कि तब के चुनाव आयोग के पहले मुखिया ने नेहरू को क्या जवाब दिया था ?? उन्होंने कहा था कि पीएम नेहरू !! ये जरूरी नहीं कि चुनाव जल्द हों और नतीजे जल्दी आएं. बल्कि जरूरी ये है कि चुनाव निष्पक्ष हों, एक-एक वोट की कीमत सही आंकी जाए और पारदर्शिता रहे. सभी पार्टियों को इस चुनावी प्रक्रिया में बराबर का विश्वास हो. रिजल्ट में देरी हो, कोई बात नहीं. पर काम निष्पक्ष होना चाहिए.

अब आप वर्तमान चुनाव आयोग की तुलना उस वक्त के चुनाव आयोग से करिए. ये लोग 6 दिन की देरी से बिलबिलाए जा रहे हैं और देश के पहले चुनाव में चुनाव आयोग कह रहा था कि देरी हो तो हो, पर चुनाव निष्पक्ष होना चाहिए. अब ये सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि आग लगने पर कुआं खोदने सुप्रीम कोर्ट गए पूरे विपक्ष की बात मानकर वह 50 फीसदी VVPAT पर्चियों के मिलान का आदेश चुनाव आयोग को देता है या फिर हाल में ही दिए अपने पुराने फैसले पर अड़ा रहता है कि सिर्फ 5 फीसद पर्चियों का मिलान ही काफी है.

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दरअसल ये चुनाव देश की दो निष्पक्ष सांवैधानिक संस्थाओं, चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट की भी परीक्षा है. इस परीक्षा में मोदी जी के प्रति खुलेआम अपनी भक्ति दिखाकर चुनाव आयोग खासकर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा तो फेल हो चुके हैं, सुप्रीम कोर्ट से थोड़ी आस अभी बाकी है. ये देखना होगा कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई जाते-जाते देश के इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराते हैं या फिर इंसाफ की देवी की तरह आंखों पर पट्टी बांधकर एक तरफा पलड़ा झुका देते हैं. इस चुनाव में ये तय होगा कि देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया या फिर देश के लोकतंत्र को बाजार में बिक जाने दिया. ये समय बताएगा.

फेसबुक पर सक्रिय और लेखन के लिए चर्चित विक्रम सिंह चौहान, उपासना झा और नदीम अख्तर की एफबी वॉल से.

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1 Comment

1 Comment

  1. एस मिश्र

    July 19, 2019 at 10:58 pm

    मोहम्मद मोहसिन जैसे पाकिस्तान परस्त लोगों से यही आशा की जा सकती है कि वह दुनिया के सबसे लोकप्रिय व भारत माता के सबसे प्रिय सपूत परम आदरणीय मोदी जी के हेलीकॉप्टर की तलाशी लेकर केवल अपना नाम प्रसिद्ध कराना चाहा था, उसे यह लगा होगा कि अबकी बार मोदी जी की सरकार नहीं बनेगी और देशद्रोहियों की सरकार बनी तो इसे मोदी जी के हेलीकॉप्टर चेकिंग करने के एवज में मलाईदार पदों पर नियुक्ति मिल
    जायेगा।

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