Prabhat Ranjan Deen : मैं गया वक्त नहीं, जो लौट कर न आऊंगा..! प्रिय साथियो..! इधर एक लंबे अंतराल के बाद आपके समक्ष लिखंत में हाजिर हूं। वदंत और दिखंत (ऑडियो एंड विज़ुअल) के जरिए मैंने लगातार आपके साथ विचार-संवाद बनाए रखा। टीवी चैनल पर जो कुछ भी मैं आमजन के सरोकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों की हिफाजत के उद्देश्य से कर सकता था, वह किया। छोटे अंतराल में ही सही।
‘इंडिया-वाच’ समाचार चैनल के प्रति मैं आभारी हूं कि उसने मेरी स्वतंत्र चिंतन शैली में कोई व्यवधान नहीं डाला और अभिव्यक्ति का मंच दिया। भांड-धारा के विपरीत चलने का जोखिम मेरे साथ-साथ इस चैनल ने भी उठाया। यह जोखिम चाहे जितने दिन का भी रहा, आज के चाटुकार-काल में किसी न्यूज़ चैनल के लिए तो यह दुर्लभ (rare) ही है। इसके लिए ‘इंडिया-वाच’ के प्रति हार्दिक आभार का भाव तो बनता है।
यह बात दीगर है कि व्यक्तिगत तौर पर मुझे जोखिम उठाने की आदत पड़ चुकी है। जोखिम उठाने का खामियाजा भी उठाना पड़ता है, लेकिन इसका अपना फक्कड़ाना-आनंद है। जो जोखिम उठाएगा, सूफियाना-आनंद का स्वाद भी वही उठाएगा।
अनुभव की गीता इसी तरह तो गहराती है। अनुभव से बड़ा धर्मग्रंथ कोई और नहीं, अगर गहराई से उतरकर उसे पढ़ा और आत्मसात कर लिया। लेकिन अनुभव-ग्रंथ के अध्ययन की प्राथमिक शर्त है, उसमें लिप्त नहीं होना… निस्पृह भाव से उसका अध्ययन करना और उसे समृद्ध करते जाना…
अपनी इसी अनुभव-गीता को समृद्ध करने की शक्ति बटोरने और उसे संचरित करने के लिए मैं कुछ दिनों के लिए खुद को समेट रहा हूं… नए आकाश में छलांग लगाने के लिए… ‘मैं गया वक्त नहीं जो लौट कर न आऊंगा’… मैं जल्दी लौटूंगा, उसी नैतिक-ऊर्जा के साथ, एक नए मंच पर…
आपकी शुभकामनाएं मेरे लिए शक्ति का अहम स्रोत हैं… ‘चेहरे वाली किताब’ के जरिए आपके साथ संवाद बना रहेगा…
आपका
प्रभात रंजन दीन
यूपी के वरिष्ठ पत्रकार प्रभात रंजन दीन की एफबी वॉल से.
Comments on “‘इंडिया वाच’ चैनल पर अब न दिखेंगे प्रभात रंजन दीन”
वहुत सुंदर प्रभात जी।
जल्द ही बापस लौटे नए धमाके के साथ ऐसी मेरी शुभकामनाये
Dhanyawad…