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काला धन और टैक्स चोरी का प्रकरण जब-जब उठेगा, अमिताभ बच्चन का नाम जरूर आएगा!

पनामा पेपर्स के बाद अब पैराडाइज़ पेपर्स में भी अमिताभ बच्चन का नाम! जहां कहीं टैक्स चोरी और काला धन का नाम आता है तो उसमें अमिताभ बच्चन जरूर होता है. कौन बनेगा करोड़पति के पहले सीजन के बाद अमिताभ ने एक विदेशी कंपनी में पैसा लगाया था. इंडियन एक्सप्रेस में Paradise Papers Leak के भारत के मामले की खबर आज छपी है. इंडियन एक्सप्रेस इंटरनेशनल कॉन्सार्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट यानि आईसीआईजे का सदस्य है.

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पनामा पेपर्स के बाद अब पैराडाइज़ पेपर्स में भी अमिताभ बच्चन का नाम! जहां कहीं टैक्स चोरी और काला धन का नाम आता है तो उसमें अमिताभ बच्चन जरूर होता है. कौन बनेगा करोड़पति के पहले सीजन के बाद अमिताभ ने एक विदेशी कंपनी में पैसा लगाया था. इंडियन एक्सप्रेस में Paradise Papers Leak के भारत के मामले की खबर आज छपी है. इंडियन एक्सप्रेस इंटरनेशनल कॉन्सार्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट यानि आईसीआईजे का सदस्य है.

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आईसीआईजे ने कर चोरों के स्वर्ग माने जाने वाले देशों की कंपनियों से मिले एक करोड़ 34 लाख दस्तावेज में भारत से संबंधित दस्तावेज की पड़ताल इंडियन एक्सप्रेस को सौंपी. इस खुलासे से पता चलता है कि अमिताभ बच्चन ने केबीसी 2000-02 में प्रसारित पहले सीजन के बाद बरमूडा की एक डिजिटल मीडिया कंपनी में हिस्सेधार बना. साल 2004 में भारतीय रिजर्व बैंक के नियमानुसार सभी भारतीयों को विदेश में निवेश की जानकारी आरबीआई को देनी होती थी.  अमिताभ बच्चन और सिलिकॉन वैली के वेंचर इन्वेस्टर नवीन चड्ढा ‘जलवा मीडिया लिमिटेड’ के 19 जून 2002 को शेयरधारक बने. यह जानकारी बरमूडा की कंपनी एप्पलबी के दस्तावेज से मिली है. ये कंपनी बरमूडा में 20 जुलाई 2002 को बनी. साल 2005 में इसे खत्म कर दिया गया.

जलवा मीडिया की स्थापना चार भारतीय एंटरप्रेन्योर ने कैलिफोर्निया में की थी. इसकी भारतीय इकाई जलवा डॉट कॉम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड जो बाद में जलवा मीडिया इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में कनवर्ट हो गई, फरवरी में बनी. बाद में जुलाई में बरमूडा में एक तीसरी कंपनी बनी. जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung को बरमूडा की कंपनी एप्पलबी, सिंगापुर की कंपनी एसियासिटी ट्रस्ट और कर चोरों के स्वर्ग समझे जाने वाले 19 देशों में कराई गई कार्पोरेट रजिस्ट्रियों से जुड़े करीब एक करोड़ 34 लाख दस्तावेज मिले. जर्मन अखबार ने ये आईसीआईजे के साथ साझा किया. इंडियन एक्सप्रेस ने आईसीआईजे का सदस्य होने के नाते भारत से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल की.

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जुलाई 2000 में जलवा-इंडिया ने कंपनी में करीब 32 लाख डॉलर का निजी निवेश हासिल करने की घोषणा की थी. निवेशकों में कैलिफोर्निया के बिजट्रो चेयरमैन नवीन चड्ढा भी शामिल थे. जलवा मीडिया ने 1.5 करोड़ डॉलर वेंचर इन्वेस्टमेंट हासिल करने को अपना लक्ष्य बताया. जलवा मीडिया को इस निवेश से पहले ही लंदन के मिलेनियम डोम से इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकैडमी के लाइव वेबकास्ट का अधिकार मिल चुका था. कंपनी ने अक्टूबर 2000 में ‘देखो फिल्म डॉ़ट कॉम’ नामक वेबसाइट लॉन्च की. इसने अमेरिकी कंपनी आईबीएम से जून 2001 में मीडिया एंड एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की वेबसाइट के लिए एक कंटेट मैनेजमेंट सोल्यूशन देने का समझौता किया. जलवा ने मुंबई में अपना डिजिटल मीडिया इन्नोवेशंस लैब्रोटरी की भी शुरुआत की. आईबीएम से समझौते के साल भर बाद अमिताभ बच्चन और चडढा को एप्पलबी के जलवा-बरमूडा दस्तावेज में निवेशक बताया गया.

इस कंपनी से जुड़े तीन लोगों उर्शित पारिख, गौतम आनंद और शैलेंद्र पी सिंह ने साल 2004 तक कंपनी छोड़ दी. 28 अक्टूबर 2005 को द बरमूडा सन अखबार में नोटिस प्रकाशित हुई कि जलवा बरमूडा कर्जदार है और उसे भंग किया जाता है. एप्पलबी ने भी जलवा बरमूडा को 14 जनवरी 2004 से सेवाएं देना बंद कर दिया. जलवा इंडिया कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय की “ईजी एग्जिट स्कीम 2011” के आने तक कागज पर मौजूद रही. कंपनी ने इस योजना का लाभ उठाते हुए बताया कि कंपनी कारोबार सफल न होने से छह सालों से निष्क्रिय है.

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