काला धन और टैक्स चोरी का प्रकरण जब-जब उठेगा, अमिताभ बच्चन का नाम जरूर आएगा!

पनामा पेपर्स के बाद अब पैराडाइज़ पेपर्स में भी अमिताभ बच्चन का नाम! जहां कहीं टैक्स चोरी और काला धन का नाम आता है तो उसमें अमिताभ बच्चन जरूर होता है. कौन बनेगा करोड़पति के पहले सीजन के बाद अमिताभ ने एक विदेशी कंपनी में पैसा लगाया था. इंडियन एक्सप्रेस में Paradise Papers Leak के भारत के मामले की खबर आज छपी है. इंडियन एक्सप्रेस इंटरनेशनल कॉन्सार्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट यानि आईसीआईजे का सदस्य है.

पैराडाइज पेपर्स में फंसा भाजपा सांसद आरके सिन्हा ने लिख कर कहा- ‘सात दिन के भागवत यज्ञ में मौन व्रत हूं’

Shahnawaz Malik : साल 2017 की‌ सबसे बड़ी ख़बर पैराडाइज़ पेपर्स के मार्फ़त कर चोरी और काले धन पर हुआ ख़ुलासा है। और, किसी रिपोर्टर को साल 2017 में दिया गया सबसे शानदार जवाब आरके सिन्हा का है। सवाल पूछने पर रिपोर्टर से कलम मांग कर सिन्हा ने काग़ज़ पर लिख दिया, ‘सात दिन के भागवत यज्ञ में मौन व्रत हूं’…

पैराडाइज पेपर्स में अमिताभ बच्चन, आरके सिन्हा, जयंत सिन्हा समेत 714 भारतीयों के नाम

Priyabhanshu Ranjan : दि इंडियन एक्‍सप्रेस ने रविवार रात 12.30 बजे से पैराडाइज़ पेपर्स पर 40 किस्‍तों पर अपनी स्‍टोरी की श्रृंखला शुरू की है लेकिन इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्‍ट्स की वेबसाइट से पता चलता है कि ऑफशोर कंपनियों में पैसा लगाने वाले दो बड़े नेताओं का नाम कुल 714 लोगों की सूची में शामिल है। ये दोनों नेता सत्‍ताधारी पार्टी बीजेपी से हैं- सांसद आरके सिन्‍हा और नागरिक उड्डयन मंत्री जयन्‍त सिन्‍हा।

साल 2017 की‌ सबसे बड़ी ख़बर… पैराडाइज़ पेपर्स के मार्फ़त कर चोरी और काले धन पर ख़ुलासा…

Dilip Khan : पनामा पेपर्स में जिनके नाम थे उनमें से कुछ को मोदी जी ने ब्रैंड एंबैसेडर बना लिया, कुछ ज़ुबां केसरी बोलने लगे, कुछ समय-समय पर सरकार को “नीतिगत” समर्थन जताने लगे। एक को ये सब करने की ज़रूरत नहीं पड़ी क्योंकि वो ख़ुद बीजेपी में थे और एक के छोटे भाई का नाम गौतम अडानी है, तो उन्हें किसी चीज़ का डर क्यों हो! अब पैराडाइज़ पेपर्स वालों के लिए पहले से एक मॉडल तैयार है। वो चाहे तो पनामा वालों की कॉपी कर सकते हैं। इनमें तो केंद्रीय मंत्री तक के नाम शामिल है। वे कोई न कोई व्यवस्था कर ही देंगे। दो दिन बाद सरकार काला धन विरोधी दिवस मना कर इन्हें भी ब्रैंड एंबैसेडर बना सकती है।

हिन्दी के पाठकों को आज का अंग्रेज़ी वाला इंडियन एक्सप्रेस ख़रीद कर रख लेना चाहिए

Ravish Kumar : इंडियन एक्सप्रेस में छपे पैराडाइस पेपर्स और द वायर की रिपोर्ट pando.com के बिना अधूरा है… हिन्दी के पाठकों को आज का अंग्रेज़ी वाला इंडियन एक्सप्रेस ख़रीद कर रख लेना चाहिए। एक पाठक के रूप में आप बेहतर होंगे। हिन्दी में तो यह सब मिलेगा नहीं क्योंकि ज्यादातर हिन्दी अख़बार के संपादक अपने दौर की सरकार के किरानी होते हैं। कारपोरेट के दस्तावेज़ों को समझना और उसमें कमियां पकड़ना ये बहुत ही कौशल का काम है। इसके भीतर के राज़ को समझने की योग्यता हर किसी में नहीं होती है। मैं तो कई बार इस कारण से भी हाथ खड़े कर देता हूं। न्यूज़ रूम में ऐसी दक्षता के लोग भी नहीं होते हैं जिनसे आप पूछकर आगे बढ़ सकें वर्ना कोई आसानी से आपको मैनुपुलेट कर सकता है।