दैनिक भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार संजय सैनी को भास्कर मैनेजमेंट ने एक बार फिर रिमाइंडर देकर 21 मई तक रांची के लोहरडागा में ज्वाइन करने की अंतिम चेतावनी दी है जिसका सैनी ने भास्कर मैनेजमेंट को करारा जवाब दिया है। उनके जवाब पर भास्कर मैनेजमेंट अब बगले झांक रहा है। संजय सैनी की ओर से दिया गया जवाब इस प्रकार है-
17 मई 2015
वंदना सिन्हा
एच.आर. हैड
दैनिक भास्कर
राजस्थान जयपुर
विषय : कंपनी प्रबंधन का 6 मई का पत्र (जो 15 मई को मिला) के जवाब के संबंध में।
उपरोक्त विषयांतर्गत निवेदन है कि प्रार्थी कामगार की ओर से 1 जनवरी 2015 को मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना का केस करने के बाद कंपनी प्रबंधन की ओर से लगातार मुझे प्रताडि़त किया जा रहा है। मुझ पर केस वापस लेने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है। मेरे केस वापस लेने से मना करने के बाद दुर्भावनावश और अवैधानिक तरीके से मेरा डेपुटेशन रांची किया गया है। इसका उदाहरण नेशनल सेटेलाइट एडीटर श्री ओम गौड़ का 3 मार्च का कथन कि-‘तुमने कंपनी के खिलाफ केस करके गलती की है। तुमने कंपनी की पॉलिसी के खिलाफ जाकर काम किया है। इस कारण तुम्हारा डेपुटेशन किया गया है।’ इसके बाद 3 मार्च को ही स्टेट एडीटर श्री लक्ष्मीप्रसाद पंत का कथन कि ‘तुमने केस वापस नहीं लिया तो तुम्हें और तुम्हारे परिवार को जेल भेज देंगे। तुमने कंपनी के खिलाफ केस किया है तो इसके नतीजा भुगतने के लिए भी तैयार रहना होगा।’
इससे पूर्व एच.आर. मैनेजर जोगेन्दर सिंह और सिटी प्रभारी सतीश कुमार सिंह ने 25 फरवरी को दिन में 12 बजे एक कमरे में बुला कर कुछ कागजों पर प्रार्थी कामगार के जबरन हस्ताक्षर करवा लिए। केस वापस लेने के लिए शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कराने की कोशिश की।
इन तमाम सबूतों की वीडियो रिकार्डिंग और तथ्यों के आधार पर प्रार्थी कामगार ने अपने डेपुटेशन आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है। हालांकि इस पर आदेश अभी नहीं हुए हैं पर यह मामला अब सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में कंपनी प्रबंधन की ओर से बार-बार डेपुटेशन पर जाने के आदेश देना, नहीं जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की धमकी देना अवमानना के स्तर को और भी बढ़ाता है। ऐसे में प्रार्थी कंपनी प्रबंधन पर आपराधिक अवमानना की कार्रवाई कर सकता है।
प्रार्थी अपनी बीमारी के दौरान सरकारी डॉक्टर से 27 मार्च 15 तक का मेडिकल अवकाश दे चुका था। उसके बाद भी कंपनी प्रंबधन ने अपने पैनल के डाक्टर के साथ मिल कर मेडिकल चैकअप के बहाने प्रार्थी कामगार की बीमारी में भी उसके जीवन से खिलवाड़ करने और जीवन को नुकसान पहुंचाने का षडयंत्र किया। इससे प्रार्थी डर गया कि कंपनी प्रबंधन मैनेज करके प्रार्थी और उसके परिवार को नुकसान पहुंचाने के लिए कोई भी एक्सीडेंट करा सकता है। इससे प्रार्थी मानसिक अवसाद में आ गया।
प्रार्थी ने अपने मनोचिकित्सक डा. तुषार जगावत की मेडिकल उपचार की पर्ची 28 मार्च 15 को ही मेल कर दी। ऐसी स्थिति में प्रार्थी को अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार, राज्य मानवाधिकार से गुहार करनी पड़ी।
प्रार्थी कामगार के नियुक्ति पत्र (19 अगस्त 2004) के अनुसार प्रार्थी की नियुक्ति जयपुर में हुई थी। प्रार्थी के नियुक्ति आदेश में जयपुर से बाहर तबादला करने/डेपुटेशन पर भेजने संबंधी भेजने का कोई ब्यौरा नहीं है। ऐसे में प्रार्थी कामगार को तीन महीने के लंबे समय से जयपुर से बाहर नहीं भेजा जा सकता।
दैनिक भास्कर प्रबंधन ने आज तक स्थाई आदेश जारी नहीं किए जो औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश )अधिनियम 1946 के तहत जरूरी है। ऐसे में कंपनी प्रबंधन पर राज्य सरकार के आदर्श स्थायी आदेश लागू होते हैं। इन आदेशों के तहत कंपनी प्रबंधन किसी भी कर्मचारी को दूसरे राज्य में डेपुटेशन पर भेजने के लिए कर्मचारी की सहमति लेना आवश्यक है। जो प्रार्थी कामगार से नहीं ली गई। ऐसे में प्रार्थी के डेपुटेशन आदेश अवैध और गैरकानूनी है। इसे निरस्त किया जाए।
प्रार्थी
(संजय कुमार सैनी)
प्रतिलिपि
रजिस्ट्रार जनरल,
सर्वोच्च न्यायालय,नई दिल्ली
सिविल अवमानना याचिका नंबर
107/2015 से संबद्ध
श्री ओम गौड,
नेशनल सेटेलाइट एडीटर
दैनिक भास्कर
Mahesh Kumar saini
May 18, 2017 at 3:50 pm
मैं पत्रकार बनना चाहता हूं मैं पहले युनिट टु डे काम किया है
में भास्कर जमीन करना चाहता हूं