केजरीवाल ने 10 साल के राजनीतिक जीवन में कई बड़ी ग़लतियां की हैं। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को निकालना उनकी बड़ी ग़लतियों में से एक है।
एग्जिट पोल के नतीज़ों को देखें तो लगता है, किस्मत उन्हें अपनी ग़लतियां सुधारने का फिर एक मौका दे रही है।
ये मौका ज़्यादा खास है, क्योंकि कांग्रेस वाली ज़मीन लगभग खाली है। केजरीवाल अपने राजनीतिक प्रयोग को राष्ट्रीय स्तर पर ले जा सकते हैं। इसके लिए उनकी संगठनात्मक क्षमता और सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत बनाने की ज्यादा जरूरत है।
केजरीवाल को एकाधिकारवाद, अहंकार छोड़कर विनम्र बनना होगा। ताक़त बढ़ाने के लिए उन्हें नए-पुराने अच्छे लोगों को जोड़ना पड़ेगा, जो आंदोलनों को नहीं, राजनीति को समझते हों।
वे 2017 में पंजाब का चुनाव हारने के बाद ‘सहकारी संघवाद’ की शरण में आ गए और ‘केंद्र में मोदी, राज्य में केजरीवाल’ के सिद्धांत पर ज़ोर देने लगे। इसके पीछे 2020 में मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने का उद्देश्य था, जो लगता है पूरा हो गया है।
अब देश के पास मोदी के गुजरात मॉडल के मुकाबले दिल्ली मॉडल है।
दिल्ली की जीत में प्रशांत किशोर का बड़ा हाथ है। यही प्रशांत किशोर 2017 में केजरीवाल को हराने वाले कृष्ण बने थे। अगर प्रशांत किशोर आप में शामिल होते हैं तो बीजेपी के लिए बिहार का रास्ता और मुश्किल होगा।
आप की दिलचस्पी पंजाब के साथ हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड और गोवा में भी है। शुरुआत बिहार से हो सकती है।
खुद को राष्ट्रीय भूमिका के लिए तैयार दिखाने के लिए नरेंद्र मोदी को अपनी छवि बनाने में कई साल लगे थे।
केजरीवाल के लिए शायद ये उपयुक्त रहेगा कि वे दिल्ली की मुख्यमंत्री की कुर्सी उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के लिए छोड़ दें और खुद को मोदी के विकल्प के रूप में तैयार करें।
हालांकि इसमें बड़ा जोखिम है और केजरीवाल शायद ही इतना बड़ा रिस्क उठाएंगे। अगर उन्हें खुद को सिर्फ दिल्ली का सीएम बनकर ही खुशी हो तो लाज़िम है कि इतिहास उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा।
पत्रकार और एक्टिविस्ट सौमित्र रॉय की एफबी वॉल से।
Comments on “केजरीवाल CM की कुर्सी सिसोदिया के लिए छोड़ें और खुद को मोदी का विकल्प बनाएं!”
बिहार की राजनीति और दिल्ली की राजनीति में बहुत फ़र्क है। बिहार की राजनीति समझने के लिए केजरीवाल को अभी और मेहनत करना होगा और बात अगर प्रशांत किशोर की कर रहे हैं तो बता दें ये उगते सूरज को प्रणाम करते हैं। खुद को बहुत बड़ा रणनीतिकार समझते हैं तो आरजेडी को इस बार सरकार में लाकर दिखाएं तो समझे।
Kyu faltu me bali ka bakra banana chahte he. Ye koshish vo pahle kar chuke he. Rajyon ki baat chhodiye bhaisaab modi koi khilona nahi he desh me to unka hi shashan rahega inhi kejriwal ke shashan me loksabha ke chunav hue the or sabhi seat bjp jeeti