खाप बनाम संत होता जा रहा है पहलवानों का संघर्ष!

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सुरेश बहादुर सिंह, लखनऊ

महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों का सामना कर रहे भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह और पहलवानों की लड़ाई अब जातीय और धार्मिक लड़ाई में बदल रही है। पहलवानों के समर्थन में जहां खाप पंचायतें उतर आई हैं वही दश के संतो ने भी बृजभूषण शरण को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।

ज्ञात हो कि महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। बृजभूषण शरण सिंह ने इन आरोपों को एक सिरे से खारिज करते हुए उसे अपने खिलाफ एक राजनीतिक साजिश करार दिया था। बृजभूषण शरण सिंह ने पहलवानों को खुली चुनौती देते हुए कहा था कि अगर उनके खिलाफ आरोप साबित हुए तो वह फांसी पर लटक जाएंगे। हालांकि अभी तक पहलवानों ने उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए हैं, सबूतों के अभाव में दिल्ली पुलिस ने भी बृजभूषण के खिलाफ कोई कार्यवाही करने से मना भी कर दिया है।

पहलवानों ने सरकार और दिल्ली पुलिस पर दबाव बनाने के लिए घोषणा की थी कि अगर बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी नहीं की गई तो वह अपने मेडल गंगा में बहा देंगे, सारे पहलवान अपने मेडल गंगा में बहाने हरिद्वार पहुंच भी गए थे लेकिन उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत के अनुरोध पर अपना फैसला वापस ले लिया। राकेश टिकैत खुलकर पहलवानों के समर्थन में आ गए हैं और उन्होंने पहलवानों को समर्थन देने के लिए खाप पंचायत की बैठक बुलाई है। उन्होंने इस बैठक में पहलवानों के आंदोलन को और तेज धार देने की योजना बनाने की तैयारी की है।

दूसरी तरफ पहलवानों के इस दबाव को नकारते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि मेडल गंगा में बहा देने से उन्हें फांसी नहीं हो जाएगी,क्योंकि उसके लिए पुलिस और कोर्ट को सबूत देना चाहिए। उन्होंने एक बार फिर पहलवानों को चुनौती देते हुए कहा कि अगर एक भी आरोप उनके ऊपर सिद्ध हो गया तो वह खुद ही फांसी पर लटक जाएंगे। उन्होंने कहा कि पहलवानों के इमोशनल ड्रामा से उन्हें कोई फायदा होने वाला नहीं है।उन्होंने आगामी 5 जून को अयोध्या में होने वाले जनचेतना महारैली में भी लोगों से भारी से भारी संख्या में पहुंचने की अपील की है।

महिला पहलवानों ने बृज भूषण के खिलाफ काफी दिनों से जंतर मंतर पर धरना देते हुए उनके गिरफ्तारी की मांग की थी सरकार जब इन पहलवानों के दबाव में नहीं झुकी तो पहलवानों ने जंतर-मंतर से संसद तक मार्च निकालने का फैसला किया था और सरकार ने उन्हें मार्च निकालने की अनुमति नहीं दी थी। फलस्वरुप वो मार्च नहीं निकाल सके। सरकार के फैसले से नाराज होकर पहलवानों ने अपने मेडल गंगा में फेंकने का ऐलान कर दिया था जिसे किसान नेता राकेश टिकैत के अनुरोध पर फिलहाल कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है ।

महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों का सामना कर रहे भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से निपटने के लिए संतों के शरण में आ गए उन्होंने देश के सभी संतो से अनुरोध किया कि वह उनके समर्थन में उतरें और उन्हें न्याय दिलाएं।उन्होंने संतो को आश्वस्त किया कि राजनीतिक कारणों से उन्हें इन आरोपों में फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को उन्हीं की भाषा में जवाब देंगे। देश के लगभग सभी संतो ने बृजभूषण शरण सिंह को आशीर्वाद देते हुए कहा कि वह उनके साथ खड़े हैं और 5 जून की महारैली में ये सभी संत भारी संख्या में भाग लेंगे और सरकार से मांग करेंगे कि श्री सिंह पर लगाए गए गलत आरोपों का पर्दाफाश करें और उन्हें दोषमुक्त करें।

खाप पंचायतें जिस तरह से पहलवानों के समर्थन में उतर आई हैं और देश के प्रमुख संत जिस तरह बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन में उतर आए हैं उसे जाति और धार्मिक संघर्ष का खतरा पैदा हो गया है। यह लड़ाई एक विकराल रूप धारण करने की दिशा में आसार हो रही है। महिला पहलवानों को जहां राजनीतिक दलों का और खाप पंचायतों का समर्थन मिल रहा है वहीं संतो के समर्थन से बृजभूषण शरण सिंह भी अपने अपने विरोधियों पर भारी पड़ते हुए दिख रहे हैं।

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Comments on “खाप बनाम संत होता जा रहा है पहलवानों का संघर्ष!

    • Absolutely right… Now the media is just like the PET DOGS of Modi and their disciples…. Shame on them….

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