Sanjaya Kumar Singh : निराधार नहीं हैं स्वाति मालीवाल के आरोप पर “खबर” तो एफआईआर ही है…. आप जानते हैं कि दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो ने एफआईआर लिखाई है। स्वाति के खिलाफ आयोग की पूर्व अध्यक्ष बरखा शुक्ला ने आरोप लगाया है कि स्वाति ने 85 लोगों को आवेदन किए बिना ही दिल्ली महिला आयोग में नौकरी पर रख लिया। इस मामले में स्वाति से सोमवार को दो घंटे पूछताछ भी की गई थी। एसीबी ने स्वाति को 27 सवाल भेजे हैं, जिनका जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है।
मामला दर्ज होने के बाद स्वाति मालीवाल ने कहा था कि सारी राजनीतिक पार्टियों में ऐसे लोग है, जिन्हें उनका काम पंसद नहीं आता है। इसलिए उनपर आरोप लग रहे है। अन्य मामलों की तरह इस मामले में भी स्वाति की मीडिया ट्रायल शुरू हो चुका हैं। “स्वाति मालीवाल को सता रहा है गिरफ्तारी का डर” – जैसी खबरें चल रही हैं। दूसरी ओर, स्वाति ने आरोप लगाया है कि एक केंद्रीय मंत्री और दिल्ली के नेता जीबी रोड पर कोठा चलाने से जुड़े हुए हैं और वे इस मामले की जांच कर रही हैं इसीलिए उन्हें फंसाया गया है। मैं नहीं जानता कि स्वाति के आरोप सही हैं या उनपर लगे आरोप गलत हैं। दोनों सही हो सकते हैं और दोनों गलत हो सकते हैं।
पर स्वाति के आरोप गंभीर हैं। एक बड़े रैकेट के हैं। स्वाति पर जो आरोप लगे हैं वे भ्रष्टाचार के हैं कुछ रुपयों के हो सकते हैं और संभव है तकनीकी गड़बड़ी ही हो और पैसे का कोई लेन-देन नहीं हुआ हो। पर प्राथमिकता किसे मिलनी चाहिए? और किसे मिल रही है। ऐसा नहीं है कि स्वाति के आरोप निराधार हैं। पिछले दिनों वेश्यावृत्ति के एक मामले में दिल्ली पुलिस ने अपने 42 लोगों का स्थानांतरण कर दिया था। यह इसी महीने की खबर है। जांच तो उसी समय शुरू हो गई होगी पर क्या हुआ मैं नहीं जानता। पर यह जानता हूं कि तबादला सजा नहीं है। अगर संबंध थे तो सिर्फ तबादला करके क्यों छोड़ दिया गया?
अब स्वाति मालीवाल पर एफआईआर हुई है। अगर आप इन सारी चीजों को जोड़कर देखेंगे तो मामला स्पष्ट है पर यह ऐसे ही “उलझा’ रहेगा। हो सकता है स्वाति मालीवाल गिरफ्तार भी हो जाएं पर रैकेट का खुलासा नहीं होगा। ना कोई यह कहेगा कि स्वाति के आरोप निराधार थे। अच्छी तरह जांच कर ली गई कुछ नहीं मिला। स्वाति के खिलाफ एफआईआर की खबरें तो खूब दिख रही हैं, उनका आरोप ज्यादा गंभीर है, और एफआईआर के कारण नजरअंदाज करने लायक नहीं है पर उसकी चर्चा अपेक्षाकृत बहुत कम है।
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह की एफबी वॉल से.
nkg
September 27, 2016 at 11:02 am
The only truth is that in this kaliyug, the most powerful lobby of media is the lifeline of all evil forces..