नोएडा में कोरोना पीड़ितों का बुरा हाल, सुनें एक मीडियाकर्मी की कहानी!
नोएडा उसी यूपी में आता है जिसके सीएम योगी आदित्यनाथ के बारे में मीडिया वाले बड़े बड़े दावे छापते दिखाते हैं कि यहां सब कुछ सही चल रहा है, कोरोना को पटक पटक कर मार दिया जा चुका है, सबको रोजगार मिल गया है, सारे अपराधी मारे जा चुके हैं या भाग चुके हैं. ऐसी बातें अखबारों-न्यूज चैनलों में पैसे देकर छपवाई-दिखाई जाती हैं. ये बात भी सब जानते हैं. इसके लिए करोड़ों का बजट है. पर जब इसी मीडिया में काम करने वाला कोई आम मीडियाकर्मी कोरोना का शिकार हो जाता है तो योगी राज के दावों की पोल खुल जाती है.
नोएडा में जिन सज्जन को डीएम बनाया गया है, उन्हें बहुत काबिल बताकर लाया गया है. पर काबिलियत का आलम ये है कि कोरोना पीड़ित मीडिया वाले ही अपने समुचित इलाज के लिए रो रहे हैं, गुहार लगा रहे हैं, वीडियो बना रहे हैं, ट्विटर-फेसबुक पर पोस्ट डाल रहे हैं.
न्यूज नेशन चैनल में कुलदीप काम करते हैं. उनका नोएडा में कोरोना का इलाज चल रहा है. कुलदीप ने ठीक से इलाज न किए जाने की बात जब ट्विटर पर शेयर कर दी तो बजाय सिस्टम दुरुस्त करने के, उन्हें स्वास्थ्य विभाग ने डिस्चार्ज कर दिया. योगी राज में यही हो रहा है. जो पोल खोलता है, वही धर लिया जाता है. जिसकी पोल खुलती है, वह सेफ रहता है.
कुलदीप का केस पहला नहीं है. इसके पहले भी कई मीडियावाले जिला प्रशासन की कोरोना व्यवस्थाओं की पोल खोल चुके हैं. एक मीडियाकर्मी तो हफ्ते भर तक क्वारंटाइन सेंटर में बंद रखा गया, इस इंतजार में कि इसकी कोरोना रिपोर्ट आ जाए. सात दिन में वह मीडिया वाला पागल-सा हो गया. उसने कहा कि उसकी रिपोर्ट भले ही पाजिटिव या निगेटिव आए लेकिन उसके पहले ही यहां बीमार होकर वह मर जाएगा. हालांकि बाद में उसके चीखने चिल्लाने पर जांच रिपोर्ट मंगाई गई जिसमें वह मीडियाकर्मी कोरोना मुक्त निकला. उन्हें फिर घर जाने दिया गया.
कुलदीप की पूरी कहानी उसकी जुबानी सुनिए… कुलदीप के वीडियो के अलावा उनके कुछ स्क्रीनशाट्स भी नीचे दिए जा रहे हैं-
देखें कुलदीप का वीडियो-
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