बहुत दिन नहीं बीते जब पाखी पत्रिका में डॉ.कुमार विश्वास का एक सामूहिक साक्षात्कार छपा था। प्रेम जी के सौजन्य से इस महात्मा से संवाद का मुझे पहली बार दुर्भाग्य प्राप्त हुआ था वरना कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसे आदमी से कभी मिलना पड़ेगा। यह राउंडटेबल करीब चार घंटे तक चला था लेकिन अंत में जो छपा, उसमें से बहुत कुछ छांट दिया गया। अवनीश मिश्रा, अविनाश मिश्रा और आकाश नागर इसकी गवाही दे सकते हैं।
बहरहाल, असल कथा यो है कि मुझे इस कुकवि के दो लंगोटिया यार मिले थे एक बार। एक बार क्या, लोकसभा चुनाव के दौरान। वे बता रहे थे कि विश्वास शर्मा जब अलवर में रहते थे, तो वे कितने बज्र दारूबाज और लड़कीबाज हुआ करते थे। विवरण दिलचस्प थे, लेकिन मेरा मोबाइल उस वक्त डिसचार्ज होकर बंद हो चुका था वरना रिकॉर्ड कर लिए होते। यही बात मैंने इन्हीं शब्दों में विश्वास से साक्षात्कार के दौरान पूछी थी कि क्या आप ऐसे थे, तो इस पर वे सन्नाटे में आ गए थे। उन्होंने इतना ज़रूर माना कि वे अलवर में रह चुके हैं, लेकिन दारूबाजी और लड़कीबाजी वाली बात उन्होंने सिरे से नकार दी, जैसा कि हर शरीफ़ इंसान को करना भी चाहिए।
इसके बाद हालांकि उन्होंने शराफ़त कम दिखायी। डाक साब की डिमांड पर यह साक्षात्कार छपने से पहले उनके पास संपादित करने के लिए भेजा गया था। ज़ाहिर है, साक्षात्कार में उनका सामूहिक आखेट कुछ इस कदर हुआ था कि छांटने को उनके पास बहुत कुछ नहीं था, फिर भी उन्होंने कई सवालों समेत अलवर वाला प्रसंग छांट दिया। पत्रिका के स्वामी और कवि-हापुड़ के अनन्य मित्र अपूर्व जोशी से आज मेरी गुज़ारिश है कि उक्त सामूहिक साक्षात्कार का अविकल-असंपादित वीडियो, ऑडियो और टेक्स्ट सार्वजनिक करें ताकि इस व्यक्ति के बारे में जनता थोड़ा और शिक्षित हो सके।
अभिषेक श्रीवास्तव के एफबी वॉल से