दैनिक जागरण के प्रमुख संपादक संजय गुप्ता और संपादक विष्णु त्रिपाठी को एक महिला पत्रकार ने दिखाया आइना

Share the news

Riwa Singh : दैनिक जागरण के प्रमुख संपादक संजय गुप्ता सर व संपादक विष्णु त्रिपाठी सर को आज मेल किया है। …क्योंकि मैं भी मीडिया का हिस्सा हूं और मेरे हिस्से का मीडिया अभी ज़िंदा है…

सेवा में,
प्रधान संपादक,
दैनिक जागरण,

महोदय,

सविनय निवेदन है कि जनवरी 2018 में हुए कठुआ रेप केस मामले पर प्रतिष्ठित समाचारपत्र दैनिक जागरण ने एक ‘निर्णय’ को 20 अप्रैल 2018 को प्रमुखता से प्रकाशित किया है।

श्रीमान्! मैं इसे निर्णय इसलिए कह पा रही हूं क्योंकि इस ख़बर को “देश का सबसे ज़्यादा बिकने वाला अख़बार” जैसी प्रतिष्ठा व विश्वसनीयता रखने वाले समाचारपत्र ने प्रथम पृष्ठ पर स्थान दिया और ख़बर का शीर्षक कहीं से स्पष्ट नहीं कर रहा कि मामला अभी विचाराधीन अथवा संदेहास्पद हो सकता है। शीर्षक सीधे तौर पर कहता है – “पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा, कठुआ की बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म”।

शीर्षक के सुर से यह नहीं पता चलता कि ख़बर बतायी जा रही है, शीर्षक का लहज़ा कहता है कि यही अंतिम निर्णय है, यही अकाट्य सत्य है।

इस पूरी ख़बर में दिल्ली में हुए फ़ॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट का कोई ज़िक्र नहीं है। कठुआ की बच्ची के धुले हुए सलवार पर मिले ख़ून के धब्बों का कोई ज़िक्र नहीं है। आपकी ख़बर दो तरह के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट्स की बात करती है। एक में जांघ पर घाव के निशान बताए गये हैं और दूसरे में फटे हुए वैजाइना का ज़िक्र है। उसके बाद इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि वैजाइना फटने के कई कारण होते हैं। महोदय, मैं साइंस स्ट्रीम की विद्यार्धी रही हूं और अभी एक युवा पत्रकार हूं; मैं उन तमाम कारणों से अवगत हूं, यह मानती हूं कि साइकलिंग करने से, तैराकी से, गिरने से, घर में झाड़ू-पोछा करने से भी वैजाइना फटता है। ये सभी वैजाइना फटने के कारण हो सकते हैं और होते हैं; लेकिन मैं इसी के साथ इस नामी समाचारपत्र के प्रमुख संपादक को यह भी स्मरण कराना चाहती हूं कि वैजाइना फटने का एक कारण बलात्कार भी हो सकता है जिसे दैनिक जागरण की वह ख़बर दरकिनार करती है।

ऐसी स्थिति में जब ख़ुद फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट्स भी कुछ स्पष्ट तरीके से नहीं कह पा रही हैं, आपकी टीम द्वारा सबकुछ शीशे की तरह साफ़ दिखाया जाना और इसे प्रमुखता से विभिन्न संस्करणों में प्रकाशित किया जाना बेहद निराशाजनक है। ख़बर पढ़कर लगता है कि पत्रकार इस निर्णय को लेकर बहुत दृढ़ था या प्रकाशक ने निर्णय पर पहुंचने की जल्दबाज़ी की।

तिस पर यह हुआ कि इस ख़बर को न सुधारकर टीम ने दूसरे मीडिया संस्थानों की ख़बर को काटने के लिए एक उथला तर्क पेश किया कि – हर रोज़ साफ़ होने वाले देवस्थान पर बाल कैसे मिल गये। महोदय, जब बच्ची की सलवार धुली जा सकती है तो निश्चय ही सफ़ाई बहुत सावधानी से की गयी होगी लेकिन इससे बालों का मिलना कोई असंभव क्रिया नहीं साबित हो सकती।

महोदय, जब आप स्वयं को देश का सबसे ज़्यादा बिकने वाला अख़बार कहते हैं तो वह व्यापारिक परिप्रेक्ष्य होता है लेकिन उसके साथ ही आपकी संपादकीय व नैतिक परिप्रेक्ष्य की ज़िम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है। लोग कल का समाचारपत्र पढ़कर असमंजस में हैं कि सच क्या है क्योंकि समाचार देने वाले एक संचार-माध्यम ने निर्णय सुना दिया है। आशा थी कि इस ख़बर को लेकर उसी प्रथम पृष्ठ पर आज के अख़बार में माफ़ीनामा प्रकाशित होगा और वेब संस्करणों से वह ख़बर हटायी जाएगी पर दुःखद है कि ऐसा न हुआ।

ऐसा प्रतीत होता है कि किसी दबाव में आकर निर्णय तक पहुंचने की यह जल्दबाज़ी की गयी है।

महोदय, यदि बाकी सभी मीडिया-कंपनी की ख़बरों को दरकिनार भी कर दें और सिर्फ़ दैनिक जागरण की ख़बर पर ग़ौर करें तो हम समझ सकते हैं कि बलात्कार हुआ इसकी पुष्टि नहीं हुई लेकिन बलात्कार नहीं हुआ यह भी साबित नहीं किया जा सकता। ऐसे में उम्मीद होगी कि उस निर्णायक लहज़े वाली ख़बर को हटाया जाए और पाठक को बताया जाए कि रिपोर्ट के बाद हम किसी नतीजे तक नहीं पहुंचे हैं। लेकिन इतना भी तभी हो सकता है जब दिल्ली की लैब रिपोर्ट का ज़िक्र न हो।

महोदय, मैं एक युवा पत्रकार हूं और जानती हूं कि आपको यह पत्र लिखना मेरे करियर के लिए कितना जोखिम भरा हो सकता है। हो सकता है कल मुझे किसी मीडिया कम्पनी में जगह न मिले और मैं एक उज्जड़ पत्रकार के रूप में जानी जाऊं लेकिन इन सबके बावजूद मैं आपको यह स्मरण कराना चाहती हूं कि अख़बार को सूचनात्मक होना चाहिए, निर्णयात्मक नहीं। आपकी लोकप्रियता के साथ आपका दायित्त्व भी बढ़ता है और उसका निर्वहन आवश्यक है ताकि जनता का मीडिया पर भरोसा कायम रहे। आपको यह पत्र लिखने को बाध्य हुई क्योंकि मैं भी मीडिया का हिस्सा हूं और मेरे हिस्से का मीडिया अभी ज़िंदा है। आशा है इसपर शीघ्र अति शीघ्र ध्यान दिया जाएगा।

धन्यवाद सहित
भवदीया

रीवा सिंह

दिनांक – 21.04.2018

युवा पत्रकार रीवा सिंह सोशल मीडिया में अपने बेबाक लेखन और सरोकारी तेवर के लिए जानी जाती हैं.


इसे भी पढ़ें :

दैनिक जागरण और इसके संपादक बलात्कारी के पक्ष में खुलकर उतरे, सोशल मीडिया पर थू-थू

भड़ास व्हाट्सअप ग्रुप ज्वाइन करें- BWG9

भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

भड़ास वाट्सएप नंबर- 7678515849

Comments on “दैनिक जागरण के प्रमुख संपादक संजय गुप्ता और संपादक विष्णु त्रिपाठी को एक महिला पत्रकार ने दिखाया आइना

  • Deep Chand Yadav says:

    आपकी प्रतिक्रिया न्यायसंगत है, रीवा जी जो लोग नतीजों की सोचते है वो पत्रकार नही बल्कि व्यवसायी हेट हैं।

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *