कानूनी दांव पेच के चलते लंबी खिंचती चली जा रही मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई में एक और अच्छी खबर आई है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एचटी मीडिया के दिल्ली स्थित एक कर्मचारी की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के लेबर कोर्ट की सुनवाई पर स्टे जारी करने के आदेश को स्टे कर दिया है। साथ ही लेबर कोर्ट की कार्यवाही को जारी रखने के आदेश दिए हैं।
इस मामले की खास बात यह रही कि कर्मचारियों को कानूनी मकड़जाल में फंसाने की माहिर एचटी मीडिया कंपनी की इस चाल को सुप्रीम कोर्ट के एओआर एवं युवा वकील एडवोकेट राहुल श्याम भंडारी ने नाकाम किया है और वो भी बिना किसी फीस के।
इस खबर में एडवाकेट भंडारी के बारे में लिखा जाना इसलिए अहम है क्योंकि उनको इस बात का पता चला कि मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई में नौकरी खो चुके दो अखबार कर्मचारियों रविंद्र धाकड़ और कुलदीप के रेफरेंस को हिंदुस्तान टाइम्स कंपनी ने खासतौर पर डिले टैक्टिक (देरी के मकसद से) के तहत करीब तीन साल बाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया है। इन दोनों मीडियाकर्मियों के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के वकील की फीस का जुगाड़ कर पाना मुश्किल है। बिहार के मजीठिया क्रांतिकारी पंकज जी के सहयोग से ये दोनों मीडियाकर्मी एडवोकेट राहुल भंडारी जी के संपर्क में आए। राहुल जी ने बिना किसी फीस के पहले तो दिल्ली हाईकोर्ट में खड़े होकर उनका पक्ष रखा, मगर वहां से कंपनी को स्टे दिए जाने के बाद उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी निशुल्क चुनौती देने का फैसला लिया।
इसके बाद उन्होंने एक मजबूत केस बनाकर पहले रविंद्र धाकड़ के स्टे को चैलेंच किया, जिसका नतीजा आज सामने आया है। अब वे जल्द ही दूसरे कर्मी कुलदीप के केस को भी दायर करके दिल्ली हाईकोर्ट के स्टे पर स्टे हासिल करेंगे।
यहां बाकी मजीठिया क्रांतिकारियों के लिए अच्छी खबर यह है कि आज के फैसले से मजीठिया कर्मचारियों को हाईकोर्ट से मिले स्टे पर स्टे लेने का रास्ता खुला है, तो वहीं इस मामले में अगर सुप्रीम कोर्ट फैसला देता है तो अखबार मालिकों का रेफरेंस को हाईकोर्ट में चैलेंज करके स्टे लेने और देरी करने के हथकंडों पर रोक लग सकती है। उधर, इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए न्यूजपेपर इम्पलाइज यूनियन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल ओर उपाध्यक्ष शशिकांत ने एडवोकेट राहुल श्याम भंडारी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि राहुल जी जैसे युवा और मददगार वकीलों के चलते ही देश में आम आदमी को न्याय मिल पा रहा है।
नीचे देखें सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट का संलग्न आर्डर कॉपी…
Arun Srivastava
January 9, 2024 at 7:16 pm
इस जीत के लिए एडवोकेट भंडारी, भाई रवींद्र अग्रवाल, शशि कांत जी सहित प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं भी।
मेरा खुद का मामला वो भी एक नहीं दो-दो लेबर कोर्ट में लंबे समय से विचाराधीन है।