
कन्हैया शुक्ला-
हमेशा मुस्कुराते हुए , खुश रहने वाले इंसान का ऐसे ही चले जाना ..क्या रही होगी वजह ..?
माना जाता है कि मीडिया पर्सन हर एक दबाव को झेल सकता है.. क्योंकि वह ग्राउंड को समझता है पॉजिटिव नेगेटिव खबरों को देखता है ..हर एक वीभत्स घटना में ग्राउंड पर रहता है जिससे उसका दिल और दिमाग दोनों मजबूत होता है पर हम पिछले दिनों में देखें कई युवा पत्रकार अचानक ही सब कुछ छोड़ करके चल दिए। आखिर ऐसा क्या तनाव है जो मीडिया इंडस्ट्री के पत्रकार अब झेल नहीं पा रहे हैं। वजह तो साफ है कि अब पत्रकारिता पूरी तरह से तनाव भरी दबाव से कराई जाती है। हमेशा एक डर रहता है नौकरी चली गई तो कहां जाएंगे..? कैसे बच्चों और परिवार का पेट पालेंगे .? कैसे लोन चुकाएंगे..? कैसे ये सारी जिम्मेदारियां निभाएंगे ..? यह सब जो चिंताएं हैं वही अब युवा पत्रकारों के लिए चिता बन गई हैं ..!!
पिछले दिनों में युवा पत्रकारों ने आत्महत्या तक कर ली। आखिर क्या रहा होगा उनके ऊपर का वो दबाव ..?

अभी दो दिन पहले एक ख़बर ने पत्रकार जगत में बड़ी मायूसी फैला दी ..Zee राजस्थान के डिजिटल एडिटर मनोज माथुर की मौत हार्ट अटैक से हो गई ..कुछ सूत्रों से पता चला है कि मनोज माथुर की मौत की वजह वर्किंग प्रेशर है ..लगातार उनको मीटिंग में बुला के अनाप-शनाप डिमांड की जाती थी। खबरों से लेकर धंधे तक का प्रेशर बनाया जाता था ..
असल में पिछली बार राजस्थान में ही राज्यसभा मेंबर के उम्मीदवार सुभाष चंद्रा थे जो हार गए थे और कांग्रेस की गहलोत सरकार के ऊपर Zee कोई प्रभाव नहीं डाल पाया..अब राजस्थान में आगामी कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाला है ..जब भी किसी राज्य में विधानसभा चुनाव होता है तो हर चैनल के मार्केटिंग टीम और मालिक की गिद्ध वाली नजरें राज्य में सत्ताधारी पार्टी पर होती है ..और कवरेज के नाम पर निगेटिव खबरें ना चलाने के नाम पर और वाहवाही करने के लिए मोटी से मोटी रकम को घसीटने का काम चैनल करने लगता है ..जिसका प्रेशर पूरी तरह से राज्य के एडिटर के ऊपर डाल दिया जाता है ..
भले ये पैसे लाने वाला काम मार्केटिंग टीम का हो पर वो भी एडिटोरियल टीम पर ही अपना दबाव बनाती है क्यों की जब डिमांड पूरी नहीं होती तो वो चैनल मालिक के सामने राज्य के पत्रकारों को ही दोषी बना देते हैं कि ये किसी लायक नही हैं न ही इन्होंने पैसा जनरेट करने में सहयोग किया ..क्या ये वजह तो नही थी मनोज माथुर के साथ ..जिसकी वजह से मनोज अब इस दुनिया में नही हैं ..? कुछ लोग तो ये भी कह रहे हैं कि लगातार हो रही मीटिंग में ये तक उनसे कह दिया गया अगर ये पैसा लाने वाला काम पूरा नहीं कर पाते हैं तो वो अपना इंतजाम कहीं और देख लें ..लगातार कई महीनो से मनोज माथुर को परेशान किया जा रहा था। लगातार उनका रोल चैनल में बदल दिया जाता था आखिर क्यों ..?
मीडिया जगत में लोग बातें कर रहे हैं की Zee ग्रुप के एक एडिटर की तरफ से लगातार ऐसा दबाव बनाया जा रहा था कि या तो मनोज माथुर नौकरी छोड़ दें या नौकरी बचाने के लिए पूरी तरह से दलाली में उतर जाए.. मीडिया संस्था चुनावी समय में एक वसूली बाज़ संस्था में तब्दील हो जाता है.. जितना मिले उतना उनके लिए कम है भले काम करने वाले लोगों की जान चली जाए लेकिन उनको पैसा चाहिए …
खैर , मनोज माथुर अब हमारे बीच में नही हैं पर उनके ऊपर का दबाव और उनकी लाचारी को समझा जा सकता है ..समय सबका आता है भले वो चंद्रा हो या आहूजा पर जिस तरह से पत्रकारिता की नौकरी में दबाव बनाया जा रहा है वो निंदनीय है और इसका अंजाम बहुत ही दर्दनाक होता है .. राजस्थान में Zee का रीजनल चैनल जब से आया तब से मनोज माथुर वहां पर काम कर रहे थे इतना करने के बाद भी बेचारे अपने मालिकों और अपने बॉस लोगों का पेट नही भर पाए ..
सलाह है कि कभी भी अपना मानसिक संतुलन न खोयें और प्रेशर जब भी पड़े तो अपना खयाल ज़रूर रखें ..ये मीडिया मालिकान लोग बहुत बेरहम दिल-दिमाग के होते हैं। इनको कोई फ़र्क नहीं पड़ता किसी कर्मचारी के जीने या मरने से ..आप नहीं तो कोई और इनके लिए सिस्टम खड़ा करेगा ..इसलिए मीडिया में अपने आप को इनसे बचा के रखें और सुरक्षित रहें …!!

ये सुखद पल जरूर थे लेकिन क्या वाकई में सब कुछ सुखद था? इन मुस्कराहटों के पीछे एक दर्द है नतीजा न तो मैं अब वहां हूं न ही स्वतंत्र मिश्र जी और मनोज माथुर जी तो दुनिया ही छोड़ गए। हार्ट अटैक तो सिर्फ बहाना है, चिंता का विषय है कि 49 साल का एक जिंदा दिल इंसान आखिर क्यों चला गया। -शैलेंद्र पांडेय (ज़ी न्यूज़ में वरिष्ठ पद पर कार्यरत रहे वरिष्ठ मीडियाकर्मी)
One comment on “वर्क प्रेशर ने ले ली मनोज माथुर की जान?”
Manoj Mathur was a very lively n great person…whose presence always made other positive….his smile in even adverse situations was very admirable …..All his Editors in Cheif knows and would be appreciating this…. keeping his channel No. 1 was not a mean feat all along…..A heart Attack at this young age is shearling due to mental stress he has to go through in his professional life due to some beeps…..but Karma never fails to teach a lesson to people who are reasonable to this…..