-Pravin Bagi-
क्या विवादास्पद शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया गया है ? उन्होंने खुद इस्तीफा नहीं दिया है ? राजभवन से जारी प्रेस विज्ञप्ति से तो यही संकेत मिलता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सलाह पर राज्यपाल ने उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया है। बर्खास्तगी तभी की जाती है जब मंत्री इस्तीफा देने से इंकार कर दे। तो क्या मेवालाल चौधरी ने मुख्यमंत्री का कहा मानने से इंकार कर दिया था ? श्री चौधरी पर सबौर कृषि विवि का कुलपति रहते घोटाले का आरोप है। उनके खिलाफ मुकदमा लंबित है।
पदभार ग्रहण करने के करीब एक घंटे बाद खबर आई की मेवालाल चौधरी ने इस्तीफा दे दिया है। लेकिन राजभवन की प्रेस विज्ञप्ति में इस्तीफे का कोई जिक्र नहीं है। आमतौर पर जब कोई मंत्री इस्तीफा देता है तो राजभवन से यह जानकारी दी जाती है की मुख्यमंत्री की सलाह पर फलाने मंत्री का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। लेकिन राजभवन की विज्ञप्ति में कहा गया है -“महामहिम राज्यपाल श्री फागू चौहान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सलाह पर यह निर्णय लिया है कि डॉ मेवालाल चौधरी माननीय मंत्री शिक्षा विभाग तात्कालिक प्रभाव से बिहार राज्य के मंत्री और मंत्री परिषद के सदस्य नहीं रहेंगे।” इससे यह स्पष्ट है की उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया।
पूर्व श्री चौधरी आज सुबह मुख्यमंत्री से मिले थे। बुधवार की शाम में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें तलब किया था। इसके पहले जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह से भी उन्होंने मुलाक़ात की थी। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने उन्हें इस्तीफा देने को कहा था। हालांकि वे अंत समय तक इस्तीफा नहीं देने पर अड़े हुए थे। करीब एक बजे नया सचिवालय स्थित शिक्षा विभाग में पहुंच कर उन्होंने पदभार ग्रहण किया। मीडिया से बातचीत की। अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों को गलत करार दिया।
मेवालाल के शपथ लेते ही सवाल उठने लगे थे। विपक्ष नवगठित सरकार पर हमलावर हो गया था। मीडिया में भी मेवालाल का मामला छाया हुआ था।
दरअसल श्री चौधरी ने सबौर कृषि विवि के कुलपति रहते शिक्षक नियुक्ति और भवन निर्माण में कई अनियमिततायें की थीं। तब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी। भाजपा नेता सुशील मोदी ने तब के राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन देकर मेवालाल की कारगुजारियों की जांच की मांग की थी। श्री कोविंद अभी राष्ट्रपति हैं।
राज्यपाल ने रिटायर्ड जज महफूज आलम से मेवालाल पर लगे आरोपों की जांच कराई। जांच में मेवालाल दोषी ठहराये गए थे। जस्टिस आलम ने 63 पन्ने की रिपोर्ट राजभवन को सौंपी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर कुलाधिपति की हैसियत से उन्होंने कुलपति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश 2017 में दिया था। सबौर थाने में कांड संख्या 35 /17 दर्ज किया गया था। इस मामले में श्री चौधरी का भतीजा गिरफ्तार भी हुआ था। बाद में यह मामला विजिलेंस को दे दिया गया था। अभी भी यह केस लंबित है। तब उनकी पत्नी जदयू की विधायक थीं।
ऐसे व्यक्ति को शिक्षा मंत्री बनाये जाने पर नीतीश कुमार पर उँगलियाँ उठने लगी थीं। सरकार को अपना बचाव करना मुश्किल हो रहा था। लालू प्रसाद ने भी जेल से ट्वीट कर मेवालाल को मंत्री बनाये जाने पर व्यंग किया था।