इसे कहते सैया भै कोतवाल तो डर काहें का। उत्तर प्रदेश का सूचना विभाग असल पत्रकारों को मान्यता देने में आनाकानी करता है लेकन जो चैनल बंद हो गए हैं और उनके पत्रकारों का उत्तर प्रदेश की पत्रकारिता से कोई वास्ता भी नहीं है, उसे भी उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग से राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त है। काम न काज़ ढाई मन अनाज वाली कहावत है।
मान्यता मिलने से वीआईपी गेस्ट हाऊस में रूम बुक हो जाना, मुफ्त में इलाज़, मुफ्त में प्रदेश की सैर करना, विधानसभा और एनेक्सी में बेधड़क प्रवेश, दिल्ली के यूपी भवन में कमरा बुक करना… यही सब इन बेफज़ूल मान्यता प्राप्त पत्रकारों के कारनामे रह गए हैं। एक नज़र ऐसे पत्रकारों और चैनलों पर जो बंद हो चुके हैं या उत्तर प्रदेश में अर्से से नहीं दिख रहे या ऐसे पत्रकारो का उस चैनल से कोई लेना देना नहीं जिससे उनकी मान्यता है… देखे लिस्ट…
काशी प्रसाद यादव- S1 न्यूज़ चैनल (अस्तित्व में नहीं)
प्रदीप विश्वकर्मा- MH-1 न्यूज़ चैनल (अस्तित्व में नहीं)
नवलकांत सिन्हा- CNEB (अस्तित्व में नहीं)
तनवीर फातिमा – न्यूज़ टाइम 24*7 न्यूज़ चैनल, पुराना नाम, जनसंदेश (अस्तित्व में नहीं)
सबी हैदर – न्यूज़ टाइम 24*7 न्यूज़ चैनल , पुराना नाम , जनसंदेश (अस्तित्व में नहीं)
राहुल चौधरी – न्यूज़ प्वाइंट (अस्तित्व में नहीं)
रवि श्रीवास्तव – महुआ न्यूज़ (अस्तित्व में नहीं)
संजय सिंह – महुआ न्यूज़ (अस्तित्व में नहीं)
रूबी परवीन सिद्दीकी – मौर्या टीवी (अस्तित्व में नहीं)
मुखराम सिंह – यूपी न्यूज़ (अस्तित्व में नहीं)
विवेक अवस्थी – यूपी न्यूज़ (अस्तित्व में नहीं)
शमीम हुसैन – यूपी न्यूज़ (अस्तित्व में नहीं)
प्रदीप कुमार गौड़ – खोज इण्डिया न्यूज़ चैनल (दो वर्षो से चैनल से बाहर)
अभिषेक पाटनी – सीएनएन – आईबीएन (तैनाती बाहर)
के०बिम्बाधर – सीएनएन – आईबीएन (तैनाती बाहर)
बृजमोहन सिंह – चैनल वन न्यूज़ (चैनल छोडें छह माह से अधिक)
मोहसिन हैदर – इंडिया टीवी (चैनल से निकाले गए 10 माह से अधिक )
शरीब जाफरी- सी न्यूज़ (चैनल बंद हुए एक वर्ष)
किस्सा नकवी – सी न्यूज़ (चैनल बंद हुए एक वर्ष)
इमरान – सी न्यूज़ (चैनल बंद हुए एक वर्ष)
खुर्रम निजामी – न्यूज़ 30 (चैनल ही नहीं खुला)
मधुर श्याम – न्यूज़ 30 (चैनल ही नहीं खुला )
यह लिस्ट सिर्फ इलेक्ट्रानिक मीडियाकर्मियों की है। आपके सामने जल्द ही प्रिंट मीडियाकर्मियों की भी लिस्ट जारी होगी। हमारा मकसद पत्रकार और संस्थानों से विरोध दर्ज कराना नहीं। सूचना एक्ट के तहत पत्रकारों को राज्य सरकार दवारा उनकी उपयोगिता और मौजूदगी के आधार पर ही मदद मिलनी या दी जानी चाहिए। लेकिन वर्तमान में सूचना विभाग में कई ऐसी खामिया है जो क़ानून से बाहर है।
लखनऊ से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Gopalji Journalist
August 24, 2015 at 5:03 pm
मान्यता प्राप्त पत्रकारों की कमैटी के मसीहाओं के कारण ही ऐसा होता है कि पात्र वंचित रह जाते हैं। इसके लिए सूचना विभाग सबसे ज़्यादा दोषी है।