Saleem Akhter Siddiqui : औवेसी बंधुओं की एमआईएम उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है। इस सिलसिले में उसके जिला स्तरीय नेता जगह-जगह सभाएं कर रहे हैं। कल ऐसी ही एक सभा में जाने का इत्तेफाक हुआ। वक्ताओं की उम्र 20 से 25 साल के बीच थी। उनका अंदाज-बयां सुनकर तोगड़ियाओं, साध्वियों, साक्षियों और भागवतों की याद आ गई।
अगर एमआईएम के नेता यह सोच रहे हैं कि हिंदूवादी नेताओं की शैली अपनाकर वह उत्तर प्रदेश में अपनी पैठ बना लेंगे, तो गलत सोच रहे हैं। ‘एक मुसलमान सौ पर भारी है’। या ‘हिंदुस्तान उनके बाप का नहीं है’ जैसे जुमलों से सिवाय भाजपा का हित करने से कुछ नहीं होगा। बोलने का सलीका सबसे पहले आना चाहिए। जोशीली तकरीरें करके तालियां हासिल की जा सकती हैं, वोट नहीं। महज मुसलमानों की राजनीति करके कहीं नहीं पहुंच पाएंगे। दो-चार सीटें निकाल लेंगे, तो पहाड़ नहीं तोड़ देंगे। हां, भाजपा को भारी फायदा पहुंचा देंगे।
मेरठ के पत्रकार और ब्लागर सलीम अख्तर सिद्दीकी के फेसबुक वॉल से.