Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

मोदी-शाह ने सांप भी मार डाला, लाठी भी न टूटने दी! जानें कैसे क्या खेल हुआ कश्मीर पर

मैं बस इतना कह सकता हूं कि संवैधानिक तौर पर सरकार का फैसला बेहद मजबूत है और इसमें कानूनी और संवैधानिक तौर पर कोई खामी नहीं है. सरकार ने सावधानी पूर्वक इस मामले का अध्ययन किया है. जहां तक इसे राजनीतिक फैसले के नजरिए से देखने का सवाल है, तो मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है.

सुभाष कश्यप (संविधान विशेषज्ञ)


आज सुबह राष्ट्रपति महोदय ने एक नोटिफिकेशन निकाला है, कॉन्स्टिट्यूशन ऑर्डर निकाला है, जिसके अंदर उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का मतलब जम्मू और कश्मीर की विधानसभा है। चूंकि संविधान सभा तो अब है ही नहीं, वह समाप्त हो चुकी है। इसलिए, संविधान सभा के अधिकार जम्मू-कश्मीर विधानसभा में निहित होते हैं। चूंकि वहां राज्यपाल शासन है, इसलिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सारे अधिकार संसद के दोनों सदन के अंदर निहित हैं। राष्ट्रपति के इस आदेश को साधारण बहुमत से पारित कर सकते हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ। इसके पहले कांग्रेस पार्टी 1952 में और 1962 में धारा 370 में इसी तरीके से संशोधन कर चुकी है। उसी रास्त पर यह हुआ है।

जेपी सिंह

कश्मीर में सही मायने में अब जाकर भारतीय संविधान पूरी तरह लागू हुआ है! अनुच्छेद 370 बेअसर, 35ए हटाया गया…

मोदी सरकार ने आज राज्यसभा में एक ऐतिहासिक संकल्प पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन, जम्मू कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया है। जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायी वाला केंद्र शासित क्षेत्र होगा। गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने संकल्प राज्यसभा में पेश किया है उममें ‘क्लाज़ टू और थ्री’ को हटाया गया है। जबकि धारा 370 ‘क्लाज़ वन’ के साथ वहां पर बनी रहेगी।

धारा 370 को लेकर जो संशोधन आया है इसे ‘संवैधानिक आदेश 272’ कहा गया है। इसमें धारा 370 को खत्म नहीं किया है। ये ‘क्लाज़ वन’ के साथ जीवित रहेगी, लेकिन ‘क्लाज़ टू और थ्री’ को खत्म कर दिया गया है। इसके साथ ही आर्टिकल 35ए को भी हटा दिया गया है। राष्‍ट्रपति ने 35ए हटाने की मंजूरी भी दे दी है। भारत का संविधान वहां पर पूरा का पूरा लागू कर दिया गया है। अभी तक वहां पर भारतीय संविधान के 350 प्रावधान लागू थे। ये संवैधानिक आदेश 1954 से लागू हैं। अब इसी संवैधानिक आदेश 1954 को आगे बढ़ाया गया है। इसमें कहा गया है कि भारतीय संविधान में आज तक जो भी संशोधन हुए हैं और जो भी प्रावधान आए हैं वो सब के सब जम्मू कश्मीर में लागू होंगे। इसके अलावा राज्यसभा में अमित शाह ने राज्य पुनर्गठन विधेयक को भी पेश किया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जम्मू कश्मीर का जो संविधान था, आर्टिकल 370 के क्लाज टू से था। अब इसे खत्म कर दिया गया है, जिससे अब भारत का संविधान ही जम्मू कश्मीर का संविधान होगा। भारतीय संविधान के लागू होने के बाद वहां पर आर्टिकल तीन भी लागू हो गया है, जिससे सरकार को ये ताकत मिल गई है कि वो राज्य का पुनर्गठन कर सके। इसी का इस्तेमाल करते हुए लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है। अब वहां पर असल ताकत राज्यपाल के पास है और वो केंद्र सरकार से अनुरोध कर सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने का जो संकल्प राज्यसभा में पेश किया है उससे राज्य में सबकुछ बदल जाएगा। सरकार की इस पहल से फिलहाल आर्टिकल 370 रद्द तो नहीं हुआ है, लेकिन इसने इसे बिल्कुल बेअसर कर दिया है। जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने को लेकर जो संशोधन आया है उममें ‘क्लाज़ टू और थ्री’ को हटाया गया है। जबकि धारा 370 ‘क्लाज़ वन’ के साथ वहां पर बनी रहेगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आर्टिकल 370 का मकसद ही यह है कि संविधान के सभी प्रावधान सीधे राज्य पर लागू नहीं किए जा सकते। जो भी प्रावधान लागू किए जाते थे वे राष्ट्रपति और राज्य सरकार की अनुमति से होते थे। लेकिन अब संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो जाएंगे। आर्टिकल 370 की वजह से संविधान के जिन प्रावधानों से जम्मू-कश्मीर बचा हुआ था, वो अब संभव नहीं होगा।

सरकार ने आर्टिकल 370 (1) (डी) का इस्तेमाल करते हुए अनुच्छेद 370 के तहत मिले जम्मू-कश्मीर के अधिकारों को खत्म कर दिया है। राज्य को स्पेशल स्टेटस भी इसी से मिला था।जम्मू-कश्मीर के भारत में शामिल होने के वक्त रक्षा, वित्त और संचार के मामले पर केंद्र को फैसला लेना था। अब तक यही व्यवस्था चली आ रही है। बाकी चीजें राज्य के अधिकार क्षेत्र में थी। रक्षा, वित्त और संचार को छोड़ कर कोई भी फैसला राष्ट्रपति और राज्य सरकार की सहमति से होना था। लेकिन अब यह प्रावधान हट जाएगा। अब राज्य के बारे में पहले के जो संवैधानिक आदेश थे, वे अब खत्म हो गए हैं ।इन्हीं संवैधानिक आदेशों की वजह से राज्य में 35ए लागू हुआ था। 35 ए के तहत यह परिभाषित होता है कि राज्य का स्थायी नागरिक कौन है। इसी की वजह से राज्य के बाहर के लोग वहां जमीन नहीं खरीद सकते।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर में लागू हो जाएंगे। 370 के तहत संविधान के जो प्रावधान राज्य में लागू होने होते हैं, उन पर राष्ट्रपति और राज्य सरकार की सहमति जरूरी है। यानी अब तक जो संविधान के चुनिंदा प्रावधान ही राज्य में लागू होने थे। लेकिन अब सभी प्रावधान लागू होंगे। इससे आर्टिकल 370 एक तरह से पूरा ही बेअसर हो गया है। अभी तक 370 रद्द नहीं हुआ है। लेकिन पूरी तरह बेअसर कर दिया गया है। 370 तभी रद्द हो सकता था, जब जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की भी मंजूरी मिलती। लेकिन अब विधानसभा की मंजूरी से ही इसे रद्द किया जा सकता है। यही वजह है कि इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने की पहल हुई है।

गृह मंत्री शाह ने कहा कि राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 के उपबंध (3) के तहत अनुच्छेद 370 को खत्म करने का अधिकार है। शाह ने कहा कि अच्छा रहता कि सारे सदस्य यह जान लेते कि हम किस पद्धति से, किस धारा के तहत हमने यह किया है। उन्होंने सदन में धारा 370 के खंड 3 का उल्लेख किया और कहा कि देश के राष्ट्रपति महोदय को धारा 370(3) के अंतर्गत पब्लिक नोटिफिकेशन से धारा 370 को सीज करने का अधिकार है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज सुबह राष्ट्रपति महोदय ने एक नोटिफिकेशन निकाला है, कॉन्स्टिट्यूशन ऑर्डर निकाला है, जिसके अंदर उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का मतलब जम्मू और कश्मीर की विधानसभा है। चूंकि संविधान सभा तो अब है ही नहीं, वह समाप्त हो चुकी है। इसलिए, संविधान सभा के अधिकार जम्मू-कश्मीर विधानसभा में निहित होते हैं। चूंकि वहां राज्यपाल शासन है, इसलिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सारे अधिकार संसद के दोनों सदन के अंदर निहित हैं। राष्ट्रपति के इस आदेश को साधारण बहुमत से पारित कर सकते हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ। इसके पहले कांग्रेस पार्टी 1952 में और 1962 में धारा 370 में इसी तरीके से संशोधन कर चुकी है। उसी रास्त पर यह हुआ है।

लेखक जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इन्हें भी पढ़ें….

कश्मीर पर फैसला भारतीय अवाम का नहीं, सिर्फ संघ का एजेंडा : उर्मिलेश

मोदी विरोधी कई साहित्यकारों-पत्रकारों ने भी कश्मीर पर साहसिक फैसले के लिए कहा- शाबास सरकार!

कश्मीर पर बोल्ड स्टेप उठाने वाले मोदी-शाह के लिए भड़ास संपादक यशवंत ने क्या लिखा, पढ़ें

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement