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साहित्य

महिला साहित्यकार मुकुल अमलास की पति ने कुल्हाड़ी से की निर्मम हत्या!

मणिका मोहिनी-

सुखी गृहस्थ जीवन का नाटक देखो इस चित्र में। लोग बड़े विह्वल हो रहे हैं, इस शिक्षित, सेवानिवृत्त शिक्षिका, लेखिका कही जाने वाली स्त्री के प्रति जो इतनी मूर्ख कैसे और क्यों होती है?

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संभावनाशील बताई जाने वाली 63 वर्षीय लेखिका, मुकुल अमलास का नाम मैंने इन्हीं दिनों सुना जब उनके 66 वर्षीय पति द्वारा उनकी कुल्हाड़ी मार कर हत्या की खबर नागपुर के स्थानीय अखबार में पढ़ी।

लिखा था, वर्षों से यह युगल कड़वाहट भरा कलहकारी जीवन जी रहा था। इस तरह की मौत का दुख तो होता ही है, मुझे भी बेहद दुख है लेकिन यह भी कहना चाहूंगी कि कुछ लोग खुद अपनी मौत को निमंत्रण देते हैं, खुद मौत के लिए रास्ता बनाते हैं।

ऐसे आदमी के साथ रहते हुए सारी उम्र कैसे गुजार दी जिसके साथ एक पल नहीं बन रही थी? असल में लड़ाई में मज़ा आने लगता है। युद्ध जीवन मूल्य बन जाता है। आदर्श विवाह, आदर्श पत्नी दिखना भी अहम होता है।

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बहुत सी स्त्रियों का बुरे पतियों को न छोड़ने के पीछे यह भी जुनून होता है कि तुझे सबक सिखा के रहूंगी। सिखा लो या सीख लो, ऐसे रिश्तों का अंत यही होना है। दुखी पति भी सोचते हैं, इससे पीछा मौत ही छुड़ा सकती है। अरे जब तुम पति कका पीछा नहीं छोड़ेगी तो पति तुम्हारी हत्या करके ही तुमसे मुक्ति पाएगा।


प्रज्ञा मिश्र-

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मैं मुकुल कुमारी उर्फ़ मुकुल अमलास जी को जनवरी 2022 से जान रही थी, सीधे संपर्क नहीं था, न बात चीत लेकिन सोशल मीडिया मित्र तरह उनकी गतिविधि को फॉलो करती। शायद कभी साक्षात्कार भी होता ही। वे एक सेल्फ मेड संघर्ष कर के आगे बढ़ती हुई साहित्यकार हैं ये उनके पोस्ट्स से साफ़ पता चल रहा था।

एक दिन इतना गलत हो जायेगा उनके साथ शायद उन्होंने खुद भी नहीं सोचा होगा। अब भी यही कहूंगी कि लोग समझने को राज़ी नहीं, स्त्रियों के पढ़ने और अपनी मर्ज़ी की रुचियों में आगे बढ़ने का साधारणीकरण कितना ज़रूरी है।

एक औरत को जब तक बस किसी आदमी का घर संभालने के लिए बनी एक दो पांव की प्राणी समझना बंद नहीं होगा तब तक ऐसी हत्याएं होंगी। ये एक और स्त्री शहीद हो गई है, सिर्फ़ इसलिए कि वो बहुत पढ़ी लिखी थी और शांति पूर्वक पढ़ते लिखते रहना चाहती थी।

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छोटे मानदंड वाले लोग ये भी देखें कि ये तो हमेशा साड़ी भी पहनती थी, इनके बच्चे तो अच्छे पोस्ट पर भी बन गए, इनका पति तो बहुत बहुत पढ़ा लिखा भी था, फिर भी पति के द्वारा मुकुल जी की हत्या हुई।

उनके पति द्वारा आत्म समर्पण कर दिया जाना क्या अपराध में कमी कर देगा, क्या मानसिक संतुलन बिगड़ गया था जैसी बात बोल कर यह हत्या भी हल्की नहीं की जा सकती, विक्टिम मेंटल हेल्थ इश्यू में है ये बोल कर तो उनके पति को हो सकता है इलाज तक समय भी मिल जाए।

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क्या गारंटी है कि ऐसी हत्या फिर नहीं होगी। मेरा मानना है कि इस केस के माध्यम से एक बहुत मज़बूत संदेश इस समाज को, हमारे उच्च और उच्चतम न्यायालय को देना चाहिए।

ईश्वर करें कि इनकी जान इस देश की अन्य स्त्रियों के लिए शहादत में अलख जगाने का काम करे कि तुम अपने अधिकारों का पूरा पूरा प्रयोग करो और देखो कि तुम्हारी बेड़ियां क्या हैं और जैसा की अणुशक्ति भी कहती रही हैं ” Push Your Limits”.

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हम घर चलाने के साथ साथ एक व्यक्ति भी हैं, केवल इसलिए एक स्त्री की हत्या नहीं की जा सकती कि वो पढ़ी लिखी है संवेदनशील है, तुमसे आगे है, समाज में प्रतिष्ठा है और अपना स्पेस चाहती है ताकि उसकी रचनात्मकता उड़ान भर सके। बहुत दुःख के साथ विनम्र श्रद्धांजलि ।


ओम निश्चल-

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एक संभावनाशील लेखिका मुकुल अमलास का दुखद अंत। हिंदी की सुपरिचित लेखिका मुकुल अमलास गत रविवार को नहीं रहीं। उनके द्वारा डाली गई ये कुछ तस्वीरें कुछ दिनों पहले की हैं, भोपाल में आयोजित साहित्य अकादमी के लिटरेरी फेस्टिवल की जहां जैसे वे अपने लेखकीय सुकून के लिए, लेखकों को सुनने गुनने, उषा किरण खान जैसी ममतामई लेखिका से मिलने, चित्रा मुद्गल और ममता कालिया से मिलने और अनेकानेक लोगों से मिलने जुलने ही आई थी।

कुछ दिनों पहले वह मुजफ्फरपुर अपने मायके गई थीं तो चाचा चाची से मिल आईं और आते हुए पटना में उषा किरण जी के यहां उनकी ममतालु छाया में कुछ देर बिताकर फिर अगले गंतव्य का रुख किया। दिल्ली में वे वयोवृद्ध लेखक रामदरश जी से मिलने उनके घर गई तो उनके अपनापे से अभिभूत हो गईं। अभी कुछ देर पहले ही पता चला कि रविवार को एक अनहोनी ने Mukul Kumari को इस जगत से छीन लिया।

वे इधर लगातार लिख रही थी तथा पिछले दिनों आए अपने उपन्यास यह बड़ी नमकीन मिट्टी है के लिए चर्चा में थीं जो कि मिथिलांचल के नमक सत्याग्रह के स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित था । इसके साथ ही वे अपने यात्रा वृतांत मैं चलती जल चलता साथ में के लिए भी चर्चा में थी । उन्होंने हाल ही में अक्षरा विशेषांक के लिए रामदरश मिश्र का एक बेहतरीन संस्मरण लिखा है जो अक्षरा के अगस्त अंक में छपा है।

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एक संवेदनशील लेखिका का ऐसा दुखद अंत होगा, कौन जानता है। अभी वे अगले उपन्यास के लिए क्रियाशील थी तथा घरेलू विवाद और अशांति के बावजूद वह गांधीवादी पथ पर चलने वाली अहिंसक महिला थीं जो शांति की प्रार्थना करते-करते इह लोक से चली गई। दिल्ली में उनके विधिवेत्ता पुत्र पुरुषार्थ के अलावा बेटी चितप्रिया है जो गुड़गांव में रहती हैं। उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि। उनके आखर उन्हे अमर रखें।


अणु शक्ति सिंह-

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मुकुल जी आप हमेशा याद में रहेंगी। हमेशा। उस स्नेहिल वरिष्ठ के तौर पर जिसने पाँव रखती बच्ची की पीठ पर नेह का हाथ फेरा था, रास्ते का सौंदर्य दिखाया था, उसके आगमन का दिल खोलकर स्वागत किया था। बातें आपसे कम हुईं, जितनी हुईं बहुत स्नेहपूर्ण हुईं। आपको विदा।

… पर ऐसी विदाई नहीं देनी थी मुझे। मर्दानी हिंसा अपने मूल में हत्यारी होती है। इसका सबसे अधिक शिकार औरतें होती हैं। पढ़ती-लिखती-बोलती औरतें हों तो और…

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(लिखना नहीं चाहती थी पर ख़बरों के अनुसार मुकुल जी की हत्या उनके पति ने कुल्हाड़ी मारकर कर दी। )

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1 Comment

1 Comment

  1. बिनीता गौतम

    August 26, 2023 at 1:54 pm

    यह बेहद दर्दनाक एवं शर्मनाक हत्या है। ईश्वर ऐसा दुखद अंत किसी को न दे। खासकर ये तो इस नृशंस हत्या का हकदार बिलकुल न थीं।इनके लिए बहुत अफसोस हो रहा है। ईश्वर ऐसा किसी के साथ न हो।
    उनकी आत्मा को शांति मिले।

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