Sanjay Sinha : मैं अगर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का सलाहकार होता तो जिस दिन पांच सौ और हज़ार रूपए के नोट बंद हुए उस दिन उन्हें सलाह देता कि आप भाषण में यह मत बोलिएगा कि रात बारह बजे के बाद पांच सौ और हज़ार के नोट रद्दी के टुकड़े हो जाएंगे। मैं उनसे कहता कि आप सिर्फ नोट बंद करने का ऐलान कीजिए और जनता को भरोसा दीजिए कि उनके पास जो नोट हैं, उन्हें आप इतने दिनों के भीतर बैंक में जमा करा दें। ये नोट रात 12 बजे के बाद बेशक आम प्रचलन में नहीं रहेंगे पर आप बिल्कुल परेशान न हों, इस नोट पर रिजर्व बैंक की ओर से धारक को इतने रूपए देने का वचन दिया गया है, उस वचन का पालन होगा। हां, इतना ध्यान रहे कि आपसे आयकर वाले जरूर पूछ सकते हैं कि आपके पास ये नकदी आई कहां से। इतना कहने भर से स्थिति काफी आसान हो जाती।
दूसरी बात ये कि जिस दिन नोट बंद हुए, उस दिन वित्त मंत्री को यह कहने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए थी कि हज़ार के नोट दुबारा जल्दी आएंगे, क्योंकि कुल आठ दिनों के बाद उन्हें अपनी ही बात से मुकरना पड़ा। आज उन्हें कहना पड़ा कि हज़ार के नोट अब नहीं आएंगे।
सरकार ने एक बार जब नोट बंद करने का फैसला ले लिया तो उसे खामोशी से लागू करना चाहिए। रोज़ नए नियमों के ऐलान ज़रूरत ही नहीं। हज़ार पांच सौ के नोट बंद, मतलब बंद। अब सरकार को एक सर्जिकल स्ट्राइक बैंकों में करनी चाहिए कि कैसे वहां काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी मिली भगत कर काले नोटों को सफेद कर रहे हैं। अपनों को फायदा पहुंचा रहे हैं। आख़िरी बात- दो हज़ार का नोट किसी कीमत पर नहीं लाना चाहिए था। ये बाद में नई मुसीबत बनेगी।
टीवी टुडे ग्रुप में वरिष्ठ पद पर कार्यरत पत्रकार संजय सिन्हा की एफबी वॉल से.