संजय कुमार सिंह
आज के अखबारों में न्याय यात्रा से ‘न्याय’ और यात्रा के दबाव में ‘न्याय’ के बीच सुप्रीम कोर्ट के अदाणी न्याय की खबरें हैं। अलग अखबारों में अलग अंदाज में। इस बहाने पत्रकारिता की चर्चा। इंडियन एक्सप्रेस ने कल प्रधानमंत्री के कहे को लीड बनाया था। आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री ने कहा था, 22 जनवरी 2024 कैलेंडर की एक तारीख भर नहीं है, एक नये काल चक्र की शुरुआत है। मेरा मानना है कि अयोध्या में जो हुआ वह 23 दिसंबर 1949 को जो शुरू हुआ था और 6 दिसंबर 1992 को जो हुआ उसका समापन था। तुष्टिकरण से संतुष्टीकरण के दावे तक। ऐसे में न्याय यात्रा की जरूरत से आप असहमत हो सकते हैं लेकिन उसे रोकने की कोशिशों से नहीं। जब उसे रोकने की कोशिश हुई है, यात्रा में शामिल लोगों से मारपीट हुई है। कहा जा चुका है कि एफआईआर कर लूंगा और इलेक्शन के बाद, तीन-चार महीने बाद गिरफ्तार कर लूंगा तो मुद्दा न्याय यात्रा के साथ न्याय का भी है। आज के अखबारों में सब कुछ है।
सबसे पहले तो न्याय यात्रा आज पहले पन्ने पर है। कई दिनों बाद हिन्दुस्तान टाइम्स में लीड है। शीर्षक है, असम में राहुल की यात्रा प्रतिबंधित करने से विवाद। आज यात्रा की खबर सभी अखबारों में पहले पन्ने पर है। शीर्षक से आप समझ जायेंगे कि न्याय की मांग करने वाली यह यात्रा क्यों पहले पन्ने पर है और यह सलूक क्यों हो सकता है। हालांकि, हिन्दुस्तान टाइम्स की एक खबर भारत जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा का प्रभाव लगती है और श्रेय लेने वालों ने इसका दावा नहीं किया है तथा प्रचार की तमाम खबरों की तरह यह दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है इसलिए मैं इसे राहुल गांधी की कोशिशों का असर मान रहा हूं। संभव है, सच्चाई शायद बाद में मालूम हो। इस खबर का शीर्षक है उल्फा के एक गुट ने संगठन को खत्म करने की घोषणा की है।
उल्फा मतलब यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम है। इसका गठन एक संप्रभु असम बनाने के मुख्य लक्ष्य से किया गया था। खबर के अनुसार इससे पहले उल्फा ने दिल्ली में असम सरकार के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता किया है। ऐसे में इस संगठन को खत्म करने की घोषणा का श्रेय नहीं लेने का कारण यह भी हो सकता है कि एक गुट, उल्फा इंडिपेंडेंट असम की संप्रभुता पर चर्चा किये बगैर किसी करार के खिलाफ है। हालांकि, समझौते के बाद संगठन के खिलाफ देशद्रोह के मामले खत्म कर दिये जाएंगे। संगठन में कोई 700 सदस्य हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में राहुल गांधी की न्याय यात्रा की खबर दो कॉलम में है। शीर्षक है, यात्रा को लेकर झड़प के कारण गुवाहाटी में राहुल, कांग्रेस नेताओं के खिलाफ असम पुलिस की एफआईआर।
द हिन्दू में इस खबर का शीर्षक है, यात्रा के दौरान (हिंसा) के लिए असम पुलिस ने राहुल के खिलाफ मामला दर्ज किया। द टेलीग्राफ में इस खबर का शीर्षक है, यात्रा को लेकर राजधानी गुवाहाटी में राहुल और हिमंत के बीच जोरआजमाइश। इंडियन एक्सप्रेस में यह सिंगल कॉलम में है। शीर्षक है, यात्रा को लेकर भिड़ंत पर राहुल और अन्य के खिलाफ मामला। अमर उजाला में यह खबर, “गुवाहाटी : न्याय यात्रा में बवाल, राहुल के खिलाफ केस दर्ज”। अकेले नवोदय टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। जहां है वहां इसका शीर्षक है, राहुल के खिलाफ एफआईआर के आदेश। खबरों से लग रहा है कि मामला राहुल और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा के बीच का है लेकिन राहुल ने कहा है कि सरमा ऐसा अमित शाह के कहने पर कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि सरमा ऐसा करके उनका हित कर रहे हैं।
द टेलीग्राफ में गुवाहाटी से उमानंद जायसवाल की बाईलाइन वाली खबर में कहा है , कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा को रोकने के लिए लगाये गये बैरीकेड को जबरन तोड़ दिया और इसे “विरोध का प्रतीक” कहा। इससे असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पुलिस को यह निर्देश देने के लिए प्रेरत हुए कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ भीड़ को पुलिस के खिलाफ “उकसाने” का मामला दर्ज किया जाये। देर रात सरमा ने ट्वीट किया कि राहुल और कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। वेणुगोपाल और कन्हैया कुमार पर “हिंसा, उकसावे, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिस कर्मियों पर हमले के अवांछित कृत्य” के आरोप हैं।
यह तो हुई न्याय यात्रा के साथ न्याय की बात। आइये अब न्याय यात्रा के दबाव में किये गये न्याय की बात करते हैं। अमर उजाला में यह लीड है, कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न। उपशीर्षक में अखबार ने लिखा है, बड़ा दांव पिछड़ों के मसीहा व बिहार के पहले गैर कांग्रेसी सीएम को उनकी सौंवी जयंती पर मरणोपरांत देश का सर्वोच्च अलंकरण। दूसरा उपशीर्षक है, भाजपा का मास्ट्रर स्ट्रोक, नीतिश लालू के रहे हैं राजनीतिक गुरू। यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में भी लीड है। शीर्षक है, कोटा राजनीति के अगुआ, कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न की घोषणा। अखबार ने इसके साथ सवाल किया है क्या यह जातिवार जनगणना की मांग का मुकाबला करने के लिए है? मुझे लगता है कि इसमें कोई शक नहीं है।
आज तीसरा मामला सुप्रीम कोर्ट का है जो द टेलीग्राफ में लीड है। इस खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में अदाणी के खिलाफ एक मामला सुनवाई से हटा दिया गया था और राजस्थान सरकार के उपक्रम की ओर से पेश हो रहे अधिवक्ता, दुष्यंत दवे ने इसकी शिकायत की तो इसे आज सुनवाई के लिए सबसे ऊपर रखा गया है। मामला अदाणी पावर राजस्थान लिमिटेज का है और 1376 करोड़ रुपये के विवाद से संबंधित है। राजस्थान सरकार की जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने पिछले साल जनवरी में अदाणी समूह की कंपनी द्वारा जयपुर विद्युत को 1,376.35 करोड़ रुपये के विलंब-भुगतान अधिभार (एलपीएस) का भुगतान करने का निर्देश देने के लिए किये गए विविध आवेदन पर आपत्ति जताई थी। राज्य सरकार के उपक्रम ने आवेदन पर आपत्ति जताई थी क्योंकि शीर्ष अदालत अगस्त 2020 में इस मुद्दे पर अदाणी की याचिका पहले ही खारिज कर चुकी थी। इस संबंध में अदाणी का एक विविध आवेदन मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था पर अचानक हटा दिया गया। दवे इस आवेदन की योग्यता पर सवाल उठाना चाहते थे।
इन और ऐसी खबरों के बीच आज इंडियन एक्सप्रेस की लीड बताती है कि मंदिर के उद्घाटन के बाद पहले दिन दर्शन के लिए पांच लाख लोग पहुंचे और सबसे पहले दर्शन के लिए भीड़ है। अमर उजाला में यह खबर सेकेंड लीड है और शीर्षक के अलावा बताया गया है कि पहले दिन तड़के तीन बजे से ही डट गये भक्त, दोपहर बाद रोकनी पड़ी राम नगरी की बसें और यह भी कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद संभाला मोर्चा। धैर्य रखने की अपील। इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि डीजीपी ने कहा है कि भीड़ को रोकने के लिए एक होल्डिंग एरिया बनाने की व्यवस्था की जा रही है। द टेलीग्राफ ने लिखा है कि अगले ही दिन अच्छी तरह की गई व्यवस्था अराजकता में बदल गई।
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