अपने रिपोर्टर के खिलाफ खबर नहीं छापने पर जिला प्रभारी की लगी क्लास
रिपोर्टर के बंधक बनाने की खबर न छापने पर संपादक व स्टेट हेड को लिखा पत्र
सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के उस्का बाजार ब्लॉक के गंगाधरपुर पूर्व माध्यमिक विद्यालय का प्रभारी हेडमास्टर अभय कुमार श्रीवास्तव दैनिक जागरण का उस्का बाजार से रिपोर्टर है। जिस विद्यालय का प्रभारी हेडमास्टर है, वहां छात्रों का टीसी व अंक पत्र जारी न होने को लेकर विवाद चल रहा है। ग्रामीणों द्वारा स्कूल में ताला बंदी की खबर न छापने पर संपादक द्वारा जिला प्रभारी की क्लास लगाने की चर्चा है। अब दोबारा रिपोर्टर को बंधक बनाए जाने की खबर न लिखने पर एक ने संपादक, स्टेट हेड व प्रधान संपादक को पत्र लिख दिया है। इससे जागरण के प्रभारी एक बार फिर फंसते दिखाई दे रहे हैं।
गंगाधरपुर पूर्व माध्यमिक विद्यालय में छात्रों के प्रवेश में पूर्व में तैनात रही हेडमास्टर नम्रता सिंह ने फर्जीवाड़ा किया है। इसका जांच में खुलासा हो चुका है। इसके हटने के बाद शिक्षा विभाग ने अभय कुमार श्रीवास्तव को विद्यालय का प्रभार दे रखा है। यह जागरण का रिपोर्टर भी है। छात्रों की भविष्य को लेकर परेशान एक सहायक अध्यापिका छात्र हित में लड़ाई लड़ कर अंक पत्र व टीसी दिलवाना चाहती है, लेकिन विभाग व प्रभारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शिक्षिका से इसे लेकर विवाद चल रहा है।
शिक्षिका ने उस्का बाजार थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया है। चूंकि अभय श्रीवास्तव के पत्रकार होने के नाते पुलिस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। अचानक 28 अक्टूबर को विवाद बढ़ा तो अभय श्रीवास्तव आपा को बैठा और शिक्षिका का मोबाइल पटक कर तोड़ दिया। इसको सोशल मीडिया पर वीडियों वायरल हुआ, लेकिन दैनिक जागरण ने अपने रिपोर्टर के खिलाफ खबर नहीं लिखी। 15 अक्टूबर को ग्रामीणों ने टीसी व अंक पत्र जारी न होने को लेकर विद्यालय बंद करा दिया। यह खबर गोलमोल में जागरण ने निपटाकर अपने रिपोर्टर को बचा लिया। विश्वसनीय अखबार के जिला प्रभारी की इस गतिविधि से नाराज एक पाठक ने दैनिक जागरण गोरखपुर यूनिट के संपादक को पत्र लिखकर पूरे मामले से अवगत कराया। लिखे पत्र में पाठक ने हिन्दुस्तान में छपी खबर की प्रतिलिपि लगा दिया। इसके बाद जिला प्रभारी की संपादक ने क्लास लगाई।
सप्ताह भर बाद 23 अक्टूबर को हेडमास्टर-दैनिक जागरण के रिपोर्टर अभय श्रीवास्तव को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया। पुलिस में रसूख होने से यह जरूर छूट कर चले गए, लेकिन जागरण में फिर खबर नहीं छपी। इसके बाद एक दूसरे पाठक ने संपादक के साथ स्टेट हेड, व प्रधान संपादक को पत्र लिखकर बताया है कि अखबार की एक विश्वसनीयता है, लेकिन जनहित की ऐसी खबरे न छपने से निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
माना जा रहा है कि स्टेट हेड व प्रधान संपादक को लिखे पत्र के बाद बड़ी कार्यवाही हो सकती है। बताते चलें कि 44 छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। आठवी पास छात्रों को टीसी व अंक पत्र न मिलने से नौंवी में प्रवेश नहीं हो पाया है, लेकिन यह खबर सारे मीडिया संस्थान जानते हुए भी दबाने में लगे हैं। शिक्षामंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी के संज्ञान में मामला होने के बाद भी जनप्रतिनिधियों के साथ मीडिया, अधिकारी सब खबरें दबा रहे हैं।