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उत्तर प्रदेश

योगी से मीटिंग के बाद दो खेमों में बंटी उप्र मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति, हेमंत के भाव घटे!

Raghwendra Pratap Singh : मिलिए दो धुरंधरों से. एक हेमन्त तिवारी जी जो प्रेस मान्यता समिति के अध्यक्ष हैं. दूसरे शिवशरण सिंह जी जो प्रेस मान्यता समिति के सचिव हैं. आजकल दोनों की खूब चर्चा है. कारण अपने कुछ पदाधिकारियों के साथ शिवशरण सिंह जी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मुलाकात कर पत्रकारों की समस्याओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराया. इसका कुछ ही देर में अध्यक्ष हेमन्त तिवारी जी ने खण्डन किया कि ये व्यक्तिगत मुलाकात थी इसका संगठन से कुछ भी लेना देना नहीं है.

मुलाकात व्यक्तिगत थी या पत्रकार हितों को लेकर इसको लेकर बहस छिड़ गई है. मैं कहता हूँ कि मुलाकात को छोड़िये … अगर आप दोनों पत्रकार हितों के सच्चे हितैषी हैं तो फिर आप दोनो सार्वजनिक करें कि साल भर में पत्रकारों के हितों के लिए आपने कहाँ कहाँ लड़ाई लड़ी? पत्रकारों की किन- किन समस्याओं का आप दोनो ने निदान कराया. कितनी बार पत्रकार हितों में बैठकें की.

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नोट- अब ये मत कहिएगा आप दोनों की मान्यता समिति का काम प्रेस कांफ्रेंस को मैनेज करना होता है कि दो प्रेस कांफ्रेंस एक साथ न लड़े!


Naved Shikoh : उ.प्र. राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के आधे पदाधिकारियों की मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से मुलाकात के बाद संवाददाता समिति के दो फाड़ होने के आसार पैदा हो गये हैं। संवाददाता समिति के सचिव शिवशरण सिंह के नेतृत्व में समिति के चंद पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मुलाकात करके प्रदेश के पत्रकारों की जायज़ जरूरतों की मांग की थी। इसमें पत्रकारों के लिए सरकरी आवास और सुरक्षा की मांग प्रमुख दी।

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मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद सचिव शिवशरण सिंह ने एक विज्ञप्ति जारी कर इस मुलाकात का विवरण पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत किया। जिसके बाद उ.प्र.मान्यता प्राप्त संवाददाता के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने समिति के चंद पदाधिकारियों की मुख्यमंत्री से मुलाकात पर एतराज़ जताते हुए एक पत्र जारी किया। जिसमें उन्होंने लिखा कि मुख्यमंत्री से संवाददाता समिति की मुलाकात आधिकारिक नहीं थी बल्कि कुछ पदाधिकारी/सदस्य निजी एजेंडा पर मिले थे। श्री तिवारी ने समिति द्वारा जारी किए पत्र में लिखा कि

उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी का कहना है कि बुधवार को मुख्यमंत्री से समिति के मात्र चंद पदाधिकारी व्यक्तिगत स्तर पर मिले थे और अपनी निजी रुचि के अनुसार उन्होंने मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा था। तिवारी ने बताया कि संवाददाता समिति के सभी निर्वाचित पदाधिकारियों ने एक साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए समय मांगा है जो अब तक नहीं मिल सका है। इन परिस्थितियों में महज चार-पांच पदाधिकारियों की मुलाकात व्यक्तिगत तो हो सकती है पर समिति की आधिकारिक नहीं। उन्होंने कहा कि समिति की ओर से मुख्यमंत्री से मुलाकात होने की दशा में सभी निर्वाचित पदाधिकारी जाएंगे और सबकी सहमति से पत्रकारों की मांगों से संबंधित ज्ञापन उन्हें सौंपा जाएगा।

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हेमंत तिवारी ने मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार का बिना नाम लेते हुए हमला किया कि सीएम के एक मीडिया सलाहकार कुछ चहेते पदाधिकारियों की मुलाकात सीएम से करवा कर पत्रकारों की एकता को खंडित करना चाहते हैं जो प्रदेश अथावा सरकार के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि समिति में सभी पदाधिकारी बड़ी संख्या में पत्रकार साथियों का विश्वास व मत पाकर जीते हैं और सभी को मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात रखने का समान हक होना चाहिए। उन्होंने प्रदेश सरकार को आगाह किया कि मीडिया सलाहकार को पत्रकारों के हितों के लिए कार्ययोजना बनाने और मुख्यमंत्री की छवि चमकाने के काम में गंभीरता से जुटना चाहिए, न कि पत्रकारों के बीच गुटबाजी को प्रश्रय देने व अपनी मनमानी करने में।

इससे पूर्व संवाददाता समिति के सचिव ने मुख्यमंत्री से मुलाकात के तुरंत बाद जो विज्ञप्ति जारी की वो इस प्रकार है-

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मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने पत्रकारों की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री से की मुलाकात

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके आवास पर भेंट कर उन्हे एक अनुरोध पत्र सौंपा। जिसमें पत्रकार की समस्याओं का उल्लेख किया गया। वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री ने समिति के सदस्यों की बातों को ध्यानपूर्वक सुना और उनके निराकरण का आश्वासन दिया।

समिति के सचिव शिवशरण सिंह के नेतृत्व में मिले इस शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर उनसे आग्रह किया कि राज्य मुख्यालय में कार्यरत पत्रकारों को आवास की भीषण समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व में मुख्यमंत्री जी की तरफ से पत्रकारों को निजी आवास (फ्लैट) देने का मौखिक आश्वासन दिया गया था। जिस पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है। इस पर मुख्यमंत्री जी ने समिति को आश्वासन दिया कि सरकार पत्रकारों की समस्याओं को लेकर गंभीर है लेकिन उन्ही पत्रकारों को यह सुविधा दी जाएगी जो इसके योग्य होंगे।

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इसके अलावा समिति ने पत्रकारों के उत्पीडन को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पत्रकार समाज के प्रति भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभाते हुए काम करें और आम जन के सरोकार से भी जुड़े। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की भूमिका सरकार के कामों को जन-जन तक पहुंचाना तथा जन समास्याओं को सरकार तक पहुंचाने की होती है। इसलिए इस पर वह प्रभावी ढंग से काम करे।

प्रतिनिधिमंडल में समिति के सचिव शिवशरण सिंह, उपाध्यक्ष आकाश शेखर शर्मा, संयुक्त सचिव श्रीधर अग्निहोत्री, सदस्य कार्यकारिणी अभिषेक रंजन और दया बिष्ट शामिल थे।

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अब देखना ये है कि समिति के अध्यक्ष और सचिव के बीच खीचातानी में दो ख़ेमों में बंटे पदाधिकारियों/सदस्यों का अलगाव किस नतीज़े पर पंहुचता है।

लखनऊ से पत्रकार द्वय राघवेंद्र प्रताप सिंह और नवेद शिकोह की रिपोर्ट.

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