माननीय प्रधान संपादक,
पत्रिका समूह
दिनांक 22 दिसंबर 2015 को आपके अखबार के पेज 7 पर कोहिनूर कॉन्डोम के विज्ञापन जिसकी हैडिंग ’22 दिसम्बर है साल की सबसे लम्बी रात, इसे दें कुछ एकस्ट्रा टाईम’ तथा सब हैडिंग ‘इस रात की सुबह नहीं’ सहित एक युगल का फोटो भी है…. देखा और पढ़ा। एक बार तो सोचा उसी समय आपको यह पत्र लिखूं, लेकिन फिर सोचा 22 दिसंबर के बाद लिखूं, जिससे आपकी और आपके जैसी सोच वालों की रात खराब ना हो! बहुत ही शर्मनाक बात है कि आए दिन आप अपनी लेखनी द्वारा ज्ञान झाड़ते रहते हैं, कई बार व्याख्यानों में भी ज्ञान ढोल आते हैं और अपने अखबार में क्या छप रहा है, उसका पता ही नहीं।
अब आप यह दलील मत देना कि यह तो विज्ञापन है, हमारा क्या लेना-देना। यह सही है कि विज्ञापनदाता जो विज्ञापन देना चाहता है, वही आप छापते हैं, लेकिन ऐसे घटिया विज्ञापन को छापने से मना करने का आपके पास पूरा अधिकार है। आप अपने लेख में यह जरूर लिखते हैं कि इसे नई पीढ़ी को भी पढ़वाएं, तो क्या नई पीढ़ी केवल आपके लेख पढऩे के लिए ही अखबार पढ़ेगी? उसे यह विज्ञापन नजर नहीं आएगा? आपको कैसा लगेगा यदि ’22 दिसंबर की सबसे लंबी रात’ गुजरने के बाद सुबह पौत्र-पौत्रियां आपसे और आपके पुत्र-पुत्रवधुओं से पूछे कि कैसी रही रात….?
फेसबुक पर ‘जर्नलिस्ट जयपुर’ नामक पेज पर प्रकाशित पोस्ट.
Comments on “पत्रिका समूह, प्रधान संपादक, खुला खत, 22 दिसंबर की लंबी रात और कोहिनूर कंडोम!”
Bakwas …..