उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक पत्रकार की हत्या पर जारी प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) की एक रिपोर्ट में यूपी पुलिस की और प्रशासन की भूमिका की निंदा की गई है। प्रेस काउंसिल ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए गंभीर उपाय करने की भी मांग की है। 8 जून को शाहजहांपुर में एक स्वतंत्र पत्रकार जगेंद्र सिंह की हत्या के बाद पीसीआई ने जांच के लिए एक टीम का गठना किया था। पीड़ित पत्रकार ने मरने से पहले दिए गए अपने बयान में कहा था कि मंत्री राम मूर्ति वर्मा के खिलाफ लिखने के कारण स्थानीय पुलिस ने उन्हें जिंदा जला दिया। रिपोर्ट में राज्य सरकार से एक निष्पक्ष एजेंसी द्वारा मुकम्मल जांच करवाने की अनुशंसा की गई है। रिपोर्ट में लिखा है-
‘पुलिस और प्रशासन ने ना तो इस घटना को गंभीरता से लिया और ना ही जगेंद्र द्वारा दिए गए बयान पर कोई कार्रवाई ही की। इसी कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर चली गई। यह पूरी तरह से साफ है। यह पता चला है कि जगेंद्र सिंह और उनके विरोधियों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें व मामले दर्ज करवाये जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की। इसीलिए, इस मामले की गंभीरता और केस की जांच में हुई देरी को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह जल्द-से-जल्द एक निष्पक्ष जांच एजेंसी से पूरे मामले की जांच कराए।’
रिपोर्ट में राज्य सरकार को सलाह दी गई है कि वह अन्य राज्यों द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए अपनाए गए तरीकों व नियमों को जाने। इसमें लिखा है-
‘किसी भी पत्रकार के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज करवाया जाता है तो कोई कदम उठाने या उसे हिरासत में लेने से पहले कम-से-कम एसपी स्तर पर स्वतंत्र समीक्षा की जानी चाहिए। पत्रकारों के साथ नियमित तौर पर बातचीत के लिए एक कमिटी का गठन किया जाना चाहिए और इस बात के भी इंतजाम किए जाने चाहिए कि यह कमिटी उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के साथ हो रहे उत्पीड़न की शिकायतें भी सुने।’
पीसीआई ने इस रिपोर्ट में राज्य सरकार से मांग की है कि मृत पत्रकार के परिवार को आर्थिक और अन्य जरूरी सहायता मुहैया कराई जाए।