Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

यह कविता उन सभी पत्रकार भाइयों के लिए जो दिवाली में घर नहीं जा पाए

यह कविता उन सभी पत्रकार भाइयों के लिए जो दिपावली में घर नहीं जा पाए… सेना, पुलिस, अस्पताल, फायर ब्रिगेड से जुड़े लोग भी घर नहीं जा पाते… ऐसे सभी लोगों के लिए ये कविता है, दिवाली के मौके पर….

<p>यह कविता उन सभी पत्रकार भाइयों के लिए जो दिपावली में घर नहीं जा पाए... सेना, पुलिस, अस्पताल, फायर ब्रिगेड से जुड़े लोग भी घर नहीं जा पाते... ऐसे सभी लोगों के लिए ये कविता है, दिवाली के मौके पर....</p>

यह कविता उन सभी पत्रकार भाइयों के लिए जो दिपावली में घर नहीं जा पाए… सेना, पुलिस, अस्पताल, फायर ब्रिगेड से जुड़े लोग भी घर नहीं जा पाते… ऐसे सभी लोगों के लिए ये कविता है, दिवाली के मौके पर….

मां तू नाराज न होना

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस दिवाली मैं नहीं आ पाउंगा
तेरी मिठाई मैं नहीं खा पाउंगा
दिवाली है तुझे खुश दिखना होगा
शुभ लाभ तुझे खुद लिखना होगा

तू जानती है यह पूरे देश का त्योहार है
और यह भी मां कि तेरा बेटा पत्रकार है

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैं जानता हूं
पड़ोसी बच्चे पटाखे जलाते होंगे
तोरन से अपना घर सजाते होंगे
तु मुझे बेतहाशा याद करती होगी
मेरे आने की फरियाद करती होगी

मैं जहां रहूं मेरे साथ तेरा प्यार है
तू जानती है न मां तेरा बेटा पत्रकार है

Advertisement. Scroll to continue reading.

भोली मां मैं जानता हूं
तुझे मिठाईयों में फर्क नहीं आता है
मोलभाव करने का तर्क नहीं आता है
बाजार भी तुम्हें लेकर कौन जाता होगा
पूजा में दरवाजा तकने कौन आता होगा

तेरी सीख से हर घर मेरा परिवार है
तू समझती है न मां तेरा बेटा पत्रकार है

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैं समझता हूं
मां बुआ दीदी के घर प्रसाद कौन छोड़ेगा
अब कठोर नारियल घर में कौन तोड़ेगा
तू गर्व कर मां
कि लोगों की दिवाली अपनी अबकी होगी
तेरे बेटे के कलम की दिवाली सबकी होगी

लोगों की खुशी में खुशी मेरा व्यवहार है
तू जानती है न मां तेरा बेटा पत्रकार है

Advertisement. Scroll to continue reading.

देवेश तिवारी
[email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. shailesh kumar singh

    October 25, 2014 at 9:48 am

    devesh bhai puri kavita padte padte aankh se aansu nikal aaye kyon ki aap ne ma ka jikar itni baar ker diya ki mai aat bibhor ho gaya mujhe aaj ahsas hua ki ma ko aor log bhi pyar karte hain jai aap dhanyawad dost

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement