यूपी में मुख्य सचिव की कुर्सी पर आसीन राहुल भटनागर के ‘खेल’ से बड़े अफसरों की नींद हराम

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राहुल भटनागर यूपी की नौकरशाही में हड़कंप का कारण बने हुए हैं. अखिलेश राज में वर्षों तक वित्त सचिव और फिर बाकी समय में मुख्य सचिव की कुर्सी पर आसीन रहकर हर एक प्रोजेक्ट को मजूरी देने वाले राहुल भटनागर अब अलग अलग प्रोजेक्ट्स के लिए अलग अलग नौकरशाहों के सिर तलाश कर उन्हें बलि का बकरा बना रहे हैं और खुद को साफ-पाक बताने वाली रिपोर्ट बनवाने में सफल हो जा रहे हैं. इसी कड़ी में एक बड़ा मामला सामने आ रहा है कि जिस गोमती रिवर फ्रंट को लेकर करप्शन समेत कई किस्म के आरोप लगाए जा रहे हैं और उसके लिए ढेर सारे लोगों को जिम्ममेदार बताया जा रहा है उसी लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट में मौजूदा अफसरों ने अनोखा खेल कर दिया है.

ईटीवी की खबर के मुताबिक वर्तमान इंजीनियरों ने बिना प्रोजेक्ट फिर मांग लिए हैं 900 करोड़ रुपये. 1513 करोड़ की योजना को पहुंचा दिया गया अब 2413 करोड़ तक. न कोई डिजाइन, और न कोई ब्लूप्रिंट, लेकिन फिर से मांग कर दी गई है 900 करोड़ रुपये की. 32 किमी का ड्रेन बनाया लेकिन सिर्फ 900 मीटर अधूरा रह गया. यानि तो हाथी निकाल दिया लेकिन पूछ छोड़ दी. 900 मीटर ड्रेन न बनाने की वजह से गोमती मैली की मैली ही है. जब तक 900 मीटर ड्रेन नहीं बनेगा, गोमती मैली ही रहेगी. रबड़ डैम बस 5 फीसदी बाकी है. पर मौजूदा अफसरों ने इससे पल्ला झाड़ लिया है. लंदन, पेरिस की तरह बनने वाला रिवर फ्रंट फिलहाल दो सरकारों के जाने-आने के दरम्यान राहुल भटनागर जैसे नौकरशाहों के खेल तमाशे के कारण बदहाल है.

1513 करोड़ रुपये के पुराने बजट के मुताबिक 95 फीसदी काम पूरा हो चुका है. 1513 करोड़ का बजट तत्कालीन ईपीएफसी द्वारा बाकायदा अनुमोदित है. तत्कालीन प्रमुख सचिव वित्त ने भी इस बजट को अनुमोदित किया था. तत्कालीन इंजीनियर इन चीफ ने भी बजट को ओके किया था. अब जब सरकार बदल गई है तो नए सत्ता केंद्रों को भरमाने में लग गए हैं नौकरशाह. सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि कई किस्म के आरोपों से घिरे रहने वाले और शुगर डैडी के रूप में कुख्यात राहुल भटनागर ने आखिर ऐसा क्या जादू कर रखा है कि यूपी की भाजपा सरकार भी उन्हें अपने कंधे पर न सिर्फ ढो रही है बल्कि उनकी पिलाई हर घुट्टी को बड़े चाव से चख चख कर खा पी रही है. सूत्रों का कहना है कि राहुल भटनागर पिछली सरकार के कार्यकाल के लगभग सारे प्रोजेक्ट्स के लिए उतने ही दोषी हैं जितना कोई दूसरा अफसर क्योंकि सब कुछ उनकी देख-रेख और संस्तुति से हुआ है, वह चाले वित्त विभाग के हेड के बतौर उनकी मंजूरी रही हो या फिर मुख्य सचिव के रूप में उनका अनुमोदन रहा हो.

लखनऊ से भड़ास संवाददाता की रिपोर्ट.

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