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सियासत

रेलवे के इतने बड़े झूठ और फर्जीवाड़े पर मीडिया और मंत्रालय ने चुप्पी क्यों साध रखी है?

Sanjaya Kumar Singh : रेल मंत्री ट्वीटर पर व्यस्त और अपराधी-ठग अपने धंधे में… अब स्पष्टीकरण से क्या लाभ जब चिड़िया चुग गई खेत… रेल मंत्री सुरेश प्रभु जब ट्वीटर के सहारे मुश्किल में फंसे रेल यात्रियों को खाना, पानी और डायपर पहुंचाने की व्यवस्था कर रहे थे तो ठगों, अपराधियों और संभवतः रेलवे से जुड़े लोगों का एक गिरोह आम युवाओं, रोजगार तलाश करने वालों को ठगने-लूटने में लगा हुआ था। जरूरी नहीं है कि यह सूचना सही हो। यह भी संभव है कि रेल मंत्रालय की जानकारी के बगैर या कायदे-कानूनों को पूर्ण किए बगैर रेल सुरक्षा बल में 17,000 कांसटेबल की नियुक्ति के विज्ञापन निकाल दिए गए हों और अब जब पता चला तो नियुक्ति की घोषणा को फर्जी करार दिया गया।

Sanjaya Kumar Singh : रेल मंत्री ट्वीटर पर व्यस्त और अपराधी-ठग अपने धंधे में… अब स्पष्टीकरण से क्या लाभ जब चिड़िया चुग गई खेत… रेल मंत्री सुरेश प्रभु जब ट्वीटर के सहारे मुश्किल में फंसे रेल यात्रियों को खाना, पानी और डायपर पहुंचाने की व्यवस्था कर रहे थे तो ठगों, अपराधियों और संभवतः रेलवे से जुड़े लोगों का एक गिरोह आम युवाओं, रोजगार तलाश करने वालों को ठगने-लूटने में लगा हुआ था। जरूरी नहीं है कि यह सूचना सही हो। यह भी संभव है कि रेल मंत्रालय की जानकारी के बगैर या कायदे-कानूनों को पूर्ण किए बगैर रेल सुरक्षा बल में 17,000 कांसटेबल की नियुक्ति के विज्ञापन निकाल दिए गए हों और अब जब पता चला तो नियुक्ति की घोषणा को फर्जी करार दिया गया।

आज नवोदय टाइम्स में छपी एक खबर से पता चला कि मंत्रालय की जानकारी के बगैर विज्ञापन निकाल दिया गया था और अब रेलवे ने साफ कर दिया है कि ये विज्ञापन फर्जी हैं। अखबार के मुताबिक ऑनलाइन दिखने वाले विज्ञापन फर्जी हैं और रेलवे ने ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं चलाई है। अखबार की खबर यह भी कहती है कि इस कथित खुलासे के बाद रेल मंत्रालय में हड़कप मचा है। मैंने गूगल पर तलाशने की कोशिश की तो कई विज्ञापन और खबरें मिलीं। कौन देश भक्त है और कौन देशद्रोही यह तय करना मेरे लिए बहुत मुश्किल है इसलिए मैंने कुछ स्क्रीन शॉट रख लिए हैं और कुछ इसके साथ पोस्ट कर रहा हूं।

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देखिए कि यह खेल कब से चल रहा है और कल्पना कीजिए कि जो मंत्री कुछ घंटे (या दिन) की रेल यात्रा में पानी-खाना नहीं मिलने वालों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया करा देता है उसे इन विज्ञापनों का महीनों तक पता नहीं चला तो उसे क्या कहा जाए। मैं शुरू से कह रहा हूं कि ट्वीटर पर यात्रियों को सेवा मुहैया कराने का काम कोई भी छोटा बड़ा अधिकारी कर सकता है। मंत्री को मंत्री वाले काम करने चाहिए पर भक्त मीडिया को प्रशंसा करने और मंत्री जी को प्रशंसा प्राप्त करने से फुर्सत मिलती तो वे देखते कि उनके मंत्रालय के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। मंत्रालय ने तो स्पष्टीकरण देकर अपना हाथ झाड़ लिया लेकिन मंत्रीजी की तारीफ करने वाले मीडिया के साथी इसपर कुछ समय और श्रम लगाएंगे क्या?

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07 अगस्त 2014 की इस विज्ञप्ति के बाद रेल मंत्रालय कैसे कह सकता है कि विज्ञापन फर्जी हैं और अगर फर्जी हैं तो जनता को इसकी जानकारी देने के लिए रेलवे ने क्या किया जबकि संसद में रेल राज्य मंत्री एक सवाल के जवाब में कह चुके हैं कि फर्जी विज्ञापनों की स्थिति में रेलवे लोगों को जागरूक करने का काम करता है।

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वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से. Facebook.com/sanjaya.kumarsingh

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