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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के नेता सफेद-मुसली पर फ़िदा, बजट सत्र में गूंजा ‘ऊर्जा स्रोत’ डॉ राजाराम त्रिपाठी का नाम और काम!

कौन हैं बस्तर के त्रिपाठी जी, जिनकी सफेदमुसली खा कर छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने अक्ल में बीरबल को भी छोड़ा पीछे, विधानसभा अध्यक्ष ने किया खुलासा ….

छत्तीसगढ़ बस्तर कोण्डागांव के दिग्गज किसान नेता डॉ राजाराम त्रिपाठी ने वनौषधि की खेती करके देशविदेश में खासी प्रसिद्धि हासिल की है

देश के सबसे ज्यादा शिक्षित किसान नेता किसान संगठनों के थिंक टैंक माने जाते हैं डॉ राजाराम त्रिपाठी

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खेती के क्षेत्र में कार्यों नवाचारों के लिए डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी को राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न पुरस्कार हासिल हुए हैं

डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी ने जैविक हर्बल खेती के दम पर अपना छत्तीसगढ़ का नाम देश दुनिया में रोशन करने कार्य किया है

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रायपुर, छत्तीसगढ़। विधानसभा के बजट सत्र की आज की कार्यवाही विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत के आसंदी पर बैठने के साथ प्रारंभ हुई तो कई मंत्रियों के द्वारा पेश विधेयकों पर सदन में चर्चा हुई. सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने संवाद करते हुए अपनी मांग रखी तथा मंत्रियों का ध्यान आकृष्ट कराया. इस दौरान हास परिहास, नोंक झोंक और एक दूसरे पर कटाक्ष के दृश्य दिखाई दिए.

भोजनावकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई तो एक संशोधन विधेयक को लेकर कृषि तथा संसदीय कार्य मंत्री मंत्री रविन्द्र चौबे और भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर के बीच गरमागरम बहस हो गई. अजय चंद्राकर संसदीय मर्यादा के लगातार बिगड़ने पर चिंता जता रहे थे जबकि चौबे उन्हें समझाने में लगे थे. इसी बीच भाजपा के अजय चंद्राकर ने माहौल को खुशगवार बनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत से पूछ लिया कि अध्यक्ष जी, संसदीय कार्य मंत्री जी लहर गिनने में बीरबल को भी पीछे छोड़ दिये हैं, ऐसे सब कार्यों के लिए ऊर्जा स्रोत कहां से आता है? आप इसका एक ऊर्जा स्रोत तो बताइये ?

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इस पर विधानसभा अध्यक्ष महोदय ने कहा यह ऊर्जा स्रोत तो बस्तर से आता है। बस्तर में त्रिपाठी जी हैं। वह सफेद मुसली बनाते हैं। इस बीच भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने राजाराम त्रिपाठी का नाम ही ले लिया। शिवरतन शर्मा ने पुष्टि करते हुए कहा कोंडागांव वाले।

अजय चंद्राकर यहीं नही रूके बल्कि उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि 2003 की पहली सरकार से राजाराम त्रिपाठी सबसे पावरफुल आदमी रहे राजाराम त्रिपाठी और जिंदल जी की हाजिरी लगाने सब मंत्री जाते थे। हमने देखा है। इनको देखकर मंत्री खड़े हो जाते थे।

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इसी बीच नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कृषि मंत्री से सफेद मुसली की खेती के पैटर्न के बारे में जिक्र किया। अब भाजपा के मुखर और वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल भी इसमें कूद पड़े और अध्यक्ष महंतजी की ओर मुखातिब होते हुए बोले, क्या आपने भी उनकी सेवा ली है. इस पर महंत ने कहा कि ना बाबा ना. हमें इसकी जरूरत नही. इस पर सदन में ठहाके लग गए. हालांकि मंत्री रविन्द्र चौबे इस पूरी चर्चा को बैठे-बैठे सुनकर मुस्कुराते रहे.

जानते चलें कि मूलतः बस्तर कोण्डागांव के रहने वाले देश की अग्रिम पंक्ति के किसान नेता डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने देश विदेश में वनौषधि की खेती करके खासी प्रसिद्धि हासिल की है. देश का सबसे ज्यादा शिक्षित किसान नेता किसान संगठनों का थिंक टैंक माना जाता है उन्हें कई राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल हुए तथा सफेद मूसली की खेती के बाद अब काली मिर्च की खेती करके छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर रहे हैं. कुछ समय पूर्व दिल्ली से प्रधान आयकर महानिदेशक की टीम उनके कोंडागांव में स्थित फार्म हाउस में पहुंची थी। उसने काली मिर्च की खेती तथा खड़ी फसल का निरीक्षण किया और पाया कि भारत में सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली काली मिर्च की खेती डॉक्टर त्रिपाठी कर रहे हैं। सामान्यतः काली मिर्च के एक पेड़ में 3 से 5 किलो तक की काली मिर्च मिलती है जबकि आस्ट्रेलियन टीक के साथ डाक्टर त्रिपाठी एक पेड़ से दुगुना, तिगुना उत्पादन ले रहे हैं । जिसकी कीमत एक एकड़ में 25 लाख रुपए तक होती है।

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देश के प्रधान आयकर महानिदेशक केसी घुमारिया ने काली मिर्च की खेती के निरीक्षण के बाद मीडिया से डॉक्टर त्रिपाठी की काली मिर्च की खेती की तारीफ करते हुए यहां तक कह दिया कि वह स्वयं भी सेवानिवृत्ति के उपरांत डॉक्टर त्रिपाठी के साथ जुड़कर आस्ट्रेलियन टीक के साथ इसी तरह काली मिर्च की खेती करना चाहेंगे।

आज विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच उनके नाम की चर्चा होना यह दर्शाता है कि डॉ. त्रिपाठी और उनका काम सभी दलों और विधायकों के बीच खासी अहमियत रखता है. पहले जोगी सरकार और बाद में रमन सरकार के 15 साल में डॉ त्रिपाठी ने पिछले तीन दशकों से गैर राजनीतिक होते हुए जैविक खेती, हर्बल खेती, उच्च लाभदायक वृक्षारोपण जैसे कृषि क्षेत्र में लगातार कई सफल नवाचार और नए नए अनुसंधान करके देश के किसानों को लाभदायक खेती की नई दिशा दिखाई है एवं अपने राज्य का तथा देश का भी नाम रोशन किया है ।

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