

Devendra Surjan-
हवाई जहाज में बैठने वाले आज फर्श पर बैठे है…. और कितने अच्छे दिन चाहिए भक्तों?
Girijesh Vashistha-
राजदीप बहुत जमीन से जुड़े इंसान है. अहंकार और ऐंठ है ही नहीं. निजी जीवन में इनके जितने लोग है सब इस बात को जानते है. एकदम बाल मन. गुस्सा हुए तो सामने और खुश हुए तो सामने. कोई सीनियर जूनियर का दायरा नहीं. इनके ड्राइवर के बच्चों की उच्च शिक्षा भी इन्होंने ही फंड की है. एक तो आईआईटियन है. लेकिन ये बातें भी किसी से आजतक कही नहीं.
Jai Prakash Pandey-
राजदीप सर की सहजता और जमीनी जुड़ाव उन्हें एक अलग ही पहचान देते हैं… जो उन्हें नहीं जानते वही अनाप-शनाप बातें करते हैं
Rakeshnarayan Mathur-
एयरपोर्ट पर भी जमीन पर ही बैठना और सोना पड़ता है कई बार जब आपकी कनेक्टिंग फ्लाइट होती है और रात में कहीं रुकना पड़ता है
Prabhat Ranjan Upadhyay-
ये भी जीने का अंदाज है
जानते हैं न जाने कब ये दिन आ जायें
अभी से कुछ अभ्यास डाल लें
Feeroz Ansari-
जमीन से जुड़े भी हो सकते है.
अनिल अरुण-
ज़मीन से नीचे भी जाना होगा। अभी विकास का चरमोत्कर्ष बाकी है।
Zubair Raza-
Hawaee chappal to dikhaai nahin de rahee hai ,
Rajesh Kanaujia-
चप्पल वालों की चप्पल ही गायब हो गयी इसीलिए पुरखे कह गये थे ज्यादा हवा में मत उडो
Archana Tapare Janaswamy-
फोटो खीचाने ही बैठे है भईया
Shyam Sankat-
भैया तो फोटो खिंचाने प्लेटफार्म पर ही बैठे है, लोगबाग तो हिमालय पर्वत पर ध्यान साधना करने तक बैठ गए हैं।
Shyam Sankat-
… बैठें। लेकिन फर्श तो गीला न करें।
Devendra Surjan-
पीछे पानी का स्टॉक पीठ से दबकर लीक हो गया होगा
शिशुपाल सिंह-
जिस अनुपात से यात्री बड़े हैं उस अनुपात में ट्रेन की संख्या बड़ी है और ना ही प्लेटफार्म पर उनको उनके बैठने के लिए सुविधा
Shyam Sankat-
शिशुपाल सिंह रेल्वे चाहती है कि यात्रीगण स्टेशन पर भीड़ न बढ़ाएं। डिजिटल तकनीक इंक्वायरी के उपयोग से गाड़ी चलने के समय पर ही प्लेटफॉर्म पर पहुँचे।
Mahendra Singh
हैं! नामी चाय वाले की तरह तो नहीं हो गए साहब!
Amitabh Jaiswal
पेट भी खराब लग रहा