विमल कुमार-
हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक गोपेश्वर सिंह ने आज’ राजकमल चौधरी और हिंदी आलोचना’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि राजकमल चौधरी किसी विचारधारा से जुड़े लेखक नहीं थे और उनका यह मानना था कि कविता विचार को नहीं बल्कि सत्य का चित्रण करती है।
श्री सिंह ने रजा फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राजकमल चौधरी को याद करते हुए विस्तार से बताया कि हिंदी के किन किन आलोचकों ने उन पर लेख लिखे और उन में सबसे बढ़िया लेख नंद किशोर नवल ने 40 पेज का लिखा था जो उनकी कविता को समझने के लिए अब तक का सर्वश्रेष्ठ लेख है ।
इस बीच ज्योतिष जोशी ने बताया कि नेमीचंद जैन ने भी एक महत्वपूर्ण लेख राजकमल चौधरी की कविता पर लिखा है और गोपेश्वर जी ने स्वीकार किया कि उन्होंने वह लेख नहीं पढ़ा है।
श्री सिंह ने यह भी कहा कि नामवर जी ने भी कविता से संबंधित लेख माला “क्षणभर में “और कविता के नए प्रतिमान में भी राजकमल चौधरी पर लिखा है लेकिन राजकमल चौधरी रचनावली के संपादक देवीशंकर नवीन का दावा है कि नामवर जी ने केवल एक पंक्ति लिखी है लेकिन गोपेश्वर अपनी बात पर अड़े रहे और अंत में देवशंकर नवीन को झुकना पड़ा।
इससे पहले श्री नवीन ने राजकमल चौधरी के बारे में नई जानकारियां दी जिसके बारे में आज हिंदी के लोगों को जानकारी नहीं है या बहुत कम पता है ।
उनका तो यही कहना था कि राजकमाल चौधरी की अराजकता और योनिकता के बारे में जो तरह-तरह की बातें फैलाई गई हैं उसका कोई प्रमाण नहीं बल्कि वह खुद राजकमल का प्रमाद है।
उन्होंने दावा किया कि राजकमल चौधरी की डायरी रांची में एक कबाड़ी की दुकान से मिली थी जब उन्होंने अचानक उस डायरी की लिखावट पहचान ली लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह डायरी आखिर उस कबाड़ी की दुकान पर कैसे मिली। क्या राजकमल रांची में थे। उनकी डायरी किस ने कबाड़ीवाले को बेची।
श्री नवीन ने यह भी कहा कि जब बिल क्लिंटन भारत आने वाले थे तो उन्होंने मंगलेश जी को अमेरिका पर लिखी गई राजकमल चौधरी की एक कविता भेजी थी जो 18 वर्ष की उम्र में लिखी गयी थी। वह कविता जनसत्ता में छपी पर उसमें साभार देवीशंकर नवीन नहीं छपा, जिससे वह रूष्ट हो गए।
जब मंगलेश डबराल ने उस कविता की प्रमाणिकता को जांचने के लिए श्री नवीन से कविता की लिखित प्रतिलिपि मांगी तो नवीन ने उन्हें वह प्रतिलिपि नहीं दी
देवीशंकर नवीन ने यह कहा कि प्रेमचंद के निधन के बाद सबसे ज्यादा लेख राजकमल चौधरी पर लिखे गए लेकिन समारोह के बाद जब उससे पूछा गया कि आखिर राजकमल चौधरी पर कितने लेख लिखे गए उन्होंने उसका कोई जवाब नहीं दिया। उन्हें बताया गया कि हिंदी में ऐसे भी लेखक हुए जिन के निधन पर 500 लेख छपे थे।
इससे पहले भी चौधरी की तारीफ करते हुए गोपेश्वर जी ने कहा कि हिंदी के सबसे ज्यादा प्रतिभाशाली लेखक राजकमल चौधरी थे जो कम उम्र में मर गए लेकिन शायद वह यह कहना भूल गए कि रांगेय राघव भी 39 वर्ष की उम्र में मर गए और उन्होंने राजकमल चौधरी से अधिक लिखा है। खुद भारतेंदु 36 साल की उम्र में मरे ।
समारोह में अमिताभ राय ने भी राजकमल चौधरी पर विचार रखे।
समारोह में राजकमल के मित्र सौमित्र मोहन भी थे। उनका कहना था कि वामपंथी आलोचकों ने राजकमल की उपेक्षा की जो तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है।
सच तो यह है कि राजकमल धूमकेतु की तरह हिंदी साहित्य में आये। सातवें दशक में जगदीश चतुर्वेदी, राजकमल चौधरी और धूमिल ही छाए रहे।