एफआईआर दर्ज़ होने के 15 दिनों बाद भी पुलिस हरकत में नहीं आई, 18 साल पहले हो चुका है बंटवारा लेकिन दोनों सगे भाई आज तक हिस्सा देने से कर रहे हैं साफ़ इनकार
थाना वीरपुर, सुपौल। जाने-माने रंगकर्मी, पत्रकार और समकालीन रंगमंच पत्रिका के संपादक राजेश चन्द्र, संगीत और रंगमंच के क्षेत्र में सक्रिय पत्नी उषा ठाकुर और बेटी पाखी ठाकुर पर उनके ही दो सगे भाइयों और उनके परिवार ने उस समय जानलेवा हमला कर दिया, जब वे गंभीर रूप से बीमार अपनी बेटी और पत्नी का पटना में इलाज़ कराने के बाद विगत 1 अक्टूबर, 2023 को सुबह 5 बजे सुपौल जिले के वीरपुर थानांतर्गत ग्राम बसंतपुर के वार्ड नंबर 8 स्थित अपने घर पहुंचे थे।
इस हमले में राजेश चन्द्र और उनके परिवार को गंभीर चोटें आईं, और बाद में बेहोशी की हालत में पत्नी को वीरपुर के अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जहां एमरजेंसी वार्ड में चिकित्सकों को उन्हें होश में लाने के लिये कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। अस्पताल से लाने के बाद भी पत्नी और बेटी का घर पर इलाज चल रहा है और उनकी हालत में मामूली सुधार होने की सूचना मिली है। गुंडागर्दी, मारपीट और हैवानियत की इस घटना को लेकर राजेश चन्द्र द्वारा थाना वीरपुर, सुपौल में अपने दोनों भाइयों, बड़ी भाभी और भतीजे के ख़िलाफ़ 1 अक्टूबर को ही एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसका नंबर 314/20023 है। खबर लिखे जाने तक पुलिस ने न तो पीड़ितों का मेडिकल परीक्षण कराया है, जिससे हमले की गंभीरता का पता चलता, और न ही आरोपियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की गयी है, जबकि आरोपियों द्वारा दुबारा हमला किये जाने की संभावना अभी कम नहीं हुई है।
भड़ास के साथ बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार राजेश चन्द्र ने बताया कि वे इलाज़ के सिलसिले में पिछले अगस्त महीने में सपरिवार पटना गये थे और 1 अक्टूबर को सुबह 5 बजे लौटने के बाद उन्होंने पाया कि उनके मकान में किसी और ने भी अपना ताला लगा दिया है। जब कई बार पूछने पर भी किसी ने जवाब नहीं दिया तो मैंने पास पड़े एक लकड़ी के टुकड़े से ताला तोड़ने की कोशिश की। इतने में मेरे बड़े भाई शिवेश चन्द्र ठाकुर, उनकी पत्नी आशा देवी, बेटा प्रणव ‘पप्पू’ और छोटा भाई ज्ञानेश चन्द्र ठाकुर- ये चारों अचानक एक साथ चीखते-चिल्लाते और गंदी-गंदी गालियां देते हुए हमारी तरफ़ दौड़ पड़े। उनके ख़ूनी और बेहद ख़तरनाक इरादों को देख मैंने अपनी बेटी से चिल्ला कर कहा कि वह मोबाइल से वीडियो बनाये।
शिवेश चन्द्र ठाकुर ने मेरी दाहिनी बांह पूरी ताकत से मरोड़ दी, कमीज़ फाड़ी, बाल खींचे, सिर में घूंसे मारे और दोनों हाथों से गला दबा कर मेरी जान लेने की कोशिश की। इस बीच ज्ञानेश चन्द्र ठाकुर और आशा देवी ने मिल कर मेरी पत्नी को थप्पड़ मारे, गला दबाया, कलाई तोड़ने की कोशिश की और बाल पकड़ कर घसीटा। शिवेश चन्द्र ठाकुर का बेटा प्रणव ‘पप्पू’ वीडियो बनाते हुए लगातार मुझे और मेरी पत्नी को लात से मार रहा था। जब मेरी पत्नी ने बड़े भाई को मेरा गला दबाते देखा तो वह मुझे बचाने के लिये दौड़ी। शिवेश चन्द्र ठाकुर ने मुझे धक्का दे दिया और मेरी पत्नी के बाल पकड़ कर खींचने लगा। उसने मेरी पत्नी की बांह मरोड़ दी और लात से मारा, जिसके कारण उसका सिर सामने की दीवार से टकरा गया। मेरी पत्नी, जो लकवाग्रस्त और बेहद कमज़ोर है, दर्द से चीख रही थी, लेकिन इन दरिन्दों पर कोई असर नहीं पड़ रहा था। हम अपनी जान बचाने के लिये ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहे थे, लेकिन आस-पड़ोस का कोई भी आदमी नहीं आया। मेरी बेटी को वीडियो बनाते देख शिवेश चन्द्र ठाकुर ने उसके हाथ से मोबाइल छीन कर दूर फेंक दिया और सिर पर मुक्के से प्रहार किया। वह नीचे गिर कर छटपटा रही थी, तो मेरी पत्नी ने उसे उठाया। उन्होंने यात्रा का हमारा सारा सामान उठा कर धूल में फेंक दिया।
इस घटना और भाइयों के बीच जारी विवाद का कारण पूछने पर राजेश चन्द्र ने बताया कि रंगकर्म और पत्रकारिता के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सक्रियता के क्रम में 15 वर्षों तक दिल्ली प्रवास के बाद जब वर्ष 2000 में मैं सपरिवार बिहार में अपने माता-पिता के घर लौटा तो मेरे पिताजी ने, जो वर्षों से अपने दोनों बेटों और पत्नी से प्रताड़ित थे, मेरे साथ रहना शुरू कर दिया। अपनी वसीयत में किये गये वादे के अनुसार वे मेरे हिस्से का मकान बनाना चाहते थे, लेकिन उनके दोनों बेटे इसमें बाधा डाल रहे थे। पिताजी ने बड़े और छोटे बेटे की गुंडागर्दी के ख़िलाफ़ पहले बड़ी पंचायत बुलाई और बाद में जिला पुलिस अधीक्षक से मिल कर भी शिकायत की। पुलिस के आला अधिकारियों की उपस्थिति में एक समझौता-पत्र बना, जिसके बाद पिताजी ने मेरे हिस्से का मकान बनवाना शुरू किया। लेकिन 31 मई, 2022 को उनका निधन हो गया और मकान अधूरा रह गया। राजेश चन्द्र कहते हैं कि पिताजी के नहीं रहने का फ़ायदा उठा कर और हमारी मां को डरा-धमका कर उनके बड़े और छोटे बेटे ने उनका सारा पेंशन-एरियर भी उठा लिया है और वे हमें घर और सम्पत्ति से बेदख़ल करवाने और भगा देने के लिये एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं। बंटवारे के अनुसार चल-अचल सम्पत्ति में अपना हिस्सा लेने के लिये दोनों सगे भाइयों के साथ मेरा 18 वर्षों से विवाद चलता रहा है, और आज तक ये लोग पारिवारिक सम्पत्ति में मेरा हिस्सा नहीं दे रहे हैं। मेरे और मेरे परिवार के साथ मारपीट और हैवानियत करने के बाद इन दोनों भाइयों ने अब उलटे हमारे ख़िलाफ़ ही हमारी मां से झूठा केस दर्ज़ करवा दिया है। आस-पड़ोस का माहौल और पुलिस प्रशासन का रवैया लगातार बेहद निराशाजनक बना हुआ है, लेकिन न्याय के लिये मेरी लड़ाई ज़ारी रहेगी।
राजेश चन्द्र ठाकुर से संपर्क उनके मोबाइल नंबर 8368225930 के जरिए किया जा सकता है.