सोशल मीडिया पर इन दिनों के शानदार काम किया जा रहा है. एक कंपेन चलाया जा रहा है मोबाइल कंपनियों की मनमानी के खिलाफ. डाटा पैक यानि मोबाइल इंटरनेट पैक के रेट बढ़ाने के खिलाफ 31 अक्टूबर के दिन मोबाइल पर इंटरनेट न यूज करने का आह्वान किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि अगर हम सब एक दिन भी मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल करना बंद कर देते हैं तो मोबाइल कंपनियों दो अरब रुपये से ज्यादा का नुकसान होगा.
इससे संभव है कंपनियां रेट घटाने को मजबूर हो जाएं. अगर वे रेट न घटाती हैं तो आगे फिर किसी एक दिन मोबाइल पर इंटरनेट यूज न करने का आह्वान किया जा सकता है. यह कारपोरेट लूट के खिलाफ आम जन की गांधीगिरी है. इसमें आप सभी हिस्सा लें और अपने परिचितों को शरीक होने को प्रेरित करें. करना बस यही है कि 31 अक्टूबर के दिन मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल किसी हालत में न करें.
मोबाइल कंपनियों ने नेट पैक के दर में 33 से 100 फीसदी तक की वृद्धि कुछ ही माह में कर दी है. कुछ ने सीधे रेट बढ़ाया है तो कुछ ने प्लान की समयसीमा घटाई है. इसी से खफा कई मोबाइल यूजर्स ने इन लुटेरी कंपनियों का विरोध नए तरीके से करने का प्लान किया. इसके तहत तय किया गया कि 31 अक्टूबर के दिन मोबाइल पर इंटरनेट यूज न करने का अभियान चलाया जाएगा. इस बात को, इस मुहिम को, इस अभियान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए फेसबुक, वॉट्सएप, ट्विटर, वेब, ब्लाग आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है.
ज्ञात हो कि मोबाइल इंटरनेट की दर में 33 से लेकर 100 फीसदी तक वृद्धि को लेकर मोबाइल कंपनियां अधिकृत रूप से कुछ भी कहने से बच रही हैं. मोबाइल पर इंटरनेट यूज करने वालों का कहना है कि पहले 98 रुपए के रिचार्ज पर कंपनी 30 दिनों के लिए 1 जीबी इंटरनेट सुविधा देती थी. कंपनी ने धीरे से इसकी वैधता 28 दिन कर दी और अब इसी 1जीबी नेट पैक को 30 दिन इस्तेमाल करने के लिए उन्हें 198 रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है. ऐसी लूट के खिलाफ बोलना जरूरी है. मोबाइल पर इंटरनेट यूज करने वालों की संख्या 20 करोड़ के लगभग है. हर व्यक्ति प्रतिदिन अगर 10 रुपया का भी इंटरनेट यूज करता है तो यह रकम दो अरब रुपए हो जाती है. एक दिन हम मोबाइल पर नेट यूज नहीं करेंगे तो इन कंपनियों को दो अरब रुपये का नुकसान होगा, जिससे इनको सोचना पड़ सकता है.
गाजीपुर से सुजीत कुमार सिंह ‘प्रिंस’ की रिपोर्ट. प्रिंस आजाद पत्रकार हैं. पूर्वी यूपी के खोजी पत्रकार के बतौर जन सरोकार से जुड़े कई मसलों को वह कैमरा, कलम और न्यू मीडिया के जरिए सामने ला चुके हैं. एनएचआरएम घोटाले की जांच के दौरान इसी कड़ी में उनके द्वारा उजागर किए गए एक नए प्रदेशव्यापी घोटाले को सीबीआई ने अपने जांच का विषय बनाया. इसी उल्लेखनीय खुलासे के कारण उन्हें भड़ास विशिष्ट सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.