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मनोज मनु नहीं दे रहे मेरा बकाया पैसा… सहारा समय के टीवी जर्नलिस्ट ने लिखा गौतम सरकार को पत्र

गौतम सरकार सर

नमस्कार

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मेरा नाम तहसीन ज़ैदी है.. मैंने सहारा समय में साल 2003 से साल 2015 तक रहकर भोपाल, रायपुर, चंडीगढ़ और जयपुर में कोर्डिनेटर से लेकर ब्यूरो चीफ तक के पद पर पूरे 14 साल सेवा की है… मैं कंपनी को आधी सैलरी मिलने के बावजूद छोड़ना नहीं चाह रहा था लेकिन कंपनी में कुछ तानाशाह लोगों की वजह से छोड़ना मजबूरी हो गया था… छोड़ने से पहले मेरी 19 महीनों की सैलरी आपके पास पेंडिंग है… इसके लिए मैंने मिस्टर मनोज मनु से कई बार SMS, MAIL व्हाट्स ऐप, टेलीफोनिक रिक्वेस्ट की लेकिन उन्होंने अभी तक कोई रिस्पॉन्स नहीं किया… PF तो जैसे तैसे करके निकलवा लिया… उसी बात को लेकर मिस्टर मनोज कुछ ईगो पाले हुई हैं…

अभी कुछ दिन पहले सहारा श्री रायपुर आये थे… मैं चाहता तो उनसे आसानी से मिल लेता… मेरे को मेरे शहर में कोई नहीं रोकता, इतना मुझे विश्वास है… लेकिन किसी का कार्यक्रम खराब करना मेरे संस्कार में नहीं है… दूसरा, कई लोगों ने आपसे बात करने को बोला था तब तक आपसे मेरी बात भी नहीं हुई थी… गौतम जी, मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि मेरी 19 महीनों की सैलरी दिलवाने की कृपा करें.. क्योकि ये आप भी बहुत अच्छे से जानते हैं कि कोई किसी के पैसे कभी भी नहीं खा सकता… क्योंकि हर आदमी में अपने पैसे निकालने की अपनी ताकत होती है… इसके अलावा कई फोरम भी होते हैं…

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आपसे निवेदन है कि एक हफ्ते के भीतर मेरी 19 महीने की सैलरी दिलवाकर हिसाब करवा देवें…. वरना आपसे अगली मुलाकात माननीय सहारा श्री के सामने होगी… शायद आप इस बात को बहुत हल्के में ले रहे होंगे कि मैं सहारा श्री के सामने की बात कर रहा हूँ… तो शायद आप मेरे बारे में नहीं जानते… किसी पुराने सहारा इम्प्लॉई से मेरे बारे में पता कर लेवें… मैं जो ठान लेता हूँ वो मैं करके रहता हूँ… मेरा डिटेल इस प्रकार है…. नाम- तहसीन ज़ैदी इंप्लाइ कोड EC-58987.. लोकेशन… रायपुर..

दूसरी बात गौतम सर, मैंने सहारा समय में रहते हुए टेक्निकल, एडिटोरियल, कोर्डिनेशन, मार्केटिंग और डिस्टिब्यूशन डिपार्टमेंट में रहकर कंपनी को अपनी सेवाएं दी हैं…आपसे कुछ उम्मीद है… अपने पास एक हफ्ते का समय है सर… तीसरी और आखरी बात गौतम सर… आप सोच रहे होंगे कि मैं इतने दिन बाद क्यों बोल रहा हूँ…तो मैं आपको बताना चाहूंगा कि मुझे कंपनी मजबूरी में छोड़ने के बाद भी पूरा भरोसा था कि पैसा मिल जाएगा… कंपनी अपनी है…लेकिन मनोज जी जैसों के बेईमानी के तेवर देखकर कंपनी पर से भी भरोसा हट गया है… वजह बताता हूं.

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मिस्टर मनोज अभी जब रायपुर आये थे तो वो एक एम्प्लोयी मिस्टर प्रफुल्ल पारे का डेढ़ लाख रुपए बकाया सैलरी का चेक लेकर आये… जब तक मुझे पता चला तब तक मिस्टर मनोज यहां से नोएडा जा चुके थे… कई बार कॉल किया लेकिन उनने नहीं उठाया… मैंने यहां के ब्यूरो से पूछा तो बोला गया कि मिस्टर मनोज को कुछ गलतफहमी है मेरे को लेकर कि मैंने कहीं किसी से ये कहा है कि पैसे तो टेढ़ी उंगली से भी निकल जाएंगे… तो गौतम सर इस बारे में मैं आपको बताना चाहूंगा कि पहले तो मैंने ये बात किसी से बोली भी नहीं है क्योंकि ये बात मुझे मिस्टर आदित्य जो रायपुर के ब्यूरो हैं, से पता चली…दूसरा आप ही बताइए, गौतम सर, कि अगर बोल भी दिया तो क्या गलत बोल दिया क्योंकि ये मेरा अपनी मेहनत से कमाया हुआ पैसा है… उसके लिए एक आम आदमी किसी भी हद तक जाता है और जाना भी चाहिए…. बाकी आप काफी समझदार हैं….कम लिखे को ज्यादा समझें और संबंध मधुर रहे… ये मेरी तरफ से हमेशा कोशिश रहेगी….

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आपका पुराना और पूर्व मीडिया इंप्लाई

तहसीन जैदी

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रायपुर

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