जिस सलोनी अरोड़ा की ब्लैकमेलिंग से तंग आकर दैनिक भास्कर समूह के ग्रुप एडिटर कल्पेश याज्ञनिक ने सुसाइड कर लिया था, उसी सलोनी की जमानत याचिका पर आज इंदौर हाईकोर्ट में सुनवाई थी. सलोनी की तरफ से कोर्ट में उपस्थित हुईं महिला वकील ने कोर्ट से कहा कि दैनिक भास्कर ने कल्पेश याज्ञनिक की सुसाइड के ठीक अगले ही दिन छाप दिया था कि उनकी मृत्यु हृदय गति रुकने से हुई थी. इसलिए इस मामले में सलोनी को जेल में रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है. महिला वकील ने सलोनी अरोड़ा के महिला होने का हवाला देते हुए कई किस्म के तर्क जमानत के लिए दिए.
इस पर विद्वान न्यायाधीश रोहित आर्य ने कहा कि दैनिक भास्कर की विश्वसनीयता नहीं बची है. यहां कुछ भी छपवा सकते हैं. जज का कहना था कि जिस संपादक ने इस अखबार को खून पसीना देकर खड़ा किया, उसकी मौत को भी जब ये लोग सच्चे तरीके से नहीं छाप सकते तो इनकी विश्वसनीयता कहां है. दैनिक भास्कर ने ऐसा कृत्य करके खुद के व्यावसायिक होने का सुबूत दिया है. अब तो अखबार में कल को कुछ भी छपवा लीजिए. अखबार की केडिबिल्टी नहीं रह गई है. जब अपने ही यहां सर्वोच्च स्थान पर बैठे इंप्लाई के लिए झूठा छाप सकते हैं तो फिर दूसरों की क्या बात की जाए.
न्यायधीश की इस टिप्पणी से कोर्ट रूम में हलचल मच गई. न्यायधीश रोहित आर्य ने इस मामले से जुड़ी सभी फाइलें अगली डेट पर मंगाई हैं और जांच अधिकारी को भी तलब किया है. इसके बाद ही सलोनी अरोड़ की जमानत पर कोई फैसला अदालत लेगी.
इस बीच, मध्य प्रदेश सरकार ने कल्पेश याज्ञनिक मामले में विशेष अभियोजन के तहत किसी सरकारी प्रासीक्यूटर की बजाए वरिष्ठ अधिवक्ता अविनाश सिरपुरकर को मनोनीत किया है ताकि सरकार अपना पक्ष मज़बूती के साथ रख सके और दोषी सलोनी अरोड़ा को ज़्यादा से ज़्यादा सज़ा हो सके. यह मांग कल्पेश याज्ञनिक के भाई नीरज याज्ञनिक ने उठाई थी.
कल्पेश याज्ञनिक के दामाद और एडवोकेट रोहन ने भड़ास4मीडिया से बातचीत में कहा कि अब हम लोगों की अगली मांग फ़ास्ट ट्रैक ट्रायल की है ताकि मामले का फैसला जल्द से जल्द आ सके. फास्ट ट्रैक ट्रायल के लिए सभी दलों के नेताओ ने वादा किया था.
विश्वास व्यास
February 19, 2019 at 8:17 pm
दैनिक भास्कर कोई अखबार है क्या ये केवल विज्ञापन भास्कर बन कर रहे गया है नो नेगेटिव न्यूज़ मजाक है इसका मैनेजमेंट भी धिक्कार है और संपादक इनका गुलाम है बस दैनिक भास्कर मतलब खबरों का सौदा और कुछ नही ।।