मुम्बई । देश भर के समाचार पत्रों के पत्रकारों और समाचार पत्र कर्मियों की उम्मीद की किरण मजीठिया वेज बोर्ड बना है। इसकी लड़ाई लड़ रहे पत्रकार शशिकांत सिंह को मुंबई के एक मीडिया हाउस के प्रबंधकों के इशारे पर प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसा कोई और नहीं बल्कि खुद संपादक कर रहा है। लेकिन अपने ही साथी पत्रकारों को शोषित व प्रताड़ित करना संपादकों को भारी पड़ने वाला है। इसकी एक बानगी मुम्बई (महाराष्ट्र) के श्रम आयुक्त कार्यालय से पता चली है। मुम्बई के पत्रकार शशिकांत सिंह को प्रताड़ित करने के एक मामले में मुंबई से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र ‘यशोभूमि’ के संपादक आनन्द राज्यवर्धन (शुक्ला) को एक नोटिस भेजकर इस मामले में 23 मई को दोपहर 12.30 बजे मुंबई श्रम आयुक्त कार्यालय में हाजिर होने को कहा है।
मजीठिया मामले में यह देश का पहला मामला होगा जब किसी संपादक को श्रम आयुक्त ने नोटिस भेजकर कार्यालय में तलब किया है। श्रम विभाग की नोटिस के बाद से मुम्बई के अखबारों के संपादकों में हड़कंप मचा हुआ है। यह नोटिस सरकार कामगार अधिकारी श्रीमती एसपी सावले ने जारी किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ‘यशोभूमि’ के संपादक आनंद राज्यवर्धन ने अपने साथी पत्रकार शशिकांत सिंह को मजिठिया मामले में सक्रियता देख प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।
संपादक ने अपने ही अखबार में उप संपादक पद पर कार्यरत शशिकांत सिंह की पहले ड्यूटी टाइमिंग चेंज कर दिया। शशिकांत सिंह पिछले 12 साल से इस कंपनी में नाइट ड्यूटी कर रहे हैं। संपादक ने उनकी ड्यूटी अचानक सुबह की करवा दिया ताकि वे मजीठिया मामले में सक्रियता के लिए समय ना निकाल पाएं। शशिकांत सिंह ने सुबह की ड्यूटी करना शुरू कर दिया तो संपादक ने उनकी छुट्टी बंद करवा दिया कार्मिक विभाग से कह कर ताकि मजीठिया मामले में शशिकांत सिंह का मनोबल टूट जाए। इस पर भी संपादक का जी नहीं भरा तो संपादक ने मौखिक रूप से कह दिया कि आप खबर टाइप करके नहीं देंगे बल्कि लिखकर दीजिये।
इस पूरे प्रकरण की शिकायत शशिकांत सिंह ने श्रम आयुक्त कार्यालय के साथ साथ मजीठिया मामले में सुप्रीम कोर्ट में केस जीत चुके सीनियर एडवोकेट उमेश शर्मा से भी नयी दिल्ली में की है ताकि सुप्रीम कोर्ट के 14 मार्च 2016 को जारी आदेश का पालन सुनिश्चित हो। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए श्रम आयुक्त कार्यालय मुम्बई शहर ने संपादक आनन्द राज्यवर्धन को नोटिस भेजा है।
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह का आरोप है कि इस संपादक ने यशोभूमि में अपने तीन सगे भाइयों को नौकरी दी। अपने सगे बुजुर्ग चाचा को भी नौकरी नवाज़ा है जो पहले मनपा स्कूल घाटकोपर के भट्टवाड़ी इलाके में टीचर थे। स्कूल में पढ़ाते समय से ही टीपी शुक्ला ‘यशोभूमि’ आनंद शुक्ला की मदद हेतु उन्हें लेख व संपादकीय लिखकर मुहैया करवाते थे। रिटायरमेंट के बाद चाचा त्रिवेणी प्रसाद शुक्ला को यशोभूमि सम्पादक भतीजे ने अपने ही अखबार में नौकरी दे दिया। आरोप तो संपादक महोदय पर यह भी है कि उन्होंने उत्सव पब्लिसिटी नामक विज्ञापन एजेंसी खोल कर फर्जी नियुक्तियों का जाल बिछाया है।
मुंबई से दानिश आजमी की रिपोर्ट.
Hemant Choudhari
May 18, 2016 at 2:25 pm
Very Good News