अजय कुमार, लखनऊ
दीपावली खुशियां बांटने का त्योहार है। हर तरफ खुशियांे का आदान-प्रदान देखा जा सकता है,लेकिन सियासी दुनियां यह सब बातें मायने नहीं रखती हैं। इसी लिये दीपावली के दिन एक भतीजे ने चाचा की जिंदगी में ‘सियासी अंधेरा’ कर दिया। बात समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव की हो रही है। पिछले वर्ष तो भतीजे ने चाचा की दीवाली ‘काली’ की ही थी,इस बार भी ऐसा ही नजारा देखने को जब मिला तो लोग आह भरने को मजबूर हो गये।
कहा यह भी जाने लगा कि खुशिंयों के मौके पर ऐसा दर्द तो गैर भी नहीं देता हैं, जैसा चाचा को भतीजे से मिला है। इसके साथ ही यह भी तय हो गया कि बार-बार अपमान का घूंट पीकर भी समाजवादी पार्टी के प्रति किसी तरह का दुराव नहीं रखने वाले शिवपाल के लिये अब पार्टी में कोई स्थान नहीं बचा रह गया है। उन्हें अब मुलायम के सहारे के बिना ही अपनी राजनैतिक जंग जीतनी होगी, यह काम वह अलग पार्टी बनाकर या किसी और दल में शामिल होकर कर सकते हैं। अन्यथा शिवपाल की सियासत तारीख के पन्नों में समा जायेगी। शिवपाल खेमा इन दोनों हालातों का आकलन करने में जुटा है।
आगरा में जो सुलह होते दिखाई दे रही थी,उस पर अगर किसी ने पानी डालने का काम किया है तो निश्चित ही इसमें सबसे पहला नाम अखिलेश यादव का ही लिया जायेगा,जिनकी जिद्द संगठन पर भारी पड़ रही है। करीब सवा साल से चली आ रही अखिलेश यादव व उनके चाचा शिवपाल में तल्खी में अभी आगरा सम्मेलन के बाद चचा की हार्दिक बधाई व आशीर्वाद से कम होती दिखी थी। तब अखिलेश ने कहा था कि उनका रिश्ता ऐसा है कि उन्हें आशीर्वाद मिलेगा ही। तब ऐसा लगा था कि परिवार में एका हो जाएगी लेकिन हाल ही में लोहिया की पुण्यतिथि पर दोनों में दूरी साफ दिखी।
लोहिया ट्रस्ट में शिवपाल की मौजूदगी के चलते अखिलेश यादव ने ट्रस्ट में आयोजित पहले से तय कार्यक्रम में जाने से परहेज किया। इस मौके पर अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव के साथ नजर आये और उनके पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया। उधर, मुलायम पहले ही अलग पार्टी न बनाने का ऐलान कर साफ कर चुके हैं कि वह अखिलेश के संग ही हैं। इससे शिवपाल खेमे को झटका लगा। अब तक शिवपाल खेमे को उम्मीद थी कि नेताजी के कहने पर सपा में शिवपाल को सम्मानजनक स्थान मिलेगा, लेकिन कार्यकारिणी में न रखे जाने से साफ हो गया कि दूरियां बरकरार हैं।
शिवपाल यादव ने अपनी अनदेखी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अब अखिलेश यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और वे जैसे चाहें पार्टी को चलाएं.जब शिवपाल से पूछा गया कि नई कार्यकारिणी में उनके लोगों को महत्व नहीं दिया गया है तो उन्होंने कहा, “ अभी बहुत लंबा समय है अपने समर्थकों से बातचीत करके ही कोई फैसला लेंगे। यह और बात थी कि बड़े होने का फजै निभाते हुए उन्होेंने दीपावली के मौके पर भतीजे अखिलेश और प्रदेशवासियों को बधाई जरूर दी। बता दें दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद अखिलेश यादव ने अपनी नई कार्यकारिणी का गठन कर दिया है। इस कार्यकारिणी में न तो शिवपाल को और न ही उनके किसी समर्थक को कोई स्थान मिला है।
समाजवादी पार्टी ने 55 सदस्यों वाली कार्यकारिणी सूची 16 अक्टूबर 2017 को जारी कर दी थी। अखिलेश यादव (44) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। रामगोपाल यादव को प्रमोट कर चीफ जनरल सेक्रेटरी बनाया गया है। मुलायम सिंह और शिवपाल यादव का नाम लिस्ट में शामिल नहीं है। कार्यकारिणी में प्रमुख महासचिव रामगोपाल के अलावा 9 लोगों को महासचिव की जिम्मेदारी दी गई। इनमें आजम खां, बलराम यादव, सुरेन्द्र नागर, नरेश अग्रवाल, रवि प्रकाश वर्मा, विशंभर प्रसाद, अवधेश प्रसाद समेत अन्य नेताओं के नाम शामिल हैं। वहीं, मुलायम के करीबी संजय सेठ को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। कार्यकारिणी में 37 मेंबर हैं, जबकि जया बच्चन समेत 6 विशेष आमंत्रित मेंबर हैं। सपा संरक्षक के तौर पर मुलायम का नाम लिस्ट में शामिल नहीं करने पर सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, मुझे इस तरह की किसी पोस्ट की जानकारी नहीं है। हमारी पार्टी के संविधान में ऐसी कोई पोस्ट है भी नहीं। मुझे नहीं पता कि वो (मुलायम) संरक्षक हैं या नहीं। बता दें कि सपा में 4 नवंबर, 1992 को पार्टी बनने के बाद से ही मुलायम प्रेसिडेंट रहे थे।
गौरतलब हो, पिछले साल भी लखनऊ में सपा परिवार के बीच ऐसा नजारा दिखा था। तब अखिलेश सरकार थी। मुलायम परिवार का झगड़े का असर सैफई में दीपावली के त्योहार पर देखा गया था। इस बार की दीवाली पर कुछ इसी तरह के हालात बनते दिख रहे हैं। अखिलेश यादव दीवाली मनाने सैफई पहुंच गए हैं। मुलायम भी दिवाली पर इटावा में रहेंगे। रामगोपाल यादव व मुलायम सिंह यादव सैफई में दिवाली मनाएंगे। शिवपाल भी सैफई में होंगे। अलग-अलग वक्त पर पहुंचने वाले परिवार के यह सदस्य इस बार एक साथ मुलाकात करेंगे या नहीं या यह देखने वाली बात होगीा। पिछली दिवाली पर सैफई में अखिलेश यादव की सिर्फ रामगोपाल यादव से ही मुलाकात हुई थी।
लेखक अजय कुमार लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं.