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फर्जी इंटरव्यू करने वाले फ्रीलांस पत्रकार सिद्धार्थ राजहंस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा दैनिक भास्कर!

Soumitra Roy : भास्कर ने आखिर ग़लती मान ही ली। इससे साबित हुआ कि भारत के सबसे विश्वसनीय अखबार के लिए इंटरव्यू भाड़े के लोगों से जुगाड़े जाते हैं।

द वायर से बातचीत में दैनिक भास्कर की ओर से कहा गया, ‘हम अपने फ्रीलांस पत्रकार सिद्धार्थ राजहंस के धोख़े का शिकार हुए हैं. उन्होंने हमसे जालसाज़ी की है. हम उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी क़दम उठा रहे हैं. साथ ही फिनलैंड के प्रधानमंत्री कार्यालय और दूतावास को माफ़ीनामा भी भेज रहे हैं.’

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आरोप है कि दैनिक भास्कर ने 8 मार्च को महिला दिवस के अवसर पर फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन का फर्जी प्रकाशित किया था. प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

प्रधानमंत्री सना मरीन के कार्यालय की सरकारी संचार निदेशक पविवि एंटिकिकोस्की का कहना है कि वह इस घटना से चकित हैं.

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एंटिकिकोस्की ने कहा, ‘एक भारतीय पत्रिका द्वारा अपमानजनक तरीके से छल किया गया है. अगर हेलसिंकी (फिनलैंड की राजधानी) में कोई प्रधानमंत्री का साक्षात्कार करने आया होता तो हमें पता होता.

द वायर ने दैनिक भास्कर के नेशनल न्यूज़ रूम डेस्क के संपादक अरुण चौहान को सवालों की एक सूची ईमेल की थी, जिसका उन्होंने विस्तार से जवाब दिया है.

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दैनिक भास्कर के अनुसार, हम अपने फ्रीलांसर के धोखे का शिकार हुए और उसने हमसे जालसाजी की है. हम सिद्धार्थ राजहंस के खिलाफ जरूरी कानूनी कदम उठा रहे हैं.

दैनिक भास्कर के अनुसार, अखबार ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विश्व की सबसे युवा महिला प्रधानमंत्री सना मरीन का इंटरव्यू करने की योजना बनाई. इसके लिए उन्होंने मूल रूप से मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले और अमेरिकी टेक्नोक्रेट सिद्धार्थ राजहंस से संपर्क किया, जिन्होंने खुद को संयुक्त राष्ट्र से जुड़ा हुआ बताते हुए साक्षात्कार लाने का विश्वास दिलाया. इसके लिए उन्होंने कंपनी से करीब साढ़े तीन लाख रुपये की राशि भी स्वीकृत कराई, जिसमें करीब 35 हजार रुपये उनका मेहनताना था.

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अखबार का कहना है कि राजहंस ने इंटरव्यू स्वीकृत कराने के लिए फिनलैंड के प्रधानमंत्री कार्यालय को दो ईमेल भेजे और उनका जवाब भी आया था.

इसके बाद अखबार ने फिनलैंड दूतावास से संपर्क किया, जिसमें 18 मार्च को दैनिक भास्कर को भेजे गए जवाब में बताया गया कि प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से उन्हें आए दोनों ईमेल फर्जी थे.

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पत्रकार, विश्लेषक और सोशल एक्टिविस्ट सौमित्र रॉय की रिपोर्ट.

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