Om Thanvi : दिल्ली में आप सरकार के दो वर्षों के कामकाज पर हिंदुस्तान टाइम्स में छपा वृहद सर्वे बताता है कि लोग मानते हैं राजधानी में भ्रष्टाचार घटा है और शिक्षा, चिकित्सा, जल-आपूर्ति और बिजली-प्रबंध के क्षेत्रों में बेहतर काम हुआ है। और, दिल्ली सरकार की यह छवि दो वर्षों तक नजीब जंग की अजीब हरकतों के बावजूद बनी है, जिन्होंने केंद्र सरकार की गोद में बैठकर निर्वाचित शासन के काम में भरसक रोड़े अपनाए।
आप सरकार की सबसे बड़ी सफलता मैं यह मानता हूँ कि उसने यह भरोसा अर्जित किया है कि देश की राजनीति में विकल्प सम्भव हैं। भ्रष्टाचार, वीआइपी ‘संस्कृति’ की ग़लाज़त, वंशवाद, लफ़्फ़ाज़ी आदि को अपेक्षया सादगी, साफ़गोई और काम से पलटा जा सकता है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का शिक्षा के क्षेत्र में काम इसका श्रेष्ठ उदाहरण होगा।
अकारण नहीं है कि पार्टी दिल्ली से बाहर भी पाँव पसार रही है। मुझे एक दफ़ा एक टीवी बहस के बाद अनौपचारिक बातचीत में भाजपा के एक नेता ने कहा था कि दिल्ली में आप पार्टी को हमने (ग़ैर-वाजिब कोशिशों से) न कुचला तो ये लोग हमें आगे बीस वर्ष और यहाँ सत्ता में नहीं आने देंगे।
मेरा ख़याल है भाजपा की इस कुटिल नीति ने आप को सहानुभूति ही दिलवाई है। बाक़ी उनका काम बोलता है। तीन साल अभी उनके हाथ में हैं। अगर पंजाब में आप पार्टी की सरकार बनी तो दिल्ली में केंद्र का दमन कम होगा और, नतीजतन, यहाँ और बेहतर काम की उम्मीद बांधी जा सकती है।
वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी की एफबी वॉल से.
Sanjeev Kumar
February 16, 2017 at 9:59 am
दिल्ली में ‘आप’ सरकार को कुचलने की जरूरत नहीं है, यह स्वयं ही बे—मौत मारी जाएंगी। जिस तरह से दिल्ली की जनता से किये वादे को भूला कर अन्य राज्यों में दर—बदर भट रहा है, और दूसरे राज्यों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहा, दिल्ली में आने वाले विधान सभा चुनाव में जनता सबक सिखायेगी। जिस तरह गद्दी पर बिठाया है उसी तरह उतार भी देगी। महानगरों में लोगों को ‘आटा’ नहीं ‘डेटा’ चाहिए, शांति और सुरक्षा चाहिए। ‘आटा’ भले ही 30 रुपये प्रति किलो हो गया है, पर पेट काट कर जिंदा रह लेंगे, लेकिन, डेटा फ्री चाहिए। बीजेपी को निशाना बना कर एमसीडी कर्मचारियों को वतेन नहीं देना और पूरी राजधानी को गंदगी की ढेर पर बैठाकर राजनीति करना इनकी नियती बन गई है। ‘आप’ बजट में 625 करोड़ विज्ञापन के लिए रखेंगे, विधायकों की सैलरी 400 गुणा बढ़ाऐंगे, लेकिन, एमसीडी सफाई कर्मचारियों को वेतन नहीं देंगे, राजनीति जो करनी है। राजनेताओं के अगर मुद्दा ही खत्म हो जाएंगा तो फिर राजनीति कैसे करेंगे?