: मृतक सिपाहियो के परिजनों को 50-50 लाख का मुआवजा मिले : इटावा। उत्तर प्रदेश पुलिस एसोषियेषन के अध्यक्ष सुबोध यादव ने आत्महत्या करने वाले दो पुलिस कर्मियों के परिजनों को 50-50 लाख रूपये मुआवजा व डीआईजी गोरखपुर डा0 संजीव गुप्ता व एसएसपी पीलीभीत सोनिया सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की है। उन्होंने इस सम्बन्ध मे मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा है।
इस प्रकरण के सम्बन्ध में अध्यक्ष सुबोध यादव ने बताया कि पीलीभीत में पुलिस अधीक्षक के आवास पर ड्यूटी कर रहे सिपाही दिनेश प्रजापति उम्र 27 वर्ष, 2011 बैच, ने सरकारी रायफल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। दूसरी घटना गोरखपुर रेंज के डीआईजी के लखनऊ स्थित निजी आवास की बेगारी से आजिज होकर गोरखपुर के डीआईजी के पीआरओ सेल में तैनात सिपाही अरूण कुमार चौधरी उम्र 25 वर्ष का शव डीआईजी के लखनऊ स्थिति निजी आवास पर पंखा पर लटकता मिला। सिपाही ने इससे पूर्व अपने घर पर फोन करके अपने पिता से डीआईजी द्वारा करायी जा रही बेगारी का दुखड़ा रोया था।
अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में बताया कि शासन का कोई ऐसा आदेश नहीं है कि डीआईजी अपने निजी आवास पर भी सुरक्षा लगायें अथवा कानून के रक्षक से बेगार करायें। ऐसे डीआईजी को मुकदमा दर्ज कर जेल भेजना चाहिये। उन्होंने कहा कि जब थाना में ऐसी घटना होती है तो प्रभारी निरीक्षक / थानाध्यक्ष व पहरा पर ड्यूटी करने वाला व कार्यालय का स्टाफ दोषी माना जाता है और जेल भेजा जाता है जैसा कि तीन दिन पूर्व थाना जसवन्तनगर इटावा में प्रभारी निरीक्षक व कई को निलम्बित किया गया है।
उन्होंने कहा कि पीलीभीत में जिस सिपाही ने आत्महत्या की है उसकी शादी हो रही थी और एसपी द्वारा 30 दिन अवकाश नहीं दिया जा रहा था। जब वह अवकाश लेने गया तो एसपी ने उसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग कर भगा दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि डीआईजी गोरखपुर व एसपी पीलीभीत के खिलाफ मुकद्मा दर्ज कर जेल भेजा जाये और मृतक पुलिसकर्मी के परिजनों को पचास- पचास लाख रुपये का मुआवजा व एक-एक परिजन को तत्काल सेवा में लिया जाये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में यह कोई पहली घटना नहीं है। पूर्व में भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं जिन्हें हल्के में लिया गया। अगर उसी समय गम्भीरता बरती जाती तो ये घटनाएं नहीं घटती।
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