रामगोपाल यादव बोले- आईएएस सूर्य प्रताप सिंह के दिमाग का स्क्रू ढीला!

Yashwant Singh : मुलायम ने आईपीएस Amitabh Thakur को सीधे फोन कर हड़काया तो रामगोपाल ने आईएएस Surya Pratap Singh के दिमाग का स्क्रू ढीला बताया. रामगोपाल ने सूर्य प्रताप सिंह के बारे में शर्मनाक बयान मीडिया के सामने दिया है, ऐसा यह वीडियो देखकर लगता है.

भारत के एक मुस्लिम नेता ने पत्रकारों-कार्टूनिस्टों की हत्या और आतंकी हमले को जायज ठहराया, ईनाम देने की घोषणा की

डेनमार्क के कार्टूनिस्ट और पत्रकारों की निर्मम हत्या का विरोध पूरी दुनिया कर रही है और पूरी दुनिया आतंक के विरोध में एकजुट होने का प्रयास कर रही है लेकिन भारत में बहुजन समाज पार्टी के एक नेता हाजी याकूब कुरैशी ने पेरिस में शार्ली एब्दो मैगजीन के दफ्तर पर हुए हमले का न सिर्फ समर्थन किया बल्कि यहां तक कह दिया कि अगर हमला करने वाले दावा करें तो उन्हें 51 करोड़ रूपये का इनाम दिया जायेगा.

शहीद पत्रकारों और कार्टूनिस्टों को श्रद्धांजलि देने के बाद मैग्जीन शार्ली एब्डो के समर्थन में एकजुटता दिखा रहे ‘एजेंसी फ्रांस प्रेस’ (फ्रांसीसी नेशनल न्यूज एजेंसी) के हांगकांग स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के मीडियाकर्मी.

डीआईजी गोरखपुर डा. संजीव गुप्ता और एसपी पीलीभीत सोनिया सिंह को जेल भेजा जाए : सुबोध यादव

: मृतक सिपाहियो के परिजनों को 50-50 लाख का मुआवजा मिले : इटावा। उत्तर प्रदेश पुलिस एसोषियेषन के अध्यक्ष सुबोध यादव ने आत्महत्या करने वाले दो पुलिस कर्मियों के परिजनों को 50-50 लाख रूपये मुआवजा व डीआईजी गोरखपुर डा0 संजीव गुप्ता व एसएसपी पीलीभीत सोनिया सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की है। उन्होंने इस सम्बन्ध मे मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा है।

सलाम मांझी! सलाम कंवल भारती!

दलित-पिछड़ों यानी मूलनिवासी की वकालत को द्विज पचा नहीं पा रहे हैं। सामाजिक मंच पर वंचित हाषिये पर तो हैं ही, अब राजनीतिक और साहित्यिक मंच पर भी खुल कर विरोध में द्विज आ रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के आर्यों के विदेशी होने के बयान से उच्च जाति वर्ग पार्टी और विचार धारा से ऊपर जाकर बौखलाहट और तीखा विरोध के साथ सामने आया तो वहीं लखनउ में कथाक्रम की संगोष्ठी ‘लेखक आलोचक, पाठक सहमति, असहमति के आधार और आयाम’, में लेखक कंवल भारती के यह कहने पर कि ‘साहित्य और इतिहास दलित विरोधी है। ब्राह्मण दृष्टि असहमति स्वीकार नहीं करती।

भड़ास पर खबर छपने के बाद कल्पतरु एक्सप्रेस ने राज कमल को फिर से नौकरी पर रखा

कल्पतरु एक्सप्रेस में छंटनी और यहां कार्यरत पत्रकार राज कमल के दुखों को लेकर भड़ास पर खबर छपने के बाद कल्पतरु प्रबंधन ने राज कमल को फिर से नौकरी पर रख लिया है. प्रबंधन के इस कदम की सराहना की जा रही है. हालांकि बाकी निकाले गए पत्रकार अब कल्पतरु समूह की असलियत सामने लाने के लिए लगातार रिसर्च वर्क कर रहे हैं और जल्द ही ढेर सारे डाक्यूमेंट्स के साथ कल्पतरु समूह के गड़बड़झाले का खुलासा मीडिया जगत के सामने करेंगे.

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर उपजा ने मनाया समारोह, पत्रकारिता की जीवंतता पर छिड़ी बहस

लखनऊ। राज्य विधानसभा के अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने मीडिया जगत, खासकर अखबारों में काम करने वाले पत्रकारों का आह्वान किया है कि वे अच्छी खबरें लिखकर समाज में सकारात्मक सोच पैदा करें। माता प्रसाद पाण्डेय ने मीडिया काउंसिल की पुरजोर वकालत की। पाण्डेय रविवार को राजधानी में राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। इसका आयोजन उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) और इसकी स्थानीय इकाई ‘लखनऊ जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन’ ने संयुक्त रूप से किया था।

हिंदुस्तान अखबार ने प्रेस काउंसिल से कहा- आजम खान ने वाकई ‘डंडे की भाषा’ वाला बयान दिया था

30 जनवरी 2013 को यूपी के वरिष्ठ मंत्री आज़म खां द्वारा समाजवादी पार्टी मुख्यालय में कथित रूप से सरकारी अफसरों द्वारा डंडे की भाषा समझने और उन पर चाबुक चलाने की बात कही गयी जो अगले दिन विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई, लेकिन उसके अगले दिन उन्होंने आधिकारिक बयान दे कर इससे इनकार किया और इसे भ्रामक और उनकी छवि खराब करने की साजिश बताया. मीडिया की विश्वसनीयता से जुड़ा मामला होने के कारण सामाजिक कार्यकर्त्ता डॉ नूतन ठाकुर ने प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया से इस आज़म के दोनों बयानों की सच्चाई की जांच की मांग की थी.

अपनी जाति बताने के लिये शुक्रिया राजदीप सरदेसाई

Vineet Kumar : राजदीप की इस ट्वीट से पहले मुझे इनकी जाति पता नहीं थी..इनकी ही तरह उन दर्जनों प्रोग्रेसिव मीडियाकर्मी, लेखक और अकादमिक जगत के सूरमाओं की जाति को लेकर कोई आईडिया नहीं है..इनमे से कुछ वक्त-वेवक्त मुझसे जाति पूछकर अपनी जाति का परिचय दे जाते हैं..और तब हम उनकी जाति भी जान लेते हैं.

मौलाना आजाद की जयंती पर मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा पुरानी स्टोरी गरम करके परोसने के मायने

Vineet Kumar : आज यानी 11 नवम्बर को मौलादा अबुल कलाम आजाद की जयंती है. इस मौके पर मेनस्ट्रीम मीडिया ने तो कोई स्टोरी की और न ही इसे खास महत्व दिया. इसके ठीक उलट अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उनके ना से जो लाइब्रेरी है, उससे जुड़ी दो साल पुरानी बासी स्टोरी गरम करके हम दर्शकों के आगे न्यूज चैनलों ने परोस दिया. विश्वविद्यालय के दो साल पहले के एक समारोह में दिए गए बयान को शामिल करते हुए ये बताया गया कि इस लाइब्रेरी में लड़कियों की सदस्यता दिए जाने की मनाही है. हालांकि वीसी साहब ने जिस अंदाज में इसके पीछे वाहियात तर्क दिए हैं, उसे सुनकर कोई भी अपना सिर पीट लेगा. लेकिन क्या ठीक मौलाना आजाद की जयंती के मौके पर इस स्टोरी को गरम करके परोसना मेनस्ट्रीम मीडिया की रोचमर्रा की रिपोर्टिंग और कार्यक्रम का हिस्सा है या फिर अच्छे दिनवाली सरकार की उस रणनीति की ही एक्सटेंशन है जिसमे बरक्स की राजनीति अपने चरम पर है. देश को एक ऐसा प्रधानसेवक मिल गया है जो कपड़ों का नहीं, इतिहास का दर्जी है. उसकी कलाकारी उस दर्जी के रूप में है कि वो भले ही पाजामी तक सिलने न जानता हो लेकिन दुनियाभर के ब्रांड की ट्राउजर की आल्टरेशन कर सकता है. वो एक को दूसरे के बरक्स खड़ी करके उसे अपनी सुविधानुसार छोटा कर सकता है. मेनस्ट्रीम मीडिया की ट्रेंनिंग कहीं इस कलाकारी से प्रेरित तो नहीं है?