राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी को उदयपुर के राजस्थान विद्यापीठ सभागार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ा। कार्यक्रम के दौरान बंटे पर्चों ने कोठारी की हवा हवाई बातों की कलई खोल कर रख दी। गौरतलब है कि कोठारी पर पत्रकारों के लिए बने मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों को अपने अख़बार में लागू नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का केस चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट का शिकंजा कसने से बौखलाकर उन्होंने करीब चार दर्जन कर्मचारियों को गैर कानूनी रूप से ट्रान्सफर और टर्मिनेट कर दिया है।
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मालिक नहीं, असल गुनहगार संपादक : सुमंत भट्टाचार्य
हाल ही अपने मित्र की मीडिया संबंधित बेवसाइट पर जारी घमासान देख रहा था। मसला जयपुर से निकलने वाले “राजस्थान पत्रिका” के मालिक गुलाब कोठारी और उनके बेटे निहार कोठारी को गरियाने से है। वजह पत्रकारों से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड है, जिसकी एक मीटिंग के बाद सोशल और मीडिया बेवसाइट में पिता-पुत्र को छद्म नामों से मां-बहन करने की बाढ़ सी आ गई है। ये वही पत्रकार हैं, जो बाहर निकले तो सौ रुपए दिहाड़ी पर कोई ना पूछे।
मजीठिया वेतनमान : वकीलों की कॉन्फ्रेंस में गुपचुप पहुंचे कोठारी छिपते-छिपाते भागे
जयपुर : बार कौन्सिल ऑफ़ इंडिया और बार कौन्सिल ऑफ़ राजस्थान की और से जयपुर के बिरला सभागार मे आयोजित कॉन्फ्रैंस नालकोन 2015 में सुप्रीम कोर्ट की अवमानना झेल रहे राजस्थान पत्रिका के मालिक गुलाब कोठारी, जो अपने आप को पत्रकार कहते हैं, आज उन्हें अपने ही कर्मचारियों और पत्रकारों के विरोध का सामना करना पड़ा। उन्हें कॉन्फ्रैंस में आने के लिए पीछे के रास्ते से प्रवेश करना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा, सीनीयर एडवोकेट पारस कुहाड़ और गुलाब कोठारी
पत्रिका वाले कोठारी बाप-बेटा का कारनामा : हक के लिए कोर्ट जाने पर रामकुमार सिंह और राकेश वर्मा को निकाला
राजस्थान पत्रिका समूह से खबर है कि इस अखबार के मालिक पिता पुत्र इन दिनों पूरी तरह क्रूर हो चुके हैं. मजीठिया वेज बोर्ड के पैमाने पर सेलरी देने की मांग को लेकर जो-जो भी पत्रकार या गैर-पत्रकार सुप्रीम कोर्ट या किसी अन्य कोर्ट / उपक्रम में गए हैं, उन्हें बिना किसी नियम कानून की परवाह किए हुए संस्थान से बाहर निकाले जाने की कार्रवाई हो रही है.