पत्रकारिता की राह पर शंभूनाथ शुक्ला का सफर… कुछ यादें, कुछ बातें

मैं बनवारी जी से मिलने साढ़े चार सौ किमी की यात्रा तय कर दिल्ली आ गया वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल जब से विजुअल मीडिया का दौर आया है पत्रकारिता एक ग्लैमरस प्रोफेशन बन गया है। पर हमारे समय में दिनमान ही पत्रकारिता का आदर्श हुआ करता था और रघुवीर सहाय हमारे रोल माडल। लेकिन उनकी …

पूर्वोत्तर यात्रा-5 : बिहु और झूमर का नशा

आज गुवाहाटी से काजीरंगा नेशनल पार्क के लिए रवाना होना था। सुबह 7 बजे सारे पत्रकार साथी तैयार हो चुके थे। राजभवन से नाश्ता कर प्रस्थान करना था। हम दो दिनों से असम के राजभवन में रुके थे पर अब तक राज्यपाल पद्मनाभन आचार्य जी से हमारी मुलाकात नहीं हो पाई थी। दरअसल आचार्य जी के पास असम के साथ साथ नागालैंड के राज्यपाल का भी प्रभार है। इन दिनों वे नागालैंड की राजधानी कोहिमा स्थित राजभवन में थे। वहाँ उनसे हमारी मुलाकात होने वाली थी। सुबह 7 बजे हम 4 घंटे की यात्रा पर काजीरंगा के लिए रवाना हुए। बस आगे बढ़ी तो समय बिताने के लिए फिर से गीत संगीत की महफ़िल जमी।

पूर्वोत्तर यात्रा-4 : मेघालय में लड़की शादी के बाद लड़के को अपने घर लाती है

आख़िरकार अब मेघालय को अलविदा कहने और पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य आसाम की भूमि को फिर से प्रणाम करने का वक्त आ गया था। जोवाई से हमें गुवाहाटी जाना था। 160 किलोमीटर के इस सफ़र की शुरुआत 25 नवम्बर 2015 की दोपहर को हुई। हमारे वाहन ने शहर से बाहर निकल कर रफ़्तार पकडी तो टीम लीडर किरण जी ने फरमान सुनाया कि अब सभी साथी बारी बारी से अपने मेजवान परिवारों के बारे में अपना अनुभव सुनाएंगे। मैंने और विनोद जी ने श्री पाले के साथ बीते पलों के अनुभव साझा किये, जिसकी चर्चा मैं पहले ही विस्तार से कर चुका हु। विवेक बाबू ( एसियन एज के विशेष संवाददाता विवेक भावसार, जिन्हें मैं विवेक बाबू के नाम से ही संबोधित करता हूं) और मुर्तज़ा मर्चेंट जी (पीटीआई) एक साथ मेजवान परिवार के यहाँ रात्रि विश्राम के लिए गए थे।

आसाम सरकार के श्रम विभाग के सचिव नितिन खाडे जी के साथ पत्रकार साथी।

पूर्वोत्तर यात्रा-3 : मेघालय में सपने दिखा कर जीवन बदल रहे हरदोई के मिश्राजी

सोशल मीडिया के अस्तित्व में आने के बाद इसका दुरूपयोग करने वाले भी पैदा हो गए हैं। बावजूद इसके सोशल मीडिया ने दुनिया का दायरा सीमित करने का काम किया है। हम कही भी जाये फेसबुक को बताना नहीं भूलते की कहां पहुचे हैं और क्या कर रहे हैं। आप सोच रहे होंगे पूर्वोत्तर यात्रा के बीच ये फेसबुकवा कहाँ से आ गया।  यहां हम फेसबुक की चर्चा इस लिए कर रहे क्योंकि इसकी वजह से हमारी मुलाकात एक मिलनसार, ईमानदार और लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले एक आईएएस अफसर से हो सकी। गुवाहाटी पहुचते ही मैंने अपने इस यात्रा की जानकारी फ़ोटो सहित फेसबुक पर अपलोड कर दी थी।

शिलांग में मेघालय के विकास आयुक्त राममोहन मिश्रा जी से बातचीत करते मुम्बई से गए पत्रकार।