राज्यसभा टीवी में मनमानी की पोल खुली, प्रशांत भूषण ने दायर की याचिका

नियंत्रक-महालेखा परीक्षक यानि कैग की जांच रिपोर्ट में राज्‍यसभा टीवी के बारे में में कहा गया है कि इस चैनल के पास अपना कोई रोडमैप ही नहीं है. राज्यसभा के लिए अलग से चैनल की सार्थकता पर भी प्रश्‍न चिह्न लगाया गया है. कैग रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2011 में शुरू होने के बाद से चैनल पर अब तक 1700 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इस चैनल में फरवरी 2012 तक एग्जिक्‍यूटिव डायरेक्‍टर और एग्जिक्‍यूटिव एडिटर्स की यात्राओं पर 60 लाख रुपये खर्च किए गए. चैनल को कोई रेवेन्‍यू नहीं मिल रहा। यहां भर्ती में नियमों का पालन नहीं हुआ। साथ ही इस चैनल की दर्शक संख्‍या भी नहीं है.

राज्यसभा टीवी में जारी है फिक्सिंग का खेल

इन दिनों टीवी न्यूज़ चैनलों में राज्यसभा टीवी की चर्चा ज़ोरो पर है। बीते दिनों राज्यसभा टीवी में पत्रकारों की भर्ती के लिए हुए मेराथन इंटरव्यू के बाद इस चर्चा ने ज़ोर पकड़ा है। राज्यसभा टीवी पिछले दरवाज़े से पत्रकारों की इंट्री करवाने के लिए पहले ही बदनाम हो चुका है। लेकिन बीते दिनों राज्यसभा टीवी के रकाबगंज रोड स्थित ऑफिस में जो कुछ हुआ उसने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि राज्यसभा टीवी में सिर्फ नेताओं और अफसरों के रिश्तेदार ही पत्रकार बन सकते हैं।ये बात किसी से छिपी नहीं है कि वर्तमान में राज्यसभा टीवी में कार्यरत लगभग सभी पत्रकारों का किसी बड़े नेता या अफसर से रिश्ता रहा है। बीते दिनों इससे जुड़ी कुछ ख़बरें सार्वजनिक होने के बाद देश भर में चर्चा का विषय बनी थी। इस लिहाज़ से राज्यसभा टीवी जनता के बीच पहले ही अपनी ख़ास पहचान बना चुका है। लेकिन बीते दिनों वाक् इन इंटरव्यू के नाम पर हुए फिक्सिंग के खेल ने राज्यसभा टीवी के डायरेक्टर और सचिवालय के अफसरों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।

राज्यसभा टीवी में नौकरी की ख्वाहिश रखने वाले बहुत लोगों को मायूस होना पड़ा…

नौकरी पाने की ख्वाहिश थी. राज्यसभा टीवी में काम करने की सपना था. इन्टरव्यू में खुद को साबित करने की चुनौती थी. हिन्दी और अंग्रेजी के लिए कुल जमा 4 पोस्ट थी. इंटरव्यू देने पहुंचा. कॉफी की चुस्कियों के बीच कुछ पुराने दोस्तों का भरत-मिलाप हुआ और इसके साथ मीडिया का वर्ग विभेद भी मिटता दिख रहा था. किसी चैनल के इनपुट एडिटर भी प्रोड्यूसर बनने के लिए सूट पहनकर आए थे. ऐसे में सीनियर प्रोड्यूसर के प्रोड्यूसर बनने पर सवाल उठाना गलत होगा.

राज्यसभा टीवी में नौकरी की ख्वाहिश रखने वाले बहुत लोगों को मायूस होना पड़ा…

नौकरी पाने की ख्वाहिश थी. राज्यसभा टीवी में काम करने की सपना था. इन्टरव्यू में खुद को साबित करने की चुनौती थी. हिन्दी और अंग्रेजी के लिए कुल जमा 4 पोस्ट थी. इंटरव्यू देने पहुंचा. कॉफी की चुस्कियों के बीच कुछ पुराने दोस्तों का भरत-मिलाप हुआ और इसके साथ मीडिया का वर्ग विभेद भी मिटता दिख रहा था. किसी चैनल के इनपुट एडिटर भी प्रोड्यूसर बनने के लिए सूट पहनकर आए थे. ऐसे में सीनियर प्रोड्यूसर के प्रोड्यूसर बनने पर सवाल उठाना गलत होगा.